Yogini Ekadashi: योगिनी एकादशी से मनुष्य के होंगे पूर्व के सभी पाप नष्ट
Yogini Ekadashi: एक बार युधिष्ठिर महाराज भगवान् श्री कृष्ण के साथ संवाद कर रहे थे। तभी उन्होंने श्री कृष्ण से पूछा हे मधुसुधन आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में कोनसी एकादशी आती है? और उसका क्या माहात्म्य है? इसमें भगवान श्री कृष्ण कहते है हे राजन आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष को योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) कहते है इसका पालन करने से 88 हज़ार बाह्मणो को भोजन कराने का फल मिलता है। ये एकादशी मनुष्य के पूर्व जन्म के सभी पापो को नष्ट करने की समर्थ रखता है।
इस योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) की तुम्हे एक पुराणिक कथा सुनाता हूँ-
अलकापुरी नामक यक्षों का एक नगर था। इस नगर के राजा देवताओं के कोष अध्यक्ष और यक्षों के राजा कुबेर थे। उनका राज्य हिमालय के बिच बसा सुन्दरराज्य था। चारों ओर सुन्दर हरयाली थी इस सुन्दर राज्य के राजा कुबेर भगवान् शिव के परम भक्त थे। जो प्रतिदिन दिन उनकी आराधना करते थे। उनकी आरधना में सहयता के लिए उन्हीने एक हेम माली नाम के माली को नियुक्त किया था।
यह हेम माली कुबेर के मानसरोवर से सुन्दर पुष्प चयन करके लाता और शिव जी की पूजा के लिए कुबेर को देता। कुबेर अपने इस माली की सेवा से बहुत प्रसन्न थे। लेकिन एक दिन ऐसा हुआ हेम माली को अपने ही मालिक कुबरे से शाप मिला जिसका कारण थी उसकी सेवा में त्रुटि। वैसे तो माली एक अच्छा सेवक था पर उसकी एक कमजोरी उसकी पत्नी के प्रति उसकी अत्यधिक आसक्ति इस कारण उसने अनजाने में बहुत बड़ा अपराध कर दिया।
एक दिन हेम माली रोज़ की तरह मानसरोवर से पुष्प चयन के लिए गया। और जैसे ही वह पुष्प लेकर घर पंहुचा उसके मन में विचार आया क्यों न मैं अपने कुछ समय अपनी पत्नी के साथ व्यतीत कर लूँ। क्युकी अभी पूजा में समय है और उसके पत्नी के साथ बीत्या समय कब 6 घंटे में बीत गया उसे इस बात का ध्यान ही नहीं रहा।
हेम माली के स्वामी कुबेर अपने आराध्य भगवान् शिव की पूजा हेतु पुष्पों की प्रतीक्षा कर रहे थे। और उधर हेम माली को समय का बिलकुल भी ध्यान नहीं रहा। बहुत समय तक प्रतीक्षा करने के बाद भी माली जब पुष्प लेकर नहीं आया। तब रहा कुबेर बहुत क्रोधित हो गए। फिर उन्होंने कपङे एक सैनिक को हेम माली के घर भेजा जब सैनिक वह पंहुचा तो माली अपनी पत्नी के साथ वार्तालाप करने में व्यस्थ था।
यही बात सैनिक ने अपने राजा कुबेर को बताई। इस बात पर राजा कुबेर को बहुत क्रोध आ गया। उनोने तुरंत ही हेम माली को राज दरबार में बुलवाया। जब राजा के सैनिक हेम माली को लेने उसके घर पहुंचे तब उसे अंदर ही अंदर पता चल गया की आज उससे कितना बड़ा अपराध हुआ है। हेम माली राजा के सपने उपस्तिथ हुआ उसे देखने ही कुबरे चिल्लाकर कर बोले मुर्ख अधर्म का आचरण करने वाले पापी तुमने अपने पत्नी के अशक्ति के कारण आज मेरे आराध्य प्रभु शिव जी की उपासना को भंग किया है।
इसलिए मैं तुम्हे श्राप देता हूँ। तुम्हे इसी क्षण कोढ़ की बीमारी होगी। इसलिए अब तुम अपनी पत्नी से भी दूर रहोगे। हेम माली को श्राप मिलते ही उसका पतन आरम्भ हो गया। और अलका पुर से गिरकर वह सीधे मृत्यु लोक में आ गया। कोढ़ की बीमारी के करना उसका जीवन बहुत मुश्किल हो गया था। ना कोई उसके पास आता ना कोई उसे बात करता। ना ही कोई भोजन पानी देता। ना दिन में चैन मिलता ना रात्रि में नींद आती। इस प्रकार ऐसे ही अनेक वर्ष बीत गए।
भगवान के लिए पुष्प चयन अपने पूर्व के अच्छे कर्म के चलते ऐसे ही चलते चलते एक हेम माली मेरु पर्वत पर जा पंहुचा। जहा ऋषि मारकंडे का आश्रम था। उसने उन्हें देख कर प्रणाम किया। ऐसा देख कर करुणा से भरे ऋषि मारकंडे ने माली को अपने समीप बुलाया और पूछा वत्स तुम कोन हो और तुम्हारी ये दुर्दशा कैसे हुई?
हेम माली ने अश्रु भरी आँखों के साथ अपने पूर्व जन्म की सारी बात ऋषि मारकंडे को बताई। माली ने हाथ जुड़कर ऋषि मारकंडे से विनती की हे ऋषि मुझे इस पीड़ा से मुक्त होने का उपाय बताइये। तब उत्तर में ऋषि मारकंडे ने कहा हे पुत्र आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष को योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) आती है यदि तुम उस एकादशी का नियम और निष्ठा से पालन करते हो तो तुम समस्त पाप कर्मो से मुक्त हो जाओगे।
और यक्ष धाम को वापस जा सकोगे। ऋषि मारकंडे बात सुनकर हेम माली ने योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का नियमपूवक पालन किया और अपना पूर्व शरीर प्राप्त किया। और अपने धाम को वापस चला गया। इस प्रकार योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का यहाँ समापन होता है।
Read More- देवउठनी एकादशी, आमलकी एकादशी, पापांकुशा एकादशी, वरुथिनी एकादशी
Table of Contents