अधीर का लालच किड्स स्टोरीज : Bachhon ki kahani
अधीर का लालच :- समय की बात है, सड़कों पर रहने वाले अधीर का जीवन एक सरलता और उदाहरण की कहानी बन गया था। उसका एकमात्र ख्वाब था – अमीर बनना। वह अपनी गरीबी से बहुत परेशान था और चाहता था कि उसका जीवन कभी बदले और वह जल्द से जल्द अमीर बन जाये।
अधीर का दिल उसके गाँव के पास रहने वाले दूसरे अमीर व्यापारी विक्रम से बहुत अधिक लालची था, लेकिन अधीर के मन में ये गलतफहमी थी कि आमिर विक्रम लालची हैं तो मैं भी लालची हो जाऊंगा। जबकि विक्रम लालची बिलकुल नहीं था वह बहुत ही समझदार और लोगो की मदद करने वाला इंसान था। विक्रम का घर बड़ा था,उसके पास हर रोज़ नई नई गाड़ियां बदलती थी, और उसकी सोने की घडी बेशक महंगी थीं, परंतु उसका बर्ताव और उसका स्वाभाव उसे सबसे हटकर बना देते थे।
एक दिन, अधीर का लालच इतना बढ़ गया था की ने तय किया कि वह विक्रम के बराबर बनेगा। उसने अपने मन में तय किया और और अमीर बनने का निर्णय लिया। उन्होंने सोचा कि यदि वह विक्रम के जैसा होता है, तो उसे भी यह सब मिल सकता है जो उसे चाहिए।
अधीर ने अपनी शुरुआती कड़ीयों की शुरुआत की, लेकिन उसने कभी भी विक्रम की तरह आत्म-समीक्षा नहीं की और विक्रम की तरह दूसरों की मदद करने में विशेष रुचि नहीं ली। उसका मानना था कि उसका हर कदम अमीरी की दिशा में है, चाहे वह किसी को भी चोट पहुंचे या ना पहुंचे।
एक दिन, गाँव में एक अमृत वृक्ष खिला। इस वृक्ष का फल बड़ा ही रहस्यमय और अद्वितीय था। इस फल को लेकर गाँववाले उत्साहित हो रहे थे। यह फल अमृत से कम नहीं था, और जिसने भी इसे खाया, उसने अत्यंत सुख से भरी जिन्दगी जीता था।
अधीर ने सुना कि इस फल का स्वाद अत्यधिक स्वादिष्ट और आकर्षक है। लेकिन जो फल उगे थे वे सब खत्म हो चुक्के थे उसने तय किया कि वह भी इसे पाने के लिए पहाड़ों की ओर निकलेगा, चाहे जो भी हो।
अधीर ने पहाड़ों की ऊँचाइयों को पार करते हुए फल की खोज में अपने मित्रों के साथ रास्ता तय किया। रास्ते में, वह बहुत सारी मुश्किलों और चुनौतियों का सामना करता है, परंतु उसका लालच उसे हर कदम पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा था। आखिरकार, वह और उसके मित्र फल को पाते हैं।
लेकिन अधीर का लालच मन में इतना था कि वह पूरे पेड़ को ही उखाड़ कर अपने साथ ले जाना चाहता था और वह उस पेड़ को उखाड़ने लगा उसके दोस्तों ने उसे पेड़ को नुकसान न पहुँचाने की चेतावनी भी दी, लेकिन उसने उनकी बात नहीं सुनी। क्योंकि अधीर के मन में तो था कि वह उस पेड़ के अमृत फल को बेचकर अमीर बन जायेगा।
लेकिन जैसे ही पेड़ को अधीर ने उखाडा पेड़ पूरा सुख गया और उसके सारे फल गायब हो गए। और मरते मरते पेड़ ने अधीर से कहा की तुम कभी किसी को उजाड़ कर अमीर नहीं बन सकते।
पेड़ की ये बात अधीर के मन में लगी और उसे अपनी इस हरकत पर बहुत शर्म आई कि मैने अपने लालच की वजह से एक पेड़ उजाड़ दिया। और उसने पेड़ से माफी मांगी और खुद को सुधारने की कसम खाई कि वह कभी भी पैसे के लिए किसी को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
इस बात से उन्हें एक बड़ा सच्चाई का सामना करना पड़ता है। इस फल का स्वाद लालच से ज्यादा बहुत ही कड़ा और खट्टा होता है। यह उनके लिए बिल्कुल भी सुखद नहीं होता है।
अधीर ने इस अनुभव से अपनी गलती को समझा और अपनी जिंदगी को सही दिशा में मोड़ दिया। उसने गाँववालों के साथ अपनी खोई हुई इज्जत वापस पाई और उसका जीवन सच्ची धन-धान्यता में बदल गया।
अधीर का लालच इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि लालच हमें अच्छे से अच्छा मनोबल प्रदान कर सकता है, लेकिन जब यह हमें अपने लक्ष्यों की दिशा में भटका देता है, तो हमें खुद को आत्म-समीक्षा करनी चाहिए। हमें यह समझना चाहिए कि सच्चा धन हमारी सच्ची सुख-शांति में होता है, जो हमें लालच से नहीं, अपने सही कर्मों से मिलता है।
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