“वृन्दावन रस विलास का नित्य विहार: पूज्य प्रेमानंद जी महाराज का अनुभव, रोज पाठ से पाएं सफलता”
वृन्दावन रस विलास का नित्य विहार: राधा-कृष्ण की भक्ति से समृद्ध जीवन के लिए, प्रेमानंद जी के मार्गदर्शन में रोज इस पावन पाठ का अनुभव करें प्रेमानंद जी ने अपने संत्संग में बताया है नित्य एक बार यदि वृन्दावन रस विलास का नित्य विहार का मंगल गा लें तो उसका कभी अमंगल नहीं हो सकता। इसका का यदि रोज़ गायन करोंगे तो आजीवन के लिए लोक परलोक के सभी अमंगल नष्ट हो जायेंगे। आपके जितने पूर्व पाप है सब भस्म हो जायँगे। आपकी वर्तमान की जितनी गलतियां है सब क्षमा हो जायेंगी। आपका श्री जू की सेवा में प्रवेश हो जायेगा। जीवन में मंगल ही मंगल होगा।
वृन्दावन रस विलास का नित्य विहार
प्रथम जथामति प्रनऊँ (श्री) वृंदावन अति रम्य। श्रीराधिका कृपा बिनु सबके मननि अगम्य।।
वर जमुना जल सींचन दिनहीं सरद बसंत। विविध भाँति सुमनसि के सौरभ अलिकुल मंत।।
अरुन नूत पल्लव पर कूँजत कोकिल कीर। निर्तनि करत सिखी कुल अति आनंद अधीर॥
बहत पवन रुचि दायक सीतल मंद सुगंध। अरुन नील सित मुकुलित जहँ तहँ पूषन बंधु ।|
अति कमनीय विराजत मंदिर नवल निकुंज। सेवत सगन प्रीतिजुत दिन मीनध्वज पुंज।।
रसिक रासि जहँ खेलत स्यामा स्याम किसोर। उभे बाहु परिरंजित उठे उनींदे भोर।।
कनक कपिस पट सोभित सुभग साँवरे अंग। नील वसन कामिनि उर कंचुकि कसुँभी सुरंग।|
ताल रबाब मुरज उफ बाजत मधुर मृदंग। सरस उकति गति सूचत वर बँसुरी मुख चंग।।
दोउ मिलि चाँचरि गावत गौरी राग अलापि। मानस मृग बल वेधत भृकुटि धनुष दृग चापि।।
दोऊ कर तारिनु पटकत लटकत इत उत जात। हो हो होरी बोलत अति आनंद कुलकात।।
रसिक लाल पर मेलति कामिनि बंधन धूरि। पिय पिचकारिनु छिरकत तकि तकि कुंकुम पूरि।।
कबहुँ कबहुँ चंदन तरु निर्मित तरल हिंडोल। चढ़ि दोऊ जन झूलत फूलत करत कलोल।।
वर हिंडोर झँकोरनी कामिनि अधिक डरात। पुलकि पुलकि वेपथ अँग प्रीतम उर लपटात।।
हित चिंतक निजु चेरिनु उर आनँद न समात। निरखि निपट नैंननि सुख तृन तोरतिं वलि जात।।
अति उदार विवि सुंदर सुरत सूर सुकुमार। (जै श्री) हित हरिवंश करौ दिन दोऊ अचल विहार।।57।।
“वृन्दावन रस विलास का नित्य विहार एक दिव्य पाठ है, जिसका रोज सुबह गायन करने से जीवन के हर क्षेत्र में निश्चित सफलता प्राप्त होती है। पूज्य प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, यह पाठ राधा-कृष्ण की कृपा और आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है, जो आपके जीवन को सकारात्मक दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करता है।”
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