रंग बदलने वाला चश्मा रोमांचक कहानी
सच बताने वाला चश्मा कहानी- शिवा एक शांत और जिज्ञासु बच्चा था। उसे पुराने और अनोखे चीज़ों से बहुत लगाव था। एक दिन स्कूल से आते समय वह रास्ते में एक छोटा सा एंटीक्स की दुकान देखता है, जहाँ हर चीज़ पुराने ज़माने की होती है।
दुकान के कोने में एक अजीब सा चश्मा रखा था — काले फ्रेम वाला, लेकिन लेंस में हल्का इंद्रधनुषी झिलमिलाहट थी। दुकानदार ने मुस्कुराते हुए कहा, “ये ‘Truth Glasses’ है, जो सच्चाई के रंग दिखाता है। संभाल कर पहनना।”
शिवा ने चश्मा पहन लिया… और फिर जो दिखा, वो चौंकाने वाला था!
Read More- बात करने वाली परछाई कहानी
🎨 रंगों की दुनिया खुली…
- शिवा की दोस्त नेहा को जब उसने देखा, तो उसके चारों तरफ नीला रंग था – दोस्ती और सच्चाई का रंग।
- एक और लड़का, जो हमेशा मीठा बोलता था लेकिन चुगली करता था, उसके चारों ओर पीला और हल्का भूरा था – ईर्ष्या और झूठ का रंग।
- उसके शिक्षक के चारों ओर सफेद चमक थी – ज्ञान और नीयत की शुद्धता।
- एक बच्चा जो गरीब था लेकिन सच्चा था, उसके चारों ओर हरा रंग था – सादगी और ईमानदारी का प्रतीक।
एक दिन शिवा ने अपने पापा को भी चश्मे से देखा। उनके चारों ओर थोड़ा काला और थोड़ा नीला था। वह घबरा गया।
शाम को जब पापा ने उसे डांटा, पियूष को गुस्सा आया लेकिन फिर उसने चश्मा फिर से पहना और देखा — काले के पीछे गहरे नीले रंग की परत थी – मतलब चिंता और जिम्मेदारी। पापा उसे डांट नहीं रहे थे, उसे सही रास्ता दिखा रहे थे।
उस दिन शिवा ने सीखा – सच्चाई सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि भावनाओं और नीयत से पहचानी जाती है। हर कोई वैसा नहीं होता जैसा दिखता है। और कभी-कभी सच्चाई समझने के लिए हमें नज़र नहीं, नीयत चाहिए।
Moral of the Story: सच्चाई को पहचानना सबसे बड़ी समझदारी है। हर इंसान के पीछे एक रंग होता है – जो उसकी नीयत को दर्शाता है।
🧠 FAQs:
Q1. यह कहानी बच्चों को क्या सिखाती है?
Ans: यह कहानी सच्चाई, ईमानदारी और नीयत को पहचानने की ताकत देती है।
Q2. क्या यह कहानी शिक्षकों द्वारा क्लास में सुनाई जा सकती है?
Ans: हाँ, यह बच्चों के नैतिक विकास के लिए एक बेहतरीन कहानी है।