Friendship Stories for childrens in Hindi
बच्चों के लिए दोस्ती केवल खेलकूद तक ही सीमित नहीं होती, बल्कि यह उनके व्यक्तित्व निर्माण में भी मदद करती है। अच्छी दोस्ती उन्हें ईमानदारी, परोपकार, और आपसी सहयोग का महत्व सिखाती है। यहाँ हम आपके लिए 5 बेहतरीन दोस्ती की कहानियाँ लेकर आए हैं, जो बच्चों को सच्ची मित्रता का मूल्य समझाने में मदद करेंगी।
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शेरू और मोती सच्ची दोस्ती की पहचान- Friendship Moral Stories in Hindi
गर्मियों के सुनहरे दिन में, एक हरे-भरे जंगल में शेरू नाम का कुत्ता और मोती नाम का खरगोश साथ रहते थे। उनकी दोस्ती पूरे जंगल में मशहूर थी। शेरू मजबूत और वफादार था, जबकि मोती फुर्तीला और चतुर। दोनों हर समय साथ खेलते, खाने की तलाश करते और एक-दूसरे की मदद करते।
एक दिन जंगल में लोमड़ी आ गई। वह हमेशा छोटे जानवरों को पकड़ने की ताक में रहती थी। उसने मोती को देखा और सोचा, “यह खरगोश तो मेरा बढ़िया शिकार बनेगा!” लोमड़ी ने चालाकी से मोती को पकड़ने के लिए एक योजना बनाई।
अगली सुबह, मोती गाजर की तलाश में जंगल में घूम रहा था। तभी लोमड़ी ने एक कोमल आवाज़ में कहा, “अरे मोती! मैं तुम्हारी बहुत बड़ी प्रशंसक हूँ। मैं तुम्हारी तेज़ चाल देखकर हैरान हूँ। क्या तुम मुझे अपनी दौड़ दिखाओगे?”
मोती अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गया और दौड़ने लगा। जैसे ही वह थोड़ा आगे बढ़ा, लोमड़ी ने छलांग लगाकर उसे पकड़ लिया!
मोती डर से कांपने लगा। उसने मदद के लिए ज़ोर से चिल्लाया, “शेरू! बचाओ!”
शेरू, जो पास ही खेल रहा था, तुरंत मोती की आवाज़ सुनकर दौड़ा। उसने देखा कि लोमड़ी मोती को पकड़कर ले जा रही थी। गुस्से में भौंकते हुए शेरू ने लोमड़ी के सामने छलांग लगाई।
लोमड़ी डर गई और बोली, “यह मेरा शिकार है, पीछे हट जाओ!”
लेकिन शेरू ने दहाड़ते हुए कहा, “अगर मेरे दोस्त को छूने की कोशिश की, तो अच्छा नहीं होगा!” शेरू ने अपने पैने दाँत दिखाए और लोमड़ी पर झपट पड़ा। लोमड़ी डर के मारे भाग खड़ी हुई।
मोती कांपता हुआ खड़ा हुआ और शेरू से लिपट गया। उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन यह खुशी के आँसू थे। उसने कहा, “शेरू, आज तुमने मेरी जान बचा ली। तुम सच्चे दोस्त हो।”
शेरू मुस्कुराया और बोला, “दोस्ती का मतलब ही यही है, मोती! सच्चा दोस्त वही होता है जो मुश्किल वक्त में साथ दे।” फिर जंगल में हँसते खेलते रहने लगे।
सीख: सच्चा दोस्त वही होता है जो हर परिस्थिति में आपका साथ दे, चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हों।
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अमन और रवि मदद ही असली दोस्ती है- हिंदी फ्रेंडशिप स्टोरी
अमन और रवि एक ही स्कूल में पढ़ते थे और वे बहुत अच्छे दोस्त थे। दोनों हमेशा साथ रहते, खेलते और एक-दूसरे की मदद करते। लेकिन उनकी दोस्ती की असली परीक्षा तब हुई जब परीक्षा के कुछ ही दिन पहले रवि अचानक बीमार पड़ गया। उसे तेज बुखार था और डॉक्टर ने उसे पूरी तरह आराम करने की सलाह दी थी।
रवि बहुत परेशान था, क्योंकि उसने अभी तक पढ़ाई पूरी नहीं की थी। उसे डर था कि वह परीक्षा में अच्छे अंक नहीं ला पाएगा। अमन ने जब यह सुना तो उसने बिना कोई देरी किए उसने रवि की मदद करने के लिए सोचा।
अमन रोज़ स्कूल से आने के बाद रवि के घर जाता और उसे पढ़ाई में मदद करता। उसने अपनी नोट्स उसे दिए और जो भी समझने में कठिनाई होती, उसे प्यार से समझाता। अमन की मेहनत और रवि की कोशिशों की वजह से धीरे-धीरे रवि का आत्मविश्वास बढ़ने लगा।
कुछ दिनों बाद परीक्षा का दिन आ गया। रवि अब पूरी तरह ठीक हो चुका था और अमन की मदद से उसने अच्छी तैयारी भी कर ली थी। परीक्षा के बाद जब परिणाम आया तो रवि के अच्छे अंक देखकर सब हैरान रह गए। वह बहुत खुश था और उसने अमन को गले लगाकर कहा, “अमन मेरे दोस्त अगर तुमने मेरी मदद न की होती, तो मैं कभी अच्छे अंक न ला पाता। तुम सच्चे दोस्त हो!”
अमन मुस्कुराया और बोला, “यही तो सच्ची दोस्ती होती है बिना किसी स्वार्थ के एक-दूसरे की मदद करना!”
सीख: सच्ची दोस्ती सिर्फ साथ खेलने और मज़े करने तक सीमित नहीं होती, बल्कि जरूरत के समय बिना किसी स्वार्थ के एक-दूसरे की मदद करना ही असली दोस्ती होती है।
हाथी और चिड़िया की दोस्ती- Short Friendship Stories in Hindi
घने जंगल में राजा नाम एक विशाल हाथी रहता था। वह अपने भारी-भरकम शरीर और ताकत के कारण जंगल का सबसे ताकतवर जीव माना जाता था। लेकिन उसकी एक खास दोस्त थी। मोती एक नन्हीं चिड़िया थी। मोती हल्के नीले रंग की सुंदर चिड़िया थी, जो हमेशा राजा के आस-पास फुदकती रहती थी। उनकी दोस्ती जंगल में सबके लिए आश्चर्य की बात थी।
जंगल के अन्य जानवर अक्सर मज़ाक उड़ाते थे। एक बंदर बोला, “अरे राजा, तुम्हारी दोस्त तो एक छोटी-सी चिड़िया है! क्या वह तुम्हारी सूंड पर झूलेगी?” हिरण भी हंसते हुए बोला, “इतने बड़े हाथी और इतनी नन्ही चिड़िया की दोस्ती कैसे हो सकती है?”
राजा और मोती इन बातों पर ध्यान नहीं देते थे। वे अपनी मस्ती में रहते थे। मोती राजा के कानों में मीठी-मीठी बातें करती, और राजा अपनी सूंड से उसे झूला झुलाता। वे एक-दूसरे की बातें समझते थे और हमेशा एक-दूसरे की मदद करते थे।
एक दिन, अचानक जंगल में तेज़ आँधी आ गई। हवा इतनी तेज़ थी कि पेड़ों की शाखाएँ टूटकर गिरने लगीं। मोती का घोंसला भी एक ऊँचे पेड़ पर था। आँधी में उसकी टहनी इतनी हिलने लगी कि पूरा घोंसला नीचे गिर गया। मोती डर गई और तेज़ी से राजा के पास पहुँची।
“राजा, मेरा घर गिर गया! अब मैं कहाँ जाऊँ?” मोती ने दुखी होकर कहा।
राजा ने तुरंत अपनी सूंड उठाई और गिर चुके पेड़ों की शाखाओं को देखने लगा। उसने अपनी बड़ी-बड़ी टांगों से कुछ मजबूत टहनियाँ इकट्ठी कीं और अपनी सूंड से उन्हें जोड़कर एक नया, मजबूत घोंसला बना दिया।
“लो मोती, तुम्हारा नया घर तैयार है!” राजा ने खुशी से कहा।
मोती ने खुशी-खुशी अपने नए घोंसले में उड़ान भरी और राजा को धन्यवाद दिया।
अगले दिन, जब जंगल के जानवरों ने यह देखा कि कैसे राजा ने मोती की मदद की, तो वे सब चकित रह गए। बंदर ने शर्मिंदा होकर कहा, “हमने बिना सोचे ही इनकी दोस्ती का मज़ाक उड़ाया था, लेकिन असली दोस्ती तो यही है!”
हिरण भी मुस्कुराया और बोला, “अब हमें समझ आया कि दोस्ती दिल से होती है, न कि आकार से!”
सीख: सच्ची दोस्ती में कोई भेदभाव नहीं होता, न ही वह ऊँच-नीच देखती है। जो दोस्त मुश्किल समय में साथ खड़ा रहता है, वही असली मित्र होता है।
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गिलहरी और बंदर की दोस्ती- Friendship Moral Stories in Hindi
एक घना जंगल था, जहाँ एक चंचल बंदर मोंटू और एक चालाक गिलहरी चिंकी रहती थी। दोनों गहरे दोस्त थे। मोंटू पेड़ों पर उछलता-कूदता रहता, जबकि चिंकी तेज़ी से टहनियों पर दौड़ती। दोनों हर काम में एक-दूसरे की मदद करते।
एक दिन दोपहर में मोंटू और चिंकी आम के पेड़ पर बैठे बातें कर रहे थे कि अचानक जंगल के एक कोने से धुएँ का गुबार उठने लगा। चिंकी चौकन्नी हुई और जल्दी से ऊँचे पेड़ पर चढ़कर देखा। “मोंटू! जंगल में आग लग गई है!” उसने घबराकर कहा।
मोंटू ने नीचे से देखा, आग तेजी से फैल रही थी। जंगल के जानवर इधर-उधर भाग रहे थे, लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि कहाँ जाएँ। चिंकी और मोंटू ने सोचा कि उन्हें कुछ करना चाहिए।
चिंकी ने अपनी तेज़ बुद्धि से सोचा और कहा, “मोंटू, हमें सब जानवरों को नदी की तरफ ले जाना होगा। वहाँ पानी है, और वे सुरक्षित रहेंगे।”
मोंटू ने सिर हिलाया, “लेकिन हमें सभी को जल्दी से बुलाना होगा!”
चिंकी ने अपनी तेज़ गति से पेड़ों पर दौड़ना शुरू किया और चिल्लाने लगी, “सभी जल्दी नदी की ओर भागो! वहाँ सुरक्षित रहोगे!” दूसरी ओर, मोंटू ने अपनी ताकत से छोटे जानवरों को अपनी पीठ पर बैठाया और उन्हें जल्दी-जल्दी नदी तक पहुँचाने लगा।
हाथी, हिरण, खरगोश, और पक्षी सबने उनकी बात मानी और नदी की ओर भागे। थोड़ी देर में पूरा जंगल खाली हो गया, और सभी जानवर सुरक्षित थे।
जब आग बुझ गई और सब कुछ शांत हो गया, तो सभी जानवर चिंकी और मोंटू के पास आए और धन्यवाद दिया। एक बुजुर्ग कछुए ने कहा, “तुम दोनों ने सिखाया कि दोस्ती का असली मतलब सहयोग और समझदारी होता है। अगर तुमने मिलकर यह योजना न बनाई होती, तो न जाने क्या होता!”
मोंटू मुस्कुराया और चिंकी की ओर देखा, “साथ मिलकर कोई भी मुश्किल आसान हो सकती है!”
चिंकी ने भी सिर हिलाया, “हां, दोस्ती सिर्फ मज़े के लिए नहीं, बल्कि एक-दूसरे की मदद करने के लिए भी होती है!”
और फिर जंगल में उनकी दोस्ती की मिसाल दी जाने लगी।
गुलाब और सूरजमुखी सच्ची दोस्ती- बच्चों के लिए दोस्ती की कहानियाँ
एक सुंदर बगीचा था, जहाँ कई तरह के फूल खिले थे। परंतु उनमें से सबसे अच्छे दोस्त थे। गुलाब और सूरजमुखी। गुलाब अपनी लालिमा और महक के कारण बगीचे की शान था, जबकि सूरजमुखी हमेशा सूर्य की ओर देखकर मुस्कुराता रहता था। दोनों घंटों बातें करते, एक-दूसरे की तारीफ करते और अपने बगीचे को और भी खूबसूरत बनाने का सपना देखते।
एक दिन अचानक काले बादल छा गए। ठंडी हवा ज़ोरों से बहने लगी, मानो आंधी आने वाली हो। धीरे-धीरे तेज़ हवाओं ने अपनी ताकत दिखानी शुरू की। गुलाब, जो नाज़ुक था, उसकी टहनी झुकने लगी। वह दर्द से कराह उठा, परंतु सूरजमुखी मजबूती से खड़ा था।
“गुलाब दोस्त, तुम ठीक हो?” सूरजमुखी ने चिंता से पूछा।
“नहीं, मेरे दोस्त! मेरी टहनी बहुत कमजोर हो गई है, अगर हवा और तेज़ चली तो मैं गिर जाऊँगा!” गुलाब ने कांपते हुए कहा।
सूरजमुखी ने बिना समय गँवाए अपने चौड़े पत्तों को फैलाया और उन्हें गुलाब के चारों ओर लपेट दिया। उसकी मजबूत पत्तियाँ हवा के थपेड़ों को झेलने लगीं। गुलाब को अब सहारा मिल गया था, और वह गिरने से बच गया।
रात भर बारिश हुई, पर सूरजमुखी ने गुलाब को टूटने नहीं दिया। जब सुबह हुई और सूरज निकला, तो गुलाब ने राहत की सांस ली।
“तुमने मेरी मदद की, वरना मैं टूट जाता!” गुलाब ने भावुक होकर कहा।
सूरजमुखी मुस्कुराया और बोला, “सच्चे दोस्त कभी मुश्किल समय में साथ नहीं छोड़ते। दोस्ती सिर्फ खुशियों में नहीं, बल्कि दुख में भी साथ देने का नाम है।”
गुलाब की आँखों में कृतज्ञता थी। अब वह समझ चुका था कि असली दोस्ती वही होती है, जो हर परिस्थिति में बनी रहती है।
सीख: सच्चा दोस्त वही होता है, जो कठिन समय में भी आपका साथ न छोड़े।
दोस्ती की कहानियाँ क्यों पढ़नी चाहिए?
बच्चों को दोस्ती की कहानियाँ पढ़ाने से उनमें सहानुभूति, सहयोग, और भरोसे की भावना विकसित होती है। जब वे इन कहानियों को पढ़ते हैं, तो वे समझते हैं कि एक अच्छा दोस्त कौन होता है और दोस्ती में किन मूल्यों की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, दोस्ती की कहानियाँ बच्चों को टीमवर्क और परस्पर सहयोग का महत्व भी सिखाती हैं।
बच्चों में सच्ची दोस्ती की भावना कैसे बढ़ाएं?
– उन्हें नैतिक कहानियाँ पढ़ने को दें।
– बड़ों के अच्छे उदाहरण दिखाएं।
– बच्चों को सहयोग और परस्पर सम्मान का महत्व सिखाएं।
– साझा खेलों और टीमवर्क वाले कार्यों में शामिल करें।