भक्त राजा सोचने पर मज़बूर कर देगी भक्तों के जीवन की सच्ची ये कहानी
Spiritual Stories in Hindi: एक राजा थे जिन्हे अपने जीवन में पहले कभी किसी संत का संग मिला होगा। उस संत संग से उन्हें लगन लग गई राजा ठाकुर जी का कन्हैया नाम जपते थे। हर समय कन्हैया, कन्हैया, कन्हैया ऐसा हर समय जपते थे। राजा थे लगन लग गई उनको हर समय कन्हैया, कन्हैया भगवान के नाम में भाव विभोर रहते थे।
भक्ति बढ़ती गई राजा काज भी चल रहा था, और भगवान के भाव में भी भक्त राजा हर समय मग्न रहते थे। उस राज्य में ही एक ब्राह्मण रहते थे जो सभा में कभी कभी आते थे। उस ब्राह्मण ने देखा तो कन्हैया कन्हैया कहते लगभग पागल हो ही गया है। तो इस से कुछ अपना काम भी निकला जाना चाहिए। उस ब्राह्मण की बेटी का विवाह था। उसे पैसे कम पड़ रहे थे विवाह में ब्राह्मण ने राजा से पैसे निकलवाने की तरक़ीब लगाई।
तब उस ब्राह्मण ने एक पत्र लिखा और ठाकुर जी के नाम से पत्र लिखा जैसे कन्हैया ने भेजा हो। और उस पत्र में क्या लिखा? मै कन्हैया यहाँ पर कुशल हूँ आशा है तुम भी कुशल होंगे। इस पंडित जी को भेज रहा हूँ। पत्र को पढ़कर के इन पंडित जी को एक हज़ार रुपया नगद दे दो। राजा को देने के लिए पंडित जी ने वो पत्र अपने तरफ ऐसे ही लिख लिया।
अब ब्राह्मण पंडित वो पत्र लेकर पहुंच गया राजा के दरबार में तब पंडित ने मंत्री से कहा कहा ये पत्र है हमारी याचिका आप दीजिये राजा को तब राजा पत्र पढ़ा।
राजा ने कहा पंडित जी ठीक है आप कल पधारिये महल में में आपकी सेवा करुगा। राजा ने पत्र माथे से लगाया ह्रदय से लगया बड़े प्रसन्न हो गए पंडित को प्रणाम भी किया।
भक्त राजा महल में आगे लेकिन राजा के मंत्री बहुत समझदार थे। मंत्री रात को मिलने आये राजा से और बोले महाराज उस पंडित को एक रुपया मत दे देना। धूर्त है एक नंबर का वो पंडित वो ऐसे ही लोगो के साथ ठगी करता है। भक्त राजा ने कहा क्या मंत्री बोले महाराज क्या भगवान किसी से पैसा मँगवायेंगे, इतने ही उस पंडित के घर कन्हैया के पत्र आ रहे है कन्हैया के यहाँ पैसे की कमी है क्या भगवान तो सबको अर्थ,धर्म , काम, मोक्ष देने वाले है उन्हें क्या पैसो की कमी।
महाराज ये पंडित धूर्त है ये कोई भगवान का पत्र नहीं है ये पंडित इसे खुद से लिख कर लाया है इसको हज़ार रुपया चाहिए। तो आप उसे कह दे की भगवान के घर क्या कमी जो वो मुझे पैसे लेंगे। महाराज आप उसे बोल दो ऐसे तो रोज़ लोग कन्हैया के नाम से पत्र लिख कर ले आयंगे।
Read more- महाराज मुचुकुन्द जी का चरित्र
तब कहा ये बहुत काम की बात है। भक्त राजा ने कहा मंत्री जी ये तो मुझे भी पता है ये झूठी चिठ्ठी है। मै इस लायक नहीं की भगवान मुझे चिठ्ठी लिखकर भेजें। मै जानता हूँ ये झूठी चिट्टी पंडित ने खुद ही लिखी है। लेकिन फिर भी मै पंडित को हज़ार रुपया दे दूंगा। मंत्री बोले महाराज आप सब जानकर भी उन्हें पैसे क्यों देना चाहते है? मंत्री आज मेरे ठाकुर की झूठी चिट्टी आई है किसी दिन सच्ची चिठ्ठी भी आएगी। मुझे विश्वास है मेरे ठाकुर मुझे एक दिन सच्ची चिट्ठी भी भजेंगे।
भगवान हम सभी को इतना प्यार करने वाले है। उनके लिया झूठ में भी कुछ अच्छा किया जाये तो वे इतने दयालु है। उस झूठे प्यार को भी वे सच का स्वीकार कर लेते है।
Table of Contents