Amalaki Ekadashi ka Mahatam – आमलकी एकादशी का महात्म्य
एक बार राजा मानधाता मुनि विशिष्ट से बोले हे महान संत मुझ पर कृपा करके किसी ऐसे व्रत की कथा सुनाइए जिससे मेरा कल्याण हो जाये वशिष्ट मुनि उत्तर देते है की हे राजन मैं एक ऐसे व्रत का वर्णन कर रहा हूँ जो समस्त व्रतों में श्रेष्ट और मोक्ष देना वाला है जिसे आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) कहा जाता है सभी पापों की नष्ट करने वाले इस व्रत का फल १००० गौ दान के बराबर है अब मैं आपसे इसकी पौराणिक कथा कहता हूँ ध्यान पूर्वक सुनो-
Amalaki Ekadashi: आमलकी एकादशी व्रत पौराणिक कथा
एक राज्य हुआ करता था जिसका नाम था वैधिश इस राज्य के सभी लोग हर क्षेत्र में सम्पन थे आंनद पूर्वक एक दूसरे रहते थे उस नगर में वैद हवन हुआ करते रहते थे इस राज्य में कोई भी व्यक्ति नाश्तिक और पापी नहीं था राजा चैतरत इस नगर का राजा था जोकि बहुत विद्वान और धार्मिक था
राजा चैतरत के शासन में कोई भी व्यक्ति दरिद्र नहीं था हर कोई निष्ठा से धर्म पूर्वक पालन करता था सभी नगरवासी भगवान श्री हरी विष्णु की भक्ति करते थे राजा सहित वह के सभी लोगो एकादशी व्रत का पालन किया करते थे एक समय फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) आई राजा अपनी सभी राज्य के लोगो के साथ मंदिर में जाकर पूर्ण कुम्भ स्थापित करके धुप, दीप, चंदन पंच रत्न आदि से आंवले के वृक्ष का पूजन करने लगे
रात के समय वह एक शिकारी आया वो महापापी और दुष्ट था जो जीवो की हिंसा कर अपने परिवार का पालन करता था भूख पियास से बहुत व्याकुल होकर भोजन की तलाश में वो इस मंदिर तक आया था वही वहा वो एक कोने में बैठकर एकादशी का महात्म्य और कथा सुनाने लगा इस प्रकार उस शिकारी ने पूरी रात भगवान का नाम और कथा सुनते हुए भक्तो के साथ व्यतीत की
प्रातः काल होते ही राजा सहित सभी भक्त अपने अपने निवास स्थान पर चले गए ये देख वो शिकारी भी अपने घर की ओर चल पड़ा और कुछ समय बाद अचानक उसकी मृत्यु हो गयी उसके हिंसक कार्यो की वजह से उसका नर्क जाना निश्चित था लेकिन उसदिन आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) के व्रत करने के प्रभाव से उसका अगला जन्म राजा विध्वत के यहाँ हुआ, राजा ने उसका नाम वसुरत रखा जिस राज्य में उसका जन्म हुआ वह धन धान्य से सम्पन था
राजा वसुरत बड़े होकर एक सूंदर, वीर, करुणामयी राजा बने और साथ ही वे भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त हुए, जो एकादशी व्रत का पालन करते थे वे अपनी प्रजा का पुत्र की तरह पालन करते थे एक बार वो राजा वसुरत शिकार करने वन में गए राजा अचानक वन में रिश्ता भटक गया और एक वृक्ष के नीचे थककर सो गया
कुछ समय बाद डाकू वहां आये और राजा को अकेला देखकर उसे मारने के लिए आगे दौड़े वो डाकू कहने लगे इस राजा ने कहा हमारे माता पिता और परिवार वालो को मारा है और हमें राज्य से निकाल दिया है आज हमें इसे मारकर अपने अपमान का बदला लेना चाहिए लेकिन उसी समय राजा के शरीर से एक दिव्य देवी प्रकट हुई देखते ही देखते उसने इन सभी डाकुओ का नाश कर दिया
जब राजा जागे तो देख कर बहुत आश्चर्य में पड़ गए की इतने सरे डाकुओ को किसने मारा है इस वन में मेरा कौन हितेषी रहता है तभी एक आकाशवाणी के माध्यम से उन्हें ज्ञात हुआ उनकी रखा स्वम् भगवान विष्णु ने की है ये सुनकर भगवान को धन्यवाद कहने लगे और राजा का प्रेम भगवान के लिए ओर बढ़ गया फिर राजा अपने नगर लौटकर सुख समृद्धि से वापस राज्य करने लगे जीवन के अंत में उन्हें वैकुण्ड प्राप्ति हुई
इस प्रकार कथा को विराम की ओर ले जाते हुए मुनि वशिष्ट ने कहा राजा मानधाता से कहा जो कोई भी इस पवित्र आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) व्रत का पालन करता है उसे निःसन्देय वैकुण्ड की प्राप्ति होती है आमलकी एकादशी व्रत से साधक जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है सभी को यह व्रत श्रद्धा और विश्वास से रखना चाहिए
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1.प्रश्न आमलकी एकादशी(Amalaki Ekadashi) व्रत से प्राप्त होने वाला पुण्य फल?
उत्तर: आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है यह व्रत समस्त व्रतों में श्रेष्ट और मोक्ष देना वाला है, सभी पापों की नष्ट करने वाले इस व्रत का फल 1000 गौ दान के बराबर है।
2. प्रश्न: आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) व्रत का पालन करने से क्या होता है?
उत्तर: आमलकी एकादशी व्रत का पालन करने वाले को निःसन्देय वैकुण्ड की प्राप्ति होती है। इस व्रत से साधक जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है।आमलकी एकादशी के व्रत को सभी को श्रद्धा और विश्वास से रखना चाहिए।