Badon Ka Adar: बड़ों का आदर बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा
शिवम् से गांव में रहने वाला एक होशियार और जिज्ञासु लड़का रहता था। वह पढाई के साथ साथ खेल-कूद में भी बहुत तेज़ था। मगर एक एक आदत थी जो बिलकुल ठीक नहीं थी – वह अक्सर अपने से बड़ों की बातों को नजरअंदाज कर देता था। उसे लगता की वह सबकुछ जनता है उसे किसी की कोई जरूरत नहीं है।
गांव में शिवम् अपने छोटे से परिवार के साथ रहता था जिसमे जिसमें उसकी माँ, पिताजी, छोटी बहन और दादा जी, दादी रहती थीं। शिवम् की दादी उसे हमेशा उसे अच्छे संस्कार और बड़ो का आदर करना चाहिए ये बाते सिखाती लेकिन शिवम् अपने दादी की बातो पर ध्यान नहीं देता और उनकी बातो को को पुरानी और बोरिंग समझता था। जब भी दादी उसे कुछ समझाने की कोशिश करतीं, वह कहता- दादी, ये सब पुरानी बातें हैं, मैं खुद जानता हूँ कि मुझे क्या करना चाहिए।
एक दिन गाँव के स्कूल में एक बड़ी खेल की प्रतियोगिता होने जा रही था। शिवम भी उसमें भाग लेना चाहता था और उसे यकीन था कि वह जीत जाएगा। उसने घर आ कर अपने परिवार को खेल प्रतियोगिता बारे में बताया। फिर अलगे दिन इस सुबह-सुबह उसकी दादी ने शिवम् बुलाया और कहा, शिवम, तुम्हें खेल प्रतियोगिता के लिए जाने से पहले भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए। भगवान की कृपा हमेशा सफलता दिलाती है। लेकिन उनसे इन बातो पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया।
Badon ka adar- अनुभव का पाठ
प्रतियोगिता शुरू हुई और शिवम बहुत ही आत्मविश्वास से खेल रहा था। लेकिन कुछ ही देर बाद, उसकी टीम हारने लगी। शिवम जितनी मेहनत करता, उतनी ही उसकी स्थिति खराब होती जा रही थी। आखिरकार, प्रतियोगिता में उसकी टीम हार गई। शिवम बहुत निराश हो गया और घर लौट आया। उसे अपनी असफलता का कारण समझ नहीं आ रहा था।
घर आते ही उसकी दादी ने पूछा, “शिवम, क्या हुआ? तुम इतने निराश क्यों हो?” शिवम ने बताया कि उसकी टीम हार गई, और वह यह समझ नहीं पा रहा था कि इतनी मेहनत करने के बाद भी वह क्यों हार गया।
बड़ों का आशीर्वाद
दादी ने शिवम को प्यार से समझाया, “बेटा, मेहनत और अभ्यास अपनी जगह पर बिलकुल सही हैं, लेकिन कभी कभी बड़ों का आशीर्वाद भी बहुत मुश्किलों में सहायक बनता हैं। जब हम बड़ों का सम्मान करते हैं और उनकी बातो मानते हैं, तो भगवान भी हमारी मदद करते हैं। आज तुमने मेरी बात को नजरअंदाज किया और बिना आशीर्वाद के प्रतियोगिता में गए, शायद इसी वजह से तुम्हें सफलता नहीं मिली।” जीवन में अपनों से बड़ो का आशीर्वाद बहुत जरुरी होता है।
शिवम ने अपनी दादी की बातों को आज ध्यान से सुना और उसे अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने अपनी दादी से माफी मांगी और कहा, “दादी, अब से मैं आपकी बातो को सुनूंगा और अपने से बड़ों का आदर करूंगा।”
इसके बाद से शिवम ने बड़ों का आदर (Badon ka adar) करना शुरू कर दिया। वह हर दिन अपने माता-पिता और दादी का आशीर्वाद लेकर अपने दिन की शुरुआत करता। कुछ ही समय बाद फिर से खेल प्रतियोगिता हुई, और इस बार शिवम ने प्रार्थना की, दादी का आशीर्वाद लिया और खूब अभ्यास भी किया। इस बार उसकी टीम ने शानदार जीत हासिल की।
शिवम ने सीखा कि मेहनत और अभ्यास जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है बड़ों का आदर (Badon ka adar) और आशीर्वाद। बड़ों का अनुभव जीवन में सही मार्गदर्शन करता है, और उनकी सलाह से हमेशा सफलता मिलती है।
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