Ye 6 Baate Hai Upasna Mein Badhak: कुसंग का त्याग कर दो
पहला है प्रधान माया का क्षेत्र है कुसंग- नीच पुरुष का संग करने से चाहे जितना प्रवीण हो वो नष्ट हो जायेगा। जो मनुष्य भगवन से विमुख है केवल रसेन्द्री और जनइन्द्री भोगों को सुख मानता है जो कामी पुरुष है और जो केवल भोजन स्वाद में भगवान से विमुख है ऐसे पुरुष का कभी संग नहीं करना चाहिए। जब तक शरीर राग बना हुआ है तब तक अनुराग नहीं हो सकता। जब शरीर राग का नाश हटा है तब भगवान से अनुराग होता है।
इसलिए साधक को ऐसे का संग नहीं करना चाहिए इस दुःसंग से सत्य का, पवित्रता का, दया का, बुद्धि का, लज्जा का, लक्ष्मी का, कीर्ति का, मन का, क्षमा का, इन्द्रियों का दमन से सब छूट जाता है। जो दुःसंग करता है वो हर समय अशांत रहता है उसमे मूर्खता छा जाती है। इस लिए कुसंग का त्याग कर दो। याद रखो तुम जैसी बात सुनोगे, जैसी बात देखोगे, जैसी बात बोलोगे वैसा तुम्हरा भाव बन जायेगा।
अगर ये 10 स्थान सात्विक है तो सतोगुण, राजसिक है तो रजोगुण, तामसिक है तो तमोगुण:
- स्थान
- अन्न
- जल
- परिवार
- अड़ोस पड़ोस
- दृश्य
- साहित्य
- आलोचना-बातचीत
- आजीविका
- उपासना
यदि से सब सात्विक है तो सतोगुण होगा, राजसिक है तो रजोगुण होगा, तामसिक है तो तमोगुण होगा। इसलिए सात्वित सेवन करो।
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पूज्य उड़िया बाबा कहते है की में छः माया को रखा गया है: Ye 6 Baate Hai Upasna Mein Badhak
- भोजन: यदि भगवान को अर्पित किया गया शुद्ध भोजन खा रहे हो तुम्हारे मन में खराबी पैदा नहीं होगी। जैसा पाओगे अन्न वैसा बनेगा मन।
- वस्त्र: साधारण वस्त्र धारण करें। वस्त्र भी सात्विक होने चाहिए शरीर ढकने के लिए हमारी मर्यादा है।
- स्त्री: स्त्री शरीर को पवित्र भाव से देखना चाहिए। किसी माताओं बहनो की आंख में आंख मत मिलाओँ उनके मुख की तरफ नहीं उनके चरणों की तरफ देखकर ही बात करनी चाहिए। जगत अगर आप निष्काम होना चाहते हो तो स्त्रियों की तरफ गन्दी दृष्टि से मत देखो।
- धन: यदि अधर्म की कमाई है तो बहुत खतरा पैदा कर देगी बुद्धि भ्रष्ट कर देगी। तुम्हारे पारिवारिक जनों में ही अशांति कलह ये सब पैदा कर देगी। यदि धन मेहनत की कमाई शुद्ध कमाई का है तो बहुत शांति आनंद प्रदान करेगा।
- स्थान: ज़मीन, जयजात, मकान, पद प्रतिष्ठा ये सब ये सब स्थान के अंतर्ग्रत आते है। इनमे माया का प्रभाव रखा है। इन सबके के मिलने पर कभी अभिमान न करें।
- अध्ययन: आध्यात्मिक शिक्षा के बिना आधुनिक शिक्षा मायामई है और वः व्यर्थ का जीवन नष्ट करा देती है। यदि हमारा अध्ययन अध्यात्म से युक्त हो तो सार्थक हो जायेगा। तो ये छः चीज़े माया के द्वारा पूर्ण की गई है।
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