Mendhak aur Kekada kahani for kids
एक बार की बात है, एक बहुत ही सुंदर तालाब में एक मेंढक रहता था। वह अपने तालाब के पानी में बहुत खुश रहता था। मेंढक के पास एक अच्छा सा मित्र था, जो उसके साथ हमेशा रहता था। वह एक केकड़ा था। वे दोनों उस तालाब में साथ ही रहते है तालाब के सभी जीव उनकी दोस्ती की मिसाल दिया करते थे।
मेंढक और केकड़ा ( Mendhak aur Kekada) की दोस्ती बहुत पुरानी थी। वे हमेशा एक-दूसरे का साथ देते थे और हमेशा एक-दूसरे के साथ खेलते थे। मेंढक कभी भी अकेला महसूस नहीं करता था, क्योंकि उसके मित्र केकड़ा हमेशा उसके पास होता था।
एक दिन, अचानक बारिश होने लगी। बारिश के साथ-साथ तालाब का पानी बढ़ने लगा। मेंढक को लगा कि यह बढ़ता पानी उसके और केकड़ा के लिए खतरा बन सकता है। वह तुरंत केकड़ा के पास गया और उसे बताया।
मेंढक ने कहा, “केकड़ा, हमें जल्दी से तालाब से बाहर निकलना चाहिए। बारिश के कारण पानी बढ़ रहा है और हमारी सुरक्षा के लिए यह खतरनाक हो सकता है।” ये बढ़ता पानी हमें बहा लें जा सकता है हमें जल्दी यहाँ से निकलना होगा। और किसी सुरक्षित स्थान पर जाना होगा।
केकडे ने मेंढक की बात मान ली और उन्होंने साथ मिलकर तालाब से बाहर निकलने का निर्णय किया। वे मिलकर तालाब की निचाई से उच्चाई की ओर गए। बारिश के पानी में तेज धारा बह रही थी, लेकिन मेंढक और केकड़ा ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ा और साथ मिलकर बाहर निकलने का प्रयास किया।
धीरे-धीरे, उन्होंने तालाब के किनारे तक पहुँच गए। उन्होंने एक सुरक्षित स्थान पर जाकर रुक गए। केकडे ने मेंढक को धन्यवाद दिया क्योंकि उसके बिना वह तालाब से निकलने में सक्षम नहीं था।
इसके बाद, मेंढक और केकड़ा ( Mendhak aur Kekada) ने एक दूसरे का साथ देते हुए खुशी से एक दूसरे की ओर देखा। उन्होंने एक-दूसरे के लिए एक सहायक साबित होने का एहसास किया और साथ मिलकर हर मुश्किल को पार किया।
तालाब का पानी धीरे-धीरे समान होने लगा, और मेंढक और केकड़ा ने फिर से अपने साथीयों के साथ खेलना शुरू किया। उनकी दोस्ती और साथीपन की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें अपने दोस्तों का साथ हमेशा देना चाहिए, चाहे जीवन की कितनी भी मुश्किलें आ जाएं।
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