कहानी 1: होली के रंगों में छुपी सच्ची खुशी
होली का त्योहार आने वाला था। पूरे गांव में खुशियों का माहौल था। बच्चे होली की तैयारी में रंग और पिचकारियां खरीद रहे थे। रोहन और उसका दोस्त समीर भी बहुत उत्साहित थे। उन्होंने बाजार से रंग-बिरंगी पिचकारी और कई तरह के गुलाल खरीद लिए। पूरे गांव में चारों ओर रंग ही रंग दिखाई दे रहे थे। बच्चों के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी।
होली के दिन रोहन ने जल्दी उठकर नई पिचकारी में रंग भरा और समीर के घर चला गया। दोनों ने खूब होली खेली और एक-दूसरे को रंग लगाया। तभी उन्होंने देखा कि एक बच्चा मोहित उदास कोने में बैठा हुआ है। मोहित के पास न तो रंग थे और न ही पिचकारी। वह बस बच्चों को खेलते हुए देख रहा था। उसके कपड़े भी पुराने और फटे हुए थे।
रोहन ने समीर से कहा, “समीर, चलो मोहित के साथ खेलते हैं।”
समीर ने कहा, “पर उसके पास तो रंग ही नहीं हैं।”
रोहन ने मुस्कुराते हुए कहा, “तो क्या हुआ? हमारे पास तो हैं न!”
रोहन ने अपनी पिचकारी से मोहित को रंग दिया और समीर ने उसे गुलाल से रंग दिया। मोहित की उदासी खुशी में बदल गई। उसने हंसते हुए कहा, “धन्यवाद, तुमने मेरी होली को खास बना दिया।”
इसके बाद तीनों ने मिलकर खूब मस्ती की। मोहित के चेहरे पर जो खुशी थी, वह शब्दों में बयां नहीं की जा सकती थी। तभी गांव के बाकी बच्चे भी उनके साथ आ गए और सबने मिलकर होली खेली। गांव का माहौल और भी खुशनुमा हो गया।
शाम को रोहन ने कहा, “होली सिर्फ रंग लगाने का त्योहार नहीं है, बल्कि दूसरों को खुश करने का भी है।” समीर और मोहित ने सहमति में सिर हिलाया। उन्होंने महसूस किया कि असली खुशी दूसरों को खुश करने में ही है।
उस दिन होली के रंगों के साथ-साथ प्यार और दोस्ती का रंग भी हर किसी के दिल में समा गया। मोहित के लिए यह होली उसकी जिंदगी की सबसे खास होली बन गई थी।
सीख: सच्ची खुशी दूसरों की मदद करने और उन्हें खुश देखने में है।
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कहानी 2: पिचकारी का जादू
राधा और मोहित बहुत अच्छे दोस्त थे। इस बार होली पर मोहित ने एक नई पिचकारी खरीदी थी, जो बहुत खास थी। जब मोहित ने उस पिचकारी से रंग डाला तो रंग हवा में चमकने लगे और सबके चेहरे पर मुस्कान आ गई।
राधा ने कहा, “वाह! यह तो जादू की पिचकारी है!”
मोहित ने कहा, “हाँ, लेकिन मैं इसे सिर्फ खास दोस्तों के लिए इस्तेमाल करूंगा।”
थोड़ी देर बाद एक गरीब बच्चा वहां आया और बोला, “क्या मैं भी होली खेल सकता हूँ?”
मोहित ने कहा, “नहीं, ये मेरी खास पिचकारी है। मैं इसे सिर्फ अपने दोस्तों के लिए लाया हूँ।”
राधा ने मोहित से कहा, “मोहित, होली का असली मतलब है सबको साथ लेकर खेलना। खुशियां बांटने से बढ़ती हैं।”
मोहित को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने बच्चे को बुलाया और कहा, “आओ, हम साथ में खेलते हैं।”
बच्चे ने खुशी से पिचकारी ली और रंग डालने लगा। सब मिलकर हंस रहे थे। मोहित को महसूस हुआ कि सच्ची खुशी सिर्फ खुद तक सीमित रखने में नहीं, बल्कि दूसरों के साथ बांटने में है।
उस दिन मोहित की पिचकारी का जादू सिर्फ रंगों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उसने सबके दिलों में खुशी भर दी।
सीख: खुशी और दोस्ती का असली जादू तभी चलता है जब हम उसे सबके साथ बांटते हैं।