फैशन वाली मम्मी की छोटी सी स्टोरी – Hindi Story
फैशन वाली मम्मी:- एक बार की बात है एक छोटे से सुन्दर गाव में मीना अपनी माँ के साथ बहुत हसीं ख़ुशी रहती थी उनका गांव बहुत ही सुन्दर था जिसका नाम सुंदरपुर था, सुंदरपुर, जहाँ के हर कोने में हरियाली और खुशबू से भरी थी यहां के लोग न केवल अपने गाँव को सुंदर बनाए रखते थे। बल्कि सभी मिलजुल कर साथ रहते थे। वहां एक छोटे से घर में रहने वाली मीना अपनी माँ के साथ बहुत ही ख़ुशी से जीवन बिता रही थी।
मीना की माँ एक मिठाई की दुकान चलाती थी, जिसमें वह बहुत स्वादिष्ट और विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ बनाती थीं। उनकी दुकान की मिठाई केवल स्वादिष्ट ही नहीं बल्कि उनमें एक अलग तरह की मिठास भी थी। इस छोटे से गाँव की मिठाई की दुकान ने गाँववालों को अपनी तरफ आकर्षित कर के रखा था।
मीना, एक सुंदर और समझदार लड़की, इस गाँव की लड़की थी। उसकी माँ, जिनका नाम सुषीला था, गाँव की प्रसिद्ध मिठाई दुकान संचालित करती थीं। सुषीला मीना की मम्मी नहीं, बल्कि गाँव की “फैशन वाली मम्मी” के रूप में मशहूर थीं। उनके पहनावे, शैली, और व्यवहार से गाँव वाले बहुत प्रभावित थे। उनका फैशन खुद की संस्कृति को आगे बढ़ाना था दुसरो की नक़ल करना नहीं था इस लिए गांव की महिलाएं उनसे बहुत प्रभावित होती थी।
एक दिन, जब सुषीला और मीना दुकान में काम कर रही थीं, एक स्थानीय सांस्कृति कार्यक्रम में भाग लेने का निमंत्रण कुछ गांव के लोग उन्हें देने आये। जिसमे सभी महिलाएं खुद को सांस्कृति कार्यक्रम का हिस्सा बनाने का इरादा कर रही थीं, लेकिन सुषीला ने देखा कि बहुत से लोग संस्कृति के बारे में अच्छे से नहीं जानते थे।
इसने तय किया कि वह और मीना एक नये तरीके से सांस्कृति को प्रमोट करेंगी। और अपनी सांस्कृति को आगे लेकर जायँगे ओर लोगो को बतायंगे हमारी भारतीय सांस्कृति कितनी सुनदर है।
फैशन वाली मम्मी ने मीना को बताया, “बेटा, हमें इस सांस्कृति कार्यक्रम में भाग लेना चाहिए और लोगों को दिखाना चाहिए कि हमारी संस्कृति में कितनी खूबसूरती है।” हमारी परंपरागत तरीका लोगो को प्रभावित करेगा और जीवन में ख़ुशी का मार्ग बनायेगा।
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मीना ने खुशी-खुशी स्वीकार किया और दोनों ने मिलकर एक प्यारी सी नृत्य प्रस्तुत करने का निर्णय किया। सुषीला ने एक नये डिज़ाइन की साड़ी और आभूषण पहना और मीना ने भी खुद को एक परंपरागत संस्कृति के रूप में सजाया। उन्होंने अपनी मिठाई दुकान को भी सुंदरता से सजाया और उसे एक संस्कृति का केंद्र बना दिया।
सांस्कृति कार्यक्रम ने शुरू होते ही सावित्री और मीना को सभी की नज़रों ने खींच लिया। उनका नृत्य और पहनावा के तरीके ने सभी को मोहित कर दिया। उनके नृत्य और उनके पहनावा के माध्यम से वह लोगों को संस्कृति के महत्व को समझने लगे।
सांस्कृति कार्यक्रम के बाद, सुषीला और मीना को गाँव के सभी लोगों से बहुत सम्मान मिला। उनकी मिठाई दुकान भी बहुत चर्चा में रही और लोगों के बीच में उनकी मिठाइयों की प्रशंसा बढ़ गई।
मीना ने अपनी माँ से सीखा कि आपकी आत्म-समर्पण और आत्मविश्वास के साथ, आप किसी भी क्षेत्र में चमक सकते हैं। वह ने देखा कि एक महिला एक साधारित दुकान को एक बड़े समाज के हिस्से में बदल सकती है और साथ ही अपनी संस्कृति का समर्थन कर सकती है।
मीना और उसकी फैशन वाली मम्मी इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि किसी भी छोटे से गाँव से लेकर हम अपनी मेहनत, आत्मविश्वास, और सहयोग से किसी भी क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं। और सुषीला ने मीना को दिखाया कि किसी भी सितारे को छूने के लिए, सिर्फ उच्चता नहीं, बल्कि आत्मसमर्पण और संगठन की भावना भी बहुत जरूरी है।
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