मजेदार और शिक्षाप्रद बच्चों की मजेदार कहानियाँ
यह बच्चों के लिए रोमांचक और मजेदार कहानियों का एक बेहतरीन संग्रह है। इन बच्चों की मजेदार कहानियाँ न केवल मनोरंजन है, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण पाठ भी छुपे हैं। चाहे वो दोस्ती की बातें हों, परिश्रम महत्व या फिर साहस और हिम्मत की कहानियाँ, हर कहानी में बच्चों को कुछ नया सीखने को मिलता है। इन कहानियों का सरल वर्णन बच्चों के दिलों को छू लेता है और उनके मनोबल को बढ़ाता है। इन मजेदार कहानियों को पढ़कर बच्चे न केवल आनंदित होते हैं, बल्कि उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव भी आते हैं।
कहानी 1: जादुई पतंग
एक छोटे से गांव में रहने वाला रोहन अपनी नई पतंग उड़ाने के लिए बहुत उत्साहित था। वह खेत के पास गया और पतंग उड़ाने लगा। जैसे ही पतंग हवा में ऊँचाई पर गई, रोहन ने अचानक पतंग से एक आवाज सुनी, “मुझे और ऊँचा उड़ाओ!” रोहन घबरा गया लेकिन उसे समझ नहीं आया कि यह आवाज कहाँ से आ रही है।
पतंग फिर से बोली, “डरो मत, मैं एक जादुई पतंग हूँ। अगर तुम मुझे ऊँचा उड़ाओगे, तो मैं तुम्हें एक खजाने का रास्ता दिखाऊँगी।” रोहन ने अपने डर को किनारे रखते हुए पतंग को और ऊँचा उड़ाया। थोड़ी देर में पतंग ने उसे एक बादल के पीछे छुपे खजाने तक पहुंचा दिया।
खजाने में सोने-चांदी के सिक्के और कई अनमोल वस्तुएं थीं। लेकिन रोहन ने खजाने को अपने पास रखने के बजाय गाँव के गरीब लोगों में बांट दिया। इस काम से वह गांव का हीरो बन गया।
सीख: दूसरों की मदद करना सच्ची खुशी देता है।
कहानी 2: बोलने वाला तोता
सीमा को उसके जन्मदिन पर एक तोता मिला, जो हर चीज़ की नकल कर सकता था। वह तोता सीमा के साथ दिनभर बातें करता और उसकी आवाज़ की नकल करता। एक दिन, तोता घर से बाहर उड़ गया और गांव में घूमने लगा। वह हर किसी की बात सुनकर उसे ज़ोर ज़ोर से दोहराने लगा।
पहले पहले तो गांव के लोग तोते से परेशान हुए, लेकिन फिर एक दिन तोते ने एक चोर को पकड़वाने में मदद की। चोर गांव वालो के घरों में चोरी कर रहे थे, और तोता उन चोरों की हरकतों को देख रहा था।
तोते ने उसकी बातें ज़ोर से दोहराई, जिससे लोग समझ गए कि चोर घर में घोस गए। इसके बाद, तोता गांव का हीरो बन गया, और सीमा को उस पर गर्व महसूस हुआ।
सीख: सच बोलने और ईमानदारी से काम करने से हर मुश्किल हल हो सकती है।
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कहानी 3: आलसी भालू
जंगल में एक भालू रहता था, जिसे कुछ भी करना अच्छा नहीं लगता था। वह हमेशा सोता रहता और खाने की तलाश में कभी मेहनत नहीं करता। एक दिन, जंगल में भारी बारिश हुई और सभी जानवरों ने अपने खाने का इंतजाम पहले ही कर लिया था।
लेकिन भालू के पास खाने के लिए कुछ नहीं था। भूख से परेशान भालू ने सभी जानवरों से मदद मांगी। मगर जानवरों ने कहा, “तुम हमेशा आलसी बने रहते हो। अब मेहनत करके ही खाना मिलेगा।”
भालू ने अपनी गलती समझी और मेहनत करके खाना जुटाने लगा। धीरे-धीरे वह आलस्य छोड़कर मेहनती बन गया।
सीख: मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता।
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कहानी 4: जादुई पेंसिल
एक छोटा बच्चा मोहित जो हमेशा नई-नई चीजें बनाने की कोशिश करता था। एक दिन उसे एक जादुई पेंसिल मिली, जो किसी आम पेंसिल से बहुत अलग थी। जैसे ही उसने उस पेंसिल से चित्र बनाना शुरू किया, उसने देखा कि जो कुछ भी वह बनाता, वह असली में बदल जाता था!
पहले उसने एक बड़ा खेल का मैदान बनाया, और कुछ ही सेकंड में वह सचमुच सामने आ गया। स्कूल के सारे बच्चे मैदान में खेल रहे थे, और मोहित हैरान रह गया। फिर उसने कुछ और चित्र बनाए, जैसे एक सुंदर बगिया और एक झील। वह देखता ही रहा कि उसकी बनाई चीजें असली में बदल रही थीं।
अगले दिन, मोहित ने अपनी पेंसिल से स्कूल के खेल के मैदान को बड़ा किया, ताकि बच्चे अच्छे से खेल सकें। स्कूल के सभी बच्चे खुश हो गए, और मोहित को बहुत अच्छा लगा।
सीख: मोहित ने सीखा कि रचनात्मकता से न सिर्फ हमें खुशी मिलती है, बल्कि हम दूसरों की मदद भी कर सकते हैं।
कहानी 5: शैतान बंदर
गाँव में एक शैतान बंदर रहता था, जो हमेशा बच्चों का सामान चुराकर भाग जाता था। वह बच्चों के स्कूल बैग, किताबें, खाने का सामान और कभी-कभी उनके खिलौने भी चुराता था। बच्चे उससे बहुत परेशान थे, लेकिन बंदर को पकड़ने का कोई तरीका नहीं था। वह बहुत चालाक था और हमेशा किसी न किसी तरीके से बच निकलता था।
एक दिन, बच्चों ने तय किया कि अब वे इस शैतान बंदर से छुटकारा पाएंगे। सभी बच्चों ने मिलकर एक योजना बनाई। उन्होंने सोचा, “अगर हम इस बंदर को मजाक में फंसा दें, तो वो हमें परेशान नहीं करेगा।”
बच्चों ने पहले तो बंदर को अपनी तरफ आकर्षित किया। एक बच्चा अपनी किताबें नीचे रखकर खेलता हुआ दूर भाग गया। जैसे ही बंदर ने किताबों पर नजर डाली, उसने सोचा कि यह अच्छा मौका है, और उसने किताबें चुराकर भागने की कोशिश की। लेकिन तभी बाकी बच्चों ने उसे घेर लिया और उसका रास्ता रोक लिया।
बंदर बहुत घबराया और दौड़ने की कोशिश की, लेकिन बच्चे उसे ऐसे ही घेरकर हंसी-हंसी में कहते गए, “क्या बंदर, अब तुम्हारी शरारत नहीं चलेगी!” बंदर बहुत शर्मिंदा हुआ, और उसने तुरंत समझ लिया कि अब उसे बच्चों को परेशान नहीं करना चाहिए।
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