Sacha Rishta Hindi Story for Kids
गाँव के पास बसे छोटे से कस्बे में राघव और अरुणा नाम के दो भाई-बहन रहते थे। उनका रिश्ता बचपन से ही बहुत गहरा था। राघव अपनी छोटी बहन अरुणा का हर समय ध्यान रखता था। वह उसे स्कूल छोड़ने जाता, उसकी पढ़ाई में मदद करता और उसकी हर छोटी-बड़ी जरूरत का ख्याल रखता।
एक दिन गाँव में मेले लगा। राघव और अरुणा दोनों बहुत खुश थे। राघव ने अपने सारे पैसे जमा करके अरुणा के लिए एक सुंदर गुड़िया खरीदी, जो वह कई दिनों से देख रही थी। लेकिन मेले से लौटते वक्त राघव का पर्स कहीं गिर गया। राघव परेशान हो गया, क्योंकि पर्स में घर के जरूरी पैसे थे। अरुणा ने राघव की परेशानी देखी और तुरंत कहा, “भैया, चिंता मत करो। हम दोनों मिलकर इसे ढूंढ लेंगे।”
रिश्ते की परीक्षा
दोनों भाई-बहन ने मेले के रास्ते को अच्छे से खंगालना शुरू किया। कई घंटों की मेहनत के बाद भी उन्हें पर्स नहीं मिला। राघव निराश हो गया। उसने अरुणा से कहा, “शायद मुझे यह पर्स नहीं मिलेगा। अब घर कैसे चलाऊंगा?” अरुणा ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, “भैया, हम साथ हैं तो हर मुश्किल का सामना कर सकते हैं।”
अरुणा ने अपने गुल्लक से पैसे निकालकर राघव को दिए। उसने कहा, “ये पैसे मैंने अपनी किताबों और कपड़ों के लिए जमा किए थे, लेकिन परिवार की जरूरत पहले है।” राघव की आंखों में आंसू आ गए। उसने महसूस किया कि उसका सच्चा रिश्ता उसकी छोटी बहन के साथ है, जो हर हाल में उसका साथ देती है।
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कुछ दिनों बाद राघव ने पर्स ढूंढ लिया। उसमें पैसे सुरक्षित थे। उसने अरुणा के गुल्लक के पैसे लौटाए और उसके लिए उसकी पसंदीदा किताबें खरीदीं। दोनों भाई-बहन ने इस घटना से सीखा कि सच्चा रिश्ता किसी भी मुश्किल में साथ खड़े रहने से बनता है।
राघव और अरुणा के रिश्ते की यह गहराई गाँव में मिसाल बन गई। हर कोई उनकी तारीफ करता और उनकी कहानी सुनाता।
सीख: सच्चा रिश्ता(Sacha Rishta) वह होता है, जहां बिना किसी स्वार्थ के एक-दूसरे का साथ दिया जाए। मुश्किलें आती हैं, लेकिन सच्चे रिश्ते हमेशा उन्हें पार कर लेते हैं।
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