Navratri kahani for kids: गरीब के घर नवरात्रि पर्व
Navratri Garib ki kahani: यह कहानी एक छोटे से गाँव की है, जहाँ एक गरीब किसान रमेश अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था। रमेश के पास बहुत संपत्ति नहीं थी, लेकिन उसका दिल माता रानी की भक्ति से भरा हुआ था। हर साल नवरात्रि का पर्व आने पर रमेश अपने घर में पूरी श्रद्धा के साथ माता रानी की पूजा करता था, चाहे उसके पास साधन कम ही क्यों न हों।
नवरात्रि पर्व आने वाला था, और गाँव में सभी लोग बड़े धूमधाम से तैयारियों में जुट गए थे। लेकिन रमेश के घर में त्योहार की रौनक कम थी क्योंकि इस बार उसकी फसल खराब हो गई थी और उसके पास पूजा के लिए आवश्यक सामान खरीदने के पैसे भी नहीं थे। रमेश की पत्नी, सीता, बहुत परेशान थी। उसने रमेश से कहा, “इस बार नवरात्रि कैसे मनाएँगे? घर में अन्न भी पूरा नहीं है और पूजा का सामान भी नहीं है।”
रमेश ने सीता को दिलासा देते हुए कहा, “माता रानी हमारी सच्ची भक्ति देखती हैं। हमारे पास पैसे नहीं हैं, लेकिन हमारे दिल में श्रद्धा की कोई कमी नहीं। हम जैसे भी हो सके, माता की पूजा करेंगे। माता का आशीर्वाद जरूर मिलेगा।”
माता का आशीर्वाद
नवरात्रि (Navratri) का पहला दिन आया। रमेश और सीता ने अपने घर के छोटे से पूजा स्थान को साफ किया और धूप-दीप जलाकर माता रानी की मूर्ति रखी। दोनों ने सच्चे दिल से माता का ध्यान किया और अपनी समस्याओं को उनके चरणों में रख दिया। गाँव के अन्य लोग जहां बड़े-बड़े पंडालों में भव्य पूजा कर रहे थे, वहीं रामू और सीता ने सादगी से अपनी पूजा आरंभ की।
पूजा के बाद, रमेश रोज की तरह खेत पर गया, लेकिन मन में थोड़ा बोझ था। जब वह खेत में पहुँचा तो उसे एक अजनबी बुजुर्ग व्यक्ति मिला, जिसने उससे कहा, “बेटा, मैं कई दिनों से भूखा हूँ। क्या तुम्हारे पास खाने के लिए कुछ है?” रमेश को घर की स्थिति याद आ गई, लेकिन फिर भी उसने सोचा कि मदद करना ही धर्म है। उसने अपने खेत से थोड़े अनाज निकाले और बुजुर्ग को दे दिए।
उस बुजुर्ग ने अनाज लेकर रमेश को आशीर्वाद दिया और कहा, “माता रानी तुम्हारी भक्ति से बहुत प्रसन्न हैं। चिंता मत करो, तुम्हारे जीवन में जल्द ही खुशियाँ लौटेंगी।” यह सुनकर रमेश का मन हल्का हो गया, लेकिन उसे नहीं पता था कि उसकी मदद और भक्ति का फल इतनी जल्दी मिलेगा।
अगले ही दिन गाँव के एक बड़े व्यापारी ने रमेश के खेत का दौरा किया। व्यापारी को रमेश के खेत में उगाई गई कुछ फसलें बहुत पसंद आईं और उसने सारी फसल खरीदने का प्रस्ताव दिया। रमेश को इस व्यापार से अच्छा मुनाफा हुआ, जिससे उसने नवरात्रि की पूजा के लिए आवश्यक सभी सामान खरीद लिया।
नवरात्रि (Navratri) मे माता का आगमन
नवरात्रि (Navratri) का अंतिम दिन आया, और इस बार रमेश के घर में उत्सव की रौनक थी। पूरा घर दीपों से जगमगा रहा था और माता की आरती के लिए आस-पड़ोस के लोग भी इकट्ठा हो गए थे। जैसे ही रमेश और सीता ने आरती शुरू की, अचानक घर में एक अद्भुत प्रकाश फैल गया। ऐसा लगा जैसे माता रानी खुद रमेश के घर आई हों। सभी ने उस दिव्य क्षण को महसूस किया और मन में माता रानी का आशीर्वाद पाया।
रमेश और सीता ने अपनी भक्ति के बल पर माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त किया और उनका जीवन धीरे-धीरे खुशहाल हो गया। उनकी मेहनत और सच्ची भक्ति ने उन्हें नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया।
यह कहानी हमें सिखाती है कि नवरात्रि (Navratri) पर्व केवल भव्य पूजा और धूमधाम से नहीं, बल्कि सच्चे मन और श्रद्धा से मनाना चाहिए। माता रानी को हमारी भक्ति की शक्ति अधिक प्रिय होती है, और जब भी हम सच्चे मन से उन्हें पुकारते हैं, वह अवश्य आशीर्वाद देती हैं।
सच्ची भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाया गया नवरात्रि पर्व ही वास्तविक पूजा होती है। चाहे संसाधन कम हों या विपत्तियाँ हों, माता रानी का आशीर्वाद सच्चे भक्तों को अवश्य मिलता है।
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