Grandma’s Classic Bedtime Stories – दादी-नानी की सर्वश्रेष्ठ कहानियां
बचपन में सुनी गई दादी-नानी की कहानियां हमेशा हमारे दिलों में बस जाती हैं। ये कहानियां सिर्फ मनोरंजन का जरिया नहीं होतीं, बल्कि हमें नैतिकता, ईमानदारी, धैर्य और समझदारी का पाठ भी पढ़ाती हैं। आज हम आपके लिए 5 बेहतरीन दादी-नानी की सर्वश्रेष्ठ कहानियां लेकर आए हैं, जो बच्चों के लिए मजेदार भी हैं और ज्ञानवर्धक भी।
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🐿️ चतुर गिलहरी और जंगल की आग
गहरे और हरे-भरे जंगल में एक छोटी सी चतुर गिलहरी रहती थी। वह बहुत फुर्तीली और समझदार थी। जंगल में सभी जानवर उसे पसंद करते थे क्योंकि वह हमेशा किसी न किसी की मदद करने के लिए तैयार रहती थी।
एक दिन दोपहर के समय तेज़ धूप और गर्मी के कारण जंगल में एक पेड़ में आग लग गई। धीरे-धीरे वह आग फैलने लगी और पूरा जंगल उसकी चपेट में आ गया। आग की लपटें ऊँची उठ रही थीं और धुआँ चारों ओर फैल गया। जंगल के सभी जानवर डर गए और अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। हाथी, हिरण, खरगोश, बंदर और पक्षी सभी जंगल छोड़कर भाग रहे थे।
गिलहरी भी इस आग को देखकर घबरा गई, लेकिन उसने सोचा, “अगर हम सब भाग गए, तो यह जंगल पूरी तरह जलकर राख हो जाएगा। कुछ तो करना चाहिए!” उसने तुरंत पास की नदी का रुख किया और अपनी छोटी-सी पूंछ को पानी में भिगोकर आग पर छिड़कने लगी।
बड़े जानवरों ने यह देखा और हँसने लगे। शेर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा, “अरे गिलहरी, तुम्हारी छोटी-सी पूंछ से आग कैसे बुझेगी? यह नामुमकिन है!”
हाथी ने भी मज़ाक में कहा, “तुम्हारी मेहनत बेकार है, भाग जाओ, नहीं तो आग में जल जाओगी!” लेकिन चतुर गिलहरी ने किसी की परवाह नहीं की और बार-बार नदी में जाकर अपनी पूंछ गीली करती और आग पर पानी डालती रही।
चतुर गिलहरी की लगन और निडरता देखकर जंगल के देवता बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने तुरंत काले बादलों को बुलाया और देखते ही देखते पूरे जंगल में मूसलधार बारिश होने लगी। कुछ ही समय में आग बुझ गई और जंगल फिर से हरा-भरा हो गया।
सभी जानवरों को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने गिलहरी से माफी मांगी और उसकी बहादुरी की प्रशंसा की। शेर ने कहा, “हम बड़े होकर भी डरकर भाग गए, लेकिन तुमने हिम्मत नहीं हारी।”
🌟 सीख:
✅ कोई भी समस्या इतनी बड़ी नहीं होती कि उसका हल न निकाला जा सके।
✅ अगर हम मेहनत और लगन से कुछ करने की ठान लें, तो असंभव भी संभव हो सकता है।
✅ बुद्धिमानी और हिम्मत से बड़ी से बड़ी मुसीबत को हराया जा सकता है।
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अभय की दादी की सीख – 🍲 घर का खाना सबसे अच्छा(Dadi nani ki kahani)
अभय एक शहर में रहने वाला दस साल का बच्चा था। उसे बाजार में मिलने वाले पिज्जा, बर्गर और चिप्स बहुत पसंद थे। जब भी उसे भूख लगती, वह फटाफट मोबाइल पर फूड डिलीवरी ऐप खोलकर ऑर्डर कर देता। उसकी माँ और दादी उसे समझातीं कि बाहर का खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता, लेकिन अभय उनकी बातों को हल्के में लेता था।
एक दिन, अभय की दादी ने उसे सिखाने का एक अनोखा तरीका सोचा। उन्होंने कहा, “बेटा, आज तुम्हें अपनी पसंद की चीजें खिलाऊंगी, बस तुम्हें मेरे साथ रसोई में थोड़ा समय बिताना होगा।” अभय खुशी-खुशी मान गया।
दादी ने घर पर ही आटे से पिज्जा बेस बनाया, ताजे टमाटरों से सॉस तैयार किया, और सब्जियों के साथ टॉपिंग की। जब पिज्जा ओवन में था, तब दादी ने हंसते हुए कहा, “बाजार के खाने में क्या-क्या पड़ता है, यह हम नहीं जानते, लेकिन जब हम खुद बनाते हैं, तो हमें हर चीज की शुद्धता का पता होता है।”
जब पिज्जा तैयार हुआ, तो उसकी खुशबू ही अलग थी। अभय ने पहला टुकड़ा चखा और मुस्कुराकर बोला, “दादी, यह तो बाजार वाले पिज्जा से भी ज्यादा स्वादिष्ट है!”
दादी ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, “देखा बेटा, जब खाना शुद्ध होता है और उसमें प्यार जुड़ा होता है, तो उसका स्वाद भी बढ़ जाता है।”
उस दिन के बाद, अभय ने बाहर का खाना कम कर दिया और घर का पौष्टिक भोजन खाने की आदत डाल ली।
📖 सीख:
👉 घर का खाना सबसे स्वादिष्ट और सेहतमंद होता है।
👉 बड़ों की बातों में हमेशा गहरी सीख छुपी होती है।
👉 शुद्ध और प्यार से बना खाना हमें हमेशा स्वस्थ रखता है।
गरीबी की मार – संघर्ष से सफलता की ओर
छोटे से गाँव में अजय नाम का एक लड़का रहता था। उसका परिवार बहुत गरीब था। उसके पिता मजदूरी करते थे और माँ दूसरों के घर काम करके कुछ पैसे कमाती थी। लेकिन फिर भी, घर में कभी-कभी खाने तक के लाले पड़ जाते थे।
अजय पढ़ाई में बहुत अच्छा था, लेकिन गरीबी की वजह से स्कूल की फीस देना मुश्किल था। कई बार उसे बिना किताबों के ही पढ़ाई करनी पड़ती थी। गाँव के कई बच्चे उसका मजाक उड़ाते थे, लेकिन अजय ने कभी हार नहीं मानी। वह रोज़ सुबह अखबार बेचने निकल जाता और रात को स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठकर पढ़ाई करता।
एक दिन उसके पिता बीमार पड़ गए, जिससे घर की हालत और भी खराब हो गई। अब अजय को स्कूल छोड़ने का डर सताने लगा। लेकिन उसकी माँ ने कहा, “मुश्किलें हमें तोड़ने नहीं, बल्कि मजबूत बनाने आती हैं।” यह सुनकर अजय ने मेहनत और बढ़ा दी।
अजय की लगन और मेहनत देखकर गाँव के एक शिक्षक ने उसकी मदद करने का फैसला किया। उन्होंने अजय को मुफ्त में पढ़ाया और उसकी परीक्षा की फीस भी भर दी। अजय ने परीक्षा में टॉप किया और उसे एक अच्छे कॉलेज में दाखिला मिल गया।
सालों बाद, अजय एक बड़ा अधिकारी बन गया। जब वह गाँव लौटा, तो वही लोग, जो कभी उसका मजाक उड़ाते थे, आज उसकी तारीफ कर रहे थे। उसने गाँव के गरीब बच्चों के लिए एक स्कूल खोला, ताकि कोई और बच्चा उसकी तरह संघर्ष न करे।
सीख:
👉 गरीबी कोई बाधा नहीं, बल्कि मेहनत करने की प्रेरणा होती है।
👉 कठिनाइयों में हिम्मत और संघर्ष ही सफलता की कुंजी होती है।
👉 सच्ची मेहनत कभी बेकार नहीं जाती।
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राजा का घमंड और साधु की सीख
प्राचीन समय की बात है, राजा विक्रम अपने राज्य में अपनी बुद्धिमानी और शक्ति के लिए प्रसिद्ध था। लेकिन समय के साथ वह अहंकारी हो गया और अपनी प्रजा को तुच्छ समझने लगा। उसे लगता था कि उसकी सत्ता अटूट है और उसे कोई पराजित नहीं कर सकता।
एक दिन दरबार में एक वृद्ध साधु आया। उसने राजा को प्रणाम किया और कहा, “राजन, मैं दूर-दूर की यात्राएँ करता हूँ और ज्ञान अर्जित करता हूँ। सुना है, आप सबसे बुद्धिमान और शक्तिशाली राजा हैं। क्या मैं आपसे तीन प्रश्न पूछ सकता हूँ?“
राजा ने गर्व से हाँ में सिर हिलाया।
साधु ने पूछा, “राजा और सेवक में क्या अंतर होता है?”
राजा हँस पड़ा और बोला, “राजा आदेश देता है और सेवक उसका पालन करता है। राजा शक्तिशाली होता है, सेवक निर्बल।”
साधु मुस्कुराया और चुप रहा।
साधु ने फिर पूछा, “यदि एक दिन तुम्हारा सारा धन और सेना खत्म हो जाए तो तुम क्या करोगे?”
राजा थोड़ा विचलित हुआ लेकिन बोला, “मैं अपनी बुद्धिमानी से सब वापस पा सकता हूँ!”
अब साधु ने कहा, “राजन, यदि कोई तुम्हें पराजित कर दे और तुम्हारा राज्य छीन ले, तब भी क्या तुम राजा रहोगे?”
यह सुनकर राजा कुछ क्षण के लिए चुप हो गया। वह सोच में पड़ गया। साधु ने आगे कहा, “राजा, तुम्हारी शक्ति, सेना, और वैभव सब अस्थायी हैं। यदि तुम्हारा घमंड तुम्हें अंधा कर देगा, तो एक दिन यह तुम्हें बर्बाद कर सकता है।”
राजा को अपनी भूल समझ आ गई। उसने साधु के चरणों में गिरकर क्षमा मांगी और प्रतिज्ञा की कि वह अब विनम्र रहेगा और अपनी प्रजा की भलाई के लिए कार्य करेगा।
राजा का घमंड सीख:
👉 अहंकार व्यक्ति को अंधा कर देता है और अंततः उसे बर्बाद कर देता है।
👉 सच्ची शक्ति विनम्रता में होती है।
👉 जो व्यक्ति अपनी भूल सुधारता है, वही सच्चा राजा होता है।
नेक दिल बच्चा और जादुई तालाब
एक छोटे से गांव में शंकर नाम का लड़का अपनी माँ के साथ रहता था। वह बहुत नेकदिल और दयालु था। उसे सभी जानवरों और पक्षियों से बहुत लगाव था। हर दिन वह अपने खेतों के पास बने तालाब में मछलियों को दाना डालने जाता था।
एक दिन, शंकर ने देखा कि तालाब का पानी सूखता जा रहा था और उसमें रहने वाली मछलियाँ तड़प रही थीं। गाँव के लोग इसे कोई साधारण बात समझकर अनदेखा कर रहे थे, लेकिन शंकर से यह देखा नहीं गया। वह तुरंत अपने छोटे-से घड़े में पानी भरकर तालाब में डालने लगा। पूरा दिन बीत गया, लेकिन शंकर रुका नहीं।
जब रात हुई, तो तालाब अचानक चमकने लगा और उसमें से एक बूढ़े संत प्रकट हुए। उन्होंने कहा, “शंकर, तुम्हारी दया ने इस तालाब को फिर से जीवित कर दिया। मैं तुम्हें एक वरदान देना चाहता हूँ।”
शंकर ने हाथ जोड़कर कहा, “मुझे कोई वरदान नहीं चाहिए, बस यह तालाब हमेशा भरा रहे ताकि कोई भी मछली तड़पे नहीं।”
संत मुस्कुराए और बोले, “तुम्हारा दिल बहुत बड़ा है, इसलिए यह जादुई तालाब कभी नहीं सूखेगा और यह गाँव हमेशा खुशहाल रहेगा।” अगले ही पल, तालाब का पानी फिर से भर गया, और पूरे गाँव में हरियाली छा गई।
जादुई तालाब सीख:
👉 सच्ची दया बिना किसी स्वार्थ के होती है।
👉 दूसरों की भलाई करने से हमेशा सुख और समृद्धि मिलती है।
👉 नेकदिल इंसान की मदद खुद ईश्वर भी करता है।