नन्हा कछुआ बच्चों की कहानियां मजेदार
नन्हा कछुआ की कहानी: एक घने जंगल के पास एक बड़ा तालाब था, जिसमें बहुत से जानवर रहते थे। तालाब के किनारे एक छोटा सा नन्हा कछुआ रहता था जिसका नाम था कच्छु। कच्छु बहुत ही नन्हा था और धीरे-धीरे चलता था। जंगल के दूसरे जानवर जैसे खरगोश, बंदर, और चूहा उसे चिढ़ाते थे, “तू तो बहुत धीरे चलता है, क्या तुझे कभी जीतने का मौका मिलेगा?”
कच्छु को बुरा तो लगता, पर उसने कभी हार नहीं मानी। उसे पता था कि जीतने के लिए तेज़ दौड़ने की नहीं, बल्कि मेहनत और धैर्य की ज़रूरत होती है। एक दिन जंगल में एक बड़ी दौड़ का आयोजन किया गया। सभी जानवर भाग लेने के लिए उत्साहित थे। खरगोश सबसे आगे था और चंचलता से बोला, “कच्छु, तुम्हारे लिए ये दौड़ जीतना नामुमकिन है। तुम क्यों अपना समय बर्बाद कर रहे हो?”
लेकिन कच्छु ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं अपनी कोशिश करूंगा, चाहे जो भी हो।”
दौड़ शुरू हुई। सभी जानवर तेजी से भागने लगे, और खरगोश तो सबसे आगे था। पर कुछ दूर जाने के बाद, खरगोश ने सोचा, “मैं तो बहुत तेज़ हूँ, कच्छु तो अब तक बहुत पीछे होगा। मैं थोड़ा आराम कर लेता हूँ।” खरगोश एक पेड़ के नीचे बैठ गया और सोते-सोते उसकी आंख लग गई।
इधर नन्हा कछुआ धीमे-धीमे, पर लगातार चल रहा था। उसने हार नहीं मानी, और अपनी पूरी मेहनत से आगे बढ़ता रहा। धीरे-धीरे उसने खरगोश को सोते हुए पार कर लिया और अंत में दौड़ की मंजिल तक पहुँच गया।
जब खरगोश की नींद खुली, उसने देखा कि कच्छु पहले ही दौड़ जीत चुका है। सारे जानवर हैरान रह गए, और उन्होंने कच्छु की मेहनत और धैर्य की तारीफ की। खरगोश को अपनी गलती का एहसास हुआ, और उसने कच्छु से माफी माँगी।
कच्छु ने कहा, “कोई बात नहीं दोस्त। हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए, और हमेशा मेहनत से काम करना चाहिए।”
Moral of the Story: मेहनत और धैर्य से हर मंजिल हासिल की जा सकती है, चाहे हम कितने ही धीमे क्यों न हों। यह कहानी बच्चों को यह सिखाती है कि मेहनत और धैर्य जीवन में सबसे बड़ा गुण है।
Read More- समुद्री गुफा का रहस्य कहानी, सेब की अनोखी कहानी, चमत्कारी पेड़
Table of Contents