बीरबल और गधे की कहानी | birbal ki Kahani for kids in hindi | The Wise Donkey, Praise, Wit, Court Success and Lessons from a Learned Life Full of Challenges-2023

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बादशाह का मन बहलाव करने के इरादे से बीरबल ने गधे की तारीफ के पुल बाँधते हुए कहा,जहाँपनाह, इसके चेहरे से ऐसी बुद्धिमानी झलक रही है। कि शायद सिखाने पर ये पढ़ना-लिखना भी सीख जाए।

बादशाह ने बात पकड़ ली और सेवक को आदेश दिया कि वह मधे की रस्सी बीरबल के हाथ में थमा दे।

तत्पश्चात उन्होंने कहा, “बीरबल! ले जाओ इसे महीने भर में पढ़ा-लिखाकर वापस लाना। “बीरबल को यह समझने में देर नहीं लगी कि अगर वह इस काम में विफल हो गया तो नतीजा क्या होगा। ठीक एक महीने बाद उसी गधे की रस्सी थामे बीरबल दरबार में हाजिर हुए।

बादशाह ने पूछा, “क्या गधा पढ़-लिख गया है? “हाँ, जहाँपनाह ।” कहते हुए एक मोटी-सी पोथी गधे के सामने रख दी। गधा जुबान से पोथी पन्ने पलटते चला गया। और तीसवें पन्ने पर पहुँचकर जोर-जोर से रेंकने लगा।

“देखिए जहाँपनाह! अपनी भाषा में किताब पढ़कर सुना रहा है। “बादशाह और उनके दरबारी चकित रह गए। बादशाह ने पूछा, “तुमने यह चमत्कार कैसे किया? “उन्होंने ने बड़ी शान के साथ समझाया, “जहाँपनाह! पहले रोज मैंने मुट्ठी भर घास पोथी की जिल्द और पहले पन्ने के नीचे रख दी। दूसरे दिन मैंने घास दूसरे पन्ने पर रख दी और पोथी बन्द कर दी।

गधे ने उसे खोलकर घास खा ली। फिर रोजाना इसी तरह से आगे के पन्ने पलटने लगा। जहाँ घास नहीं “मिलती, वहीं गधा गुस्से से रेंकने लगता।” बादशाह बीरबल की चतुराई पर मुस्कराए बगैर नहीं रह सके। सारे दरबारी भी उनकी तारीफ करने लगे।

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