“भूत की कहानी: Bhoot ki Kahani bachho ke liye”
भूत की कहानी शुरू होती है एक छोटे से गाँव में, जहाँ एक बच्चे का नाम था चिंटू। चिंटू बहुत ही बेबाक और मासूम बच्चा था। उसे अजीब चीजों में विश्वास नहीं था, जैसे कि भूत-प्रेत और उनकी कहानियों में।
एक दिन, गाँव में एक पुराने मकान की खबर फैल गई कि वहाँ पुराने समय से एक भूत रहता है। लोग कहते थे कि उस घर में अजीब चीखती आवाज़ सुनाई देती है और रात्रि में वहाँ अजीब सी आत्मा घूमती रहती है।
चिंटू, उस घर की कहानियों में विश्वास नहीं करता था। उसने सोचा, “यह सब तो बस किसी की बेवजह कहानियाँ हैं।”
लेकिन एक दिन, चिंटू को उस घर के पास जाते समय अचानक कुछ अजीब महसूस हुआ। वहाँ जाते ही उसे अजीबो-गरीब आवाज़ सुनाई दी। वह थोड़ी डर गया, लेकिन फिर सोचा कि शायद यह भी किसी गलत फहमी का परिणाम है।
चिंदू ने सोचा मुझे एक बार अंदर जाकर देखना चाहिए आख़िर हर कोई इतना डरता क्यों है और क्या सच में भूत होते हैं?
चिंटू ने उस घर का दरवाज़ा खोला, और उसने देखा कि वहाँ कोई नहीं था। वह घर के भीतर गया और उसे कुछ अजीब महसूस होने लगा। थोड़ी देर बाद, उसने एक छोटे से बच्चे को देखा जो बहुत ही डरा हुआ था।
चिंटू ने उस बच्चे से पूछा, “तुम यहाँ क्यों हो? क्या हुआ?”
बच्चा डर के बोला, “मुझे भूत डराता है। वह मुझसे डराने की कोशिश करता है।”
चिंटू ने मुस्कुराते हुए कहा, “भूत होते ही नहीं हैं। वह सब सिर्फ कहानियाँ होती हैं।”
बच्चे ने बताया कि वह वहीं रहता है, उसका इस दुनिया में कोई नहीं है और न ही उसके पास कोई घर है, इसलिए वह इस पुराने घर में रहता है जहां कोई नहीं आता और में ही भूत की आवाज़ से लोगो को डरता हूँ ताकि कोई मुझे इस घर से ना निकल दे। लेकिन इस अँधेरे घर में मुझे भी बहुत डर लगता है। मुझे लगरा है भूत मुझे डराता है।
फिर चिंटू ने उस बच्चे को साथ लेकर घर लौटते हुए कहानी सुनाई कि कैसे भूत की कहानी सिर्फ मनोरंजन के लिए होती हैं और वो असली जीवन में नहीं होते। वह उस बच्चे को समझाते हुए बोला, “डरो मत। जो भी हो, वह तुम्हारे नजदीक होने के बावजूद तुम्हें कुछ नहीं कर सकता।”
उस दिन से उस बच्चे ने डरना छोड़ दिया और वह भूत की कहानी में विश्वास नहीं करने लगा। उसने समझा कि असली जीवन में ही असली चीज़ें होती हैं और भूतों जैसी कहानियाँ सिर्फ विचित्र कल्पनाओं का हिस्सा होती हैं। और वह चिंदू के साथ उसके घर में रहने लगा अब कोई भूत से नहीं डरता था और सब खुश रहते थे।
इस भूत की कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें अपने अन्दर के डर को हराना चाहिए और वास्तविकता को स्वीकार करना चाहिए। भूतों की कहानियों में नहीं, असली जीवन में असली महत्त्व होता है।
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