Budhiman kharagosh story for kids in hindi
Budhiman kharagosh: एक जंगल में एक बुद्धिमान खरगोश रहता था। उस जंगल में वह खरगोश सभी जानवरों में बहुत ही चतुर और होशियार था। वह पास के गाँव के लोगों के बीच बहुत पसंद किया जाता था। बच्चे उसके साथ खेलने जंगल में आते थे लेकिन उसमे एक दोष था, वह बहुत अभिमानी था। वह चतुर खरगोश जंगल के सभी जानवरो मे खुद को बहुत होशियार समझता था।
एक दिन, उसने अपने मित्रों के साथ एक बहुत ही रोचक खेल खेला। उसने सभी मित्र जानवरो के साथ दौड़ लगाई खेल के दौरान, वह बहुत ही शानदार तरीके से दौड़ रहा था। उसने अपने मित्रों को पीछे छोड़ दिया और अपनी ताकत और चतुराई का प्रदर्शन किया। बुद्धिमान खरगोश दौड़ते दौड़ते थक गया और सोचा अभी तो मेरे सभी दोस्त बहुत पीछे रह गए है क्यों ना मैं थोड़ा आराम लूँ।
फिर थोड़ी देर बाद उसने किसी के पास आने की आवाज़ सुनी और चतुर खरगोश ने अपनी चतुराई लगाई और समझ गया मेरे सभी मित्र नज़दीक आ गये है फिर उसने भी दौड़ना शुरू किया खेल के अंत में, उसने अपने मित्रों को हरा दिया और उसने खुद को विजेता घोषित किया। वह बहुत ही गर्वित महसूस कर रहा था।
लेकिन इसके बाद, उसे बड़ी सच्चाई का सामना करना पड़ा। जब वह अकेला घर की ओर चला रहा था, तो उसने अपने आप को एक शिकारी के जाल के में फंसा पाया। उसने कोशिश की जाल को उठाने की, लेकिन वह बहुत ही भारी था। उसने अनेक बार प्रयास किया, लेकिन वह अकेले में उसे हटाने में असमर्थ था। तब उस चतुर खरगोश की चतुराई भी काम नहीं आई और सोचने लगा अब मेरा क्या होगा?
तब उसने समझा कि उसका अभिमान ने उसे अकेले यहाँ फंसा दिया है। उसने अपने मित्रों के साथ की बातों को याद किया, जिनमें उन्होंने एक साथ मिलकर चलने और सहयोग के साथ रहने की बात की थी।
उसने खुद को समझाया कि अभिमान का अधिक होना हमें अकेला बना देता है अभी मैं अपनी मित्रो के साथ होता तो मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं होता। ये सब वह सोच ही रहा था की वहां अचानक उसके सभी दोस्त आ गए और फिर उसने अपने मित्रों की मदद मांगी और वे सभी मिलकर उसे शिकारी के जाल से बाहर निकाल लिया।
इस घटना ने उसकी सोच को बदल दिया। उसने समझा कि अभिमान की जगह, सहयोग और साझेदारी ही उसे सफलता की राह में आगे बढ़ा सकती है। उसने अपने अभिमान को खत्म किया और अपने मित्रों के साथ मिलकर हर मुश्किल का सामना किया।
वह जीवन में अब अधिक खुश और संतुष्ट महसूस करने लगा। उसने समझा कि जीवन की सफलता में अभिमान का स्थान नहीं है, बल्कि सहयोग और साथ की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रहती है।
यह बुद्धिमान खरगोश (Budhiman kharagosh) की कहानी हमें यह सिखाती है कि गर्व और अभिमान के बदले हमें सहयोग और साझेदारी को महत्व देना चाहिए। जब हम साथ मिलकर काम करते हैं, तो हम हर मुश्किल को आसानी से पार कर सकते हैं और सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं।
इसीलिए, हमें अपने अभिमान को सावधानी से नियंत्रित करना चाहिए और हमेशा सहयोग और साझेदारी की महत्वता को समझना चाहिए। यह हमें अधिक सकारात्मक और सतत सफलता की दिशा में ले जाता है। जैसे बुद्धिमान खरगोश (Budhiman kharagosh) ने सीखा अपनी बुद्धिमानी को सही जगह पर लगा कर असली बुद्धिमान वही है जो सबके साथ और सबको लेकर आगे बढ़ता है और हमेशा खुश रहता है।
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