बच्चों की लिए जानवरों की 5 अनमोल कहानियां हिंदी में: Bachho ke liye easy aur fun kahaniyan
यहाँ प्रस्तुत हैं छोटे बच्चों के लिए सोने से पहले जानवरों की 5 अनमोल कहानियां, जो न केवल मनोरंजन करेंगी, बल्कि उन्हें नैतिक शिक्षा भी देंगी। इन कहानियों में मजेदार पात्र, रोचक घटनाएं और जीवन के महत्वपूर्ण सबक छिपे हैं। हर कहानी सरल हिंदी में लिखी गई है ताकि बच्चे आसानी से समझ सकें और उनका भरपूर आनंद उठा सकें। पढ़ें और बच्चों के सोने के समय को खास बनाएं।
कहानी 1: नन्हा हाथी और जल की शक्ति– Animals stories for kids in Hindi
घने जंगलो के बीचों-बीच एक छोटा-सा तालाब था, जहां सारे जानवर पानी पीने और खेलने आया करते थे। तालाब के पास ही एक नन्हा हाथी “मोटू” रहता था। मोटू बहुत प्यारा और सबकी मदद करने वाला था। वह रोज तालाब के पास जाकर पानी पीता, वहां के सभी पक्षियों और छोटे जानवरों की मदद करता और पूरा दिन तालाब के पानी में खूब मस्ती करता।
धीरे धीरे जंगल में गर्मियों का मौसम आया, और धीरे-धीरे तालाब का पानी सूखने लगा। जानवरों के लिए पानी की कमी बड़ी समस्या आ गई। हर कोई परेशान था। एक दिन, मोटू ने देखा कि उसकी प्यारी दोस्त “मुन्नी हिरण” पानी न मिलने के कारण उदास बैठी है। मोटू ने मुन्नी से पूछा, “क्या हुआ मुन्नी, तुम इतनी उदास क्यों हो?”
मुन्नी ने कहा, “मोटू, तालाब का पानी सूख चुका है। अब हमें पीने का पानी कहां मिलेगा?”
मोटू ने सोचा और कहा, “हम सब मिलकर इस समस्या का समाधान करेंगे। मैं एक बड़ा गड्ढा खोदूंगा, और हम उसमें पानी इकट्ठा करेंगे।”
अगले दिन सुबह ही मोटू ने तालाब के पास एक गड्ढा खोदना शुरू कर दिया। वह अपने बड़े-बड़े पैरों और सूंड का इस्तेमाल कर रहा था। मुन्नी और दूसरे जानवरो को भी धीरे-धीरे सब उसकी मदद के लिए आगे आए। बंदर ने मोटू को पत्थर हटाने में मदद की, खरगोश ने गड्ढे की सफाई की, और पक्षियों ने अपने पंखों से धूल हटाई।
मोटू और उसके दोस्तों ने मिलकर कई दिनों की मेहनत के बाद एक बड़ा गड्ढा खोदा। फिर, मोटू बाकि हाथियों के साथ पास की नदी से अपनी सूंड में पानी भरकर लाना शुरू किया। धीरे-धीरे गड्ढा पानी से भर गया।
गड्ढे में पानी देखकर सारे जानवर खुशी से झूम उठे। अब उनके पास पीने का साफ पानी था। मुन्नी ने मोटू से कहा, “मोटू, तुमने हमारी बहुत बड़ी समस्या हल कर दी। अगर तुम हमारी मदद नहीं करते, तो हमें नहीं पता था कि हम क्या करते।” मोटू मुस्कुराते हुए बोला, “हम सबने मिलकर यह किया है। जब हम एकजुट होते हैं, तो कोई भी समस्या बड़ी नहीं लगती।”
सीख: कठिन समय में एकजुटता और प्रयास से हर समस्या का समाधान हो सकता है।
कहानी 2: गिलहरियों और कबूतरों की दोस्ती -Bedtime moral stories for kids in Hindi Bachho ke liye easy kahaniyan
बहुत समय पहले की बात है। एक घना जंगल था, जहां तरह-तरह के जानवर और पक्षी रहते थे। जंगल के पास एक खेत में कबूतरों का झुंड अपना भोजन खोजने अक्सर आया करता था। एक दिन कबूतरों का झुंड खेत में दाना चुगने गया। उन्हें यह नहीं पता था कि वहां एक शिकारी ने जाल बिछाया हुआ है। जैसे ही उन्होंने दाना चुगना शुरू किया, पूरा झुंड जाल में फंस गया।
कबूतरों ने बहुत कोशिश की, लेकिन जाल से बाहर नहीं निकल पाए। झुंड का मुखिया बहुत समझदार था। उसने कहा, “हमें घबराना नहीं चाहिए। अगर हम मिलकर प्रयास करेंगे, तो इस मुसीबत से निकल सकते हैं।”
मुखिया ने सुझाव दिया कि सभी कबूतर अपने पंखों को एक साथ फड़फड़ाएं और जाल को लेकर उड़ने की कोशिश करें। सभी कबूतरों ने मिलकर ऐसा ही किया, और थोड़ी ही बाद प्रयास से वे जाल को लेकर उड़ने में सफल हो गए।
वे उड़ते-उड़ते पास के जंगल में पहुंचे, जहां गिलहरियों का झुंड रहता था। कबूतरों के मुखिया ने गिलहरियों के राजा से मदद मांगी। गिलहरियों के राजा ने बिना देर किए अपने दोस्तों को बुलाया। सभी गिलहरियों ने मिलकर अपने तेज दांतों से जाल को काटना शुरू कर दिया। कुछ ही समय में जाल कट गया, और सभी कबूतर आजाद हो गए।
कबूतरों ने गिलहरियों का धन्यवाद किया और वादा किया कि जब भी उन्हें मदद की जरूरत होगी, वे जरूर आएंगे।
कुछ समय बाद, जंगल में गिलहरियों पर बिल्लियों ने हमला कर दिया। चूहे इधर-उधर भागने लगे, लेकिन बचने का कोई रास्ता नहीं मिला। तभी कबूतरों का झुंड वहां आ गया। उन्होंने अपनी तेज चोंचों और पंखों से बिल्लियों का ध्यान भटकाया। गिलहरियों को भागने का मौका मिला, और उनकी जान बच गई।
उस दिन के बाद, गिलहरी और कबूतर अच्छे दोस्त बन गए। उनकी दोस्ती पूरे जंगल के लिए एक मिसाल बन गई।
सीख: सच्ची दोस्ती मुसीबत के समय में काम आती है।
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कहानी 3: बुलबुल और बंदर का सबक- सोने से पहले की कहानी: Hindi bedtime stories for kids
घने जंगल में एक सुंदर सा पेड़ था, जिस पर एक बुलबुल ने अपना घोंसला बनाया था। बुलबुल रोज मेहनत कर अपना घर सजाती और अपने छोटे-छोटे बच्चों की देखभाल करती। उसी पेड़ पर एक शरारती बंदर भी रहता था। बंदर को दूसरों को परेशान करने में बड़ा मज़ा आता था।
एक दिन बंदर ने बुलबुल का घोंसला हिला दिया, जिससे उसके अंडे गिरते-गिरते बचें। बुलबुल ने दुःखी होकर बंदर से कहा, “तुम्हारी इस शरारत से मेरे बच्चों को चोट लग सकती थी।” लेकिन बंदर ने उसकी बात को अनसुना कर दिया और ठहाके मारकर हसने लगा।
बुलबुल ने फिर समझाया, ” तुम मेरी बात यद् रखना बुरा काम करने से कभी किसी का भला नहीं होता, बल्कि एक दिन इसका नतीजा खुद तुम्हें भुगतना पड़ेगा।” बंदर ने इसे मजाक समझा और और ज्यादा शरारतें करने लगा।
कुछ दिनों बाद जंगल में तेज़ हवा और बारिश आई। पेड़ बहुत तेज़ी से हिलने लगे। बंदर मस्ती में पेड़ पर कूद रहा था कि अचानक उसका पैर फिसल गया और वह जमीन पर गिर पड़ा। उसे गंभीर चोट लग गई और वह दर्द से कराहने लगा।
बुलबुल ने उसे देखा और तुरंत उसकी मदद के लिए गई। उसने अपने दोस्तों की मदद से बंदर को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया और उसे आराम करने दिया। बंदर ने दर्द के बीच बुलबुल से कहा, “मैंने तुम्हारे घोंसले को नुकसान पहुंचाया, लेकिन तुमने फिर भी मेरी जान बचाई।”
बुलबुल ने मुस्कुराते हुए कहा, “दूसरों को नुकसान पहुंचाने से सिर्फ दूसरों का ही नहीं, बल्कि खुद का भी नुकसान होता है।” बंदर ने माफी मांगी और वादा किया कि वह अब कभी किसी को परेशान नहीं करेगा।
सीख: दूसरों को परेशान करने से खुद का ही नुकसान होता है। इसलिए हमें हमेशा दया और सद्भावना का रास्ता अपनाना चाहिए।
कहानी 4: खरगोश और गाजर का खेत: Bachho ke liye short moral kahaniyan
एक जंगल में एक प्यारा और चंचल खरगोश रहता था। उस खरगोश को गाजरें बहुत पसंद थीं। एक दिन, खेलते-खेलते उसे जंगल के पास एक बड़ा गाजर का खेत दिखा। खेत में लाल-लाल गाजरें देखकर खरगोश की आँखें चमक उठीं। उसने सोचा, “अगर ये सारी गाजरें मेरी हो जाएं, तो मैं कभी भूखा नहीं रहूंगा।”
खरगोश ने जल्दी-जल्दी खेत की गाजरें उखाड़नी शुरू कर दीं। वह दिन-रात खेत में मेहनत करता और सारी गाजरें अपने बिल में जमा करता। कुछ ही दिनों में खेत खाली हो गया। खरगोश बहुत खुश था और उसने सोचा कि अब उसे गाजरों की कोई कमी नहीं होगी।
लेकिन कुछ ही दिनों में उसकी जमा की गई गाजरें सड़ने लगीं। उनकी खुशबू खराब हो गई और खाने लायक नहीं रही। खरगोश के पास अब सड़ी हुई गाजरों के अलावा कुछ नहीं था। वह उदास हो गया और सोचने लगा कि उसने गाजरों का सही उपयोग क्यों नहीं किया।
उसी समय, जंगल के बाकि जानवर उसके पास आए। वे भूखे थे और खरगोश से मदद मांगने लगे। खरगोश को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने बची हुई अच्छी गाजरें जानवरों में बांट दीं। सभी जानवर खुश हो गए और उन्होंने खरगोश को धन्यवाद दिया।
उस दिन खरगोश ने एक बड़ी सीख ली। उसने खुद से वादा किया कि वह कभी भी लालच नहीं करेगा और जरूरत से ज्यादा चीजें इकट्ठा नहीं करेगा।
सीख: लालच का परिणाम हमेशा बुरा होता है। जो चीजें हमें चाहिए, उतनी ही इकट्ठा करनी चाहिए और दूसरों के साथ बांटने से खुशी मिलती है। यह कहानी बच्चों को सिखाती है कि संतोष और साझा करने की आदत से जीवन सुखमय बनता है।
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कहानी 5: गौरैया की मेहनत और समझदारी- Mazedar bedtime stories for kids in Hindi
एक बार की बात है, जंगल के किनारे एक विशाल पेड़ की शाखा पर एक गौरैया का घोंसला था। गौरैया बहुत मेहनती और समझदार थी। वह हमेशा अपने घोंसले की देखभाल करती और उसे मजबूत बनाए रखती। गर्मियों के दिनों में, जब सब पक्षी आराम करते, तब भी गौरैया अपने घोंसले को और सुरक्षित बनाने में लगी रहती थी।
बरसात का मौसम करीब आ रहा था। गौरैया ने देखा कि बादल घिर आये और तेज हवाएं चलने लगी। उसने अपने घोंसले की मजबूती के लिए छोटे-छोटे तिनके और पत्ते जमा करने शुरू कर दिए। वह पूरे दिन मेहनत करती और अपनी चोंच में तिनके लेकर आती।
पड़ोसी पक्षी, जैसे तोते और कबूतर, उसकी इस मेहनत पर हंसते। वे कहते, “तू बेकार में इतनी मेहनत क्यों कर रही है? बारिश तो कुछ ही दिनों की होती है। हमें तो कोई फर्क नहीं पड़ता।” लेकिन गौरैया उनकी बातों पर ध्यान दिए बिना अपने काम में लगी रही।
कुछ दिनों बाद, बारिश शुरू हो गई। तूफानी हवाएं चलने लगीं और भारी बारिश से कई पक्षियों के घोंसले गिर गए। जो पक्षी गौरैया का मजाक उड़ा रहे थे, वे खुद सुरक्षित जगह ढूंढने के लिए इधर-उधर भटकने लगे। लेकिन गौरैया का घोंसला बिल्कुल सुरक्षित था। उसने अपने अंडों को गर्म और सूखा रखा।
बारिश के बाद, जब सूरज निकला, तो सारे पक्षी गौरैया के पास आए। उन्होंने उसकी मेहनत और दूरदर्शिता की तारीफ की। एक तोते ने कहा, “हमने तुम्हारा मजाक उड़ाया था, लेकिन अब समझ आया कि मेहनत और तैयारी क्यों जरूरी है।”
गौरैया ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेहनत करने वाला कभी नहीं हारते। तैयारी हमें मुसीबत से बचाती है।”
सीख: मेहनत और तैयारी सफलता की कुंजी है। कठिन परिस्थितियों से बचने के लिए समय रहते काम करना जरूरी है।
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