भक्ति मती श्री कर्माबाई जी : भक्ति और करुणा की कथा

कर्माबाई का भगवान्‌ जगन्नाथ के लिए प्रेम

“Bhakti Ki Mahima Karmabai: श्री कर्माबाई जी एक भगवद्भक्त देवी पुरुषोत्तम पुरी में रहती थीं। उन्हें भारत के प्रमुख संतों में से एक माना जाता है और वे भगवान जगन्नाथ की महान भक्त थीं। हर दिन वे बिना स्नान किए खिचड़ी तैयार करके उसे भगवान जगन्नाथ को अर्पित करतीं। भगवान जगन्नाथ भी प्रतिदिन एक छोटे बच्चे के रूप में आकर कर्माजी की गोद में बैठकर खिचड़ी खा जाते थे।

करमा बाई को खीचड़ो-

कर्माबाई जी हमेशा चिंतित रहती थीं कि भगवान जगन्नाथ जी के खाने को कभी भी देर नहीं होनी चाहिए। इसलिए, वे किसी भी विधि-विधान को नजरअंदाज करके सुबह ही खिचड़ी तैयार कर लेतीं, और इसे प्यार से भगवान जगन्नाथ जी को खिलातीं।

मां कर्मा बाई को साधु की सलाह-

एक दिन, एक साधु श्री कर्मा जी के पास आए। उन्होंने देखा कि श्री कर्मा जी ने अपवित्र अवस्था में खिचड़ी तैयार करके उसे भगवान को अर्पण किया। साधु थोड़ी परेशान हो गए और उन्होंने श्री कर्मा जी को पवित्रता के लिए स्नान और अन्य शुद्धि के विधियाँ बता दी। भक्ति में रंगी श्री कर्माबाई जी ने दूसरे दिन उसी तरीके से किया। लेकिन खिचड़ी तैयार करने में देर हो गई। उस समय, उनका दिल दुख गया क्योंकि वे सोचने लगे कि उनका प्यारा जगन्नाथ भूख से व्याकुल हो रहे होगे |

कर्माबाई जैसे ही जैसे तैसे भगवान जगन्नाथ के लिए खिचड़ी लाई वैसे ही मंदिर का का घंटा बज गया। उस समय मंदिर में पुजारी ने अनेक सुंदर पकवान प्रभु के लिए निवेदन करने के लिए जगन्नाथ जी का आवाहन किया, पुजारी चौंक गये। उन्होंने देखा कि वो दिन भगवान जगन्नाथ जी के मुख में खिचड़ी लगी है। पुजारी ने भगवान जगन्नाथ जी से सारी बात जानने की प्रार्थना की।

जब पुजारी जी ने भगवान् जगन्नाथ जी को खिचड़ी के लिए पूछा-

भगवन ने कहा, ‘रोज़ सुबह मैं कर्माबाई के घर खिचड़ी खाने जाता हूँ। उनकी खिचड़ी मुझे बहुत पसंद है। पर आज एक साधु ने उन्हें स्नान करने के नियम बताए, जिसके कारण खिचड़ी देर से बनी। इसके कारण मुझे भूख ही वापस आना पड़ा। तुम उस पुजारी के पास मेरा सन्देश पहुचाओ। मेरी माँ को मुझे खिचड़ी बनाकर खिलाने के लिए कोई नियम की जरूर नहीं है मेरे लिए कर्मा का प्रेम भाव पर्याप्त है मई तो भाव को ही पाता हूँ।

भगवान की आज्ञा के अनुसार पुजारी ने एक साधु को ढूँढ़कर उसे प्रभु के सभी बातें सुना दी। साधु थोड़ा घबराया हुआ था, लेकिन फिर वह श्री कर्माबाई जी के पास गया और बोला, “आप सुबह-सुबह प्रभु को खिचड़ी खिलाने के लिए कोई विशेष नियम न ना करे।” इसके बाद, श्री कर्माबाई जी ने प्रतिदिन सुबह खिचड़ी बनाकर प्रभु को निवेदन करना शुरू किया।

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