Dil ki Amiri story for kids
Dil ki Amiri Kahani: शीनु की प्रेरणादायक कहानी– पहाड़ों के बीच एक हराभरा सुंदर गाँव बसा था। जहाँ शीनु अपने छोटे से परिवार के साथ ख़ुशी ख़ुशी रहता था। शीनु के परिवार में उसके माता पिता ओर एक छोटी गाय थी जो उनके परिवार की जीविका चलाती थी। शीनु के पिता खेत में काम करते ओर माँ गाय की देख भाल करती थी। शीनु की उम्र लगभग 16 वर्ष थी। शीनु बहुत ही मेहनती लड़का था वो अपने माता पिता को संघर्ष करते देख रहा था। शीनु का बड़ा होकर बहुत आमिर इंसान बनना चाहता था।
यही बात उसने अपने माता पिता से कही तब उसके पिता ने उसे समझते हुए कहा बेटा आमिर होना बड़ी बात नहीं बड़ी बात तो दिल की अमीरी (Dil ki Amiri) है। जो इंसान सिर्फ़ अपने बारे में मास सोचकर दूसरों के लिए सोचता है यही बड़ी अमीरी है। इस लिए तुम अमीर नहीं बड़े दिल वाले बनो ख़ुद तो कामयाब बनो ही ओर दूसरों को भी लायक़ बनाओ । अपने साथ साथ दूसरों के दुखो को भी दूर करो यही असली अमीरी ओर कामयाबी है।
शीनु ने अपने पिता की बात को ध्यान से सुना और समझा। आज उसके दिल में उसके पिता के लिए और भी इज़्ज़त बढ़ गई थी। अपने पिता की इतनी बड़ी और अच्छी सोच जानकर शीनु को एहसास हुआ कि वह सिर्फ़ अपने लिए सोच रहा था, लेकिन उसके पिता ने उसे उन लोगों के बारे में सोचने और करने की प्रेरणा दी जिनके लिए कोई नहीं सोचता। मेरे पिता की दी गई सीख ही असली दिल की अमीरी (Dil ki Amiri) है
शीनु के दिल में आज नई सोच और नई उमंग थी। उसने निश्चय किया कि वह अपने गाँव और आसपास के लोगों की मदद करेगा। उसने अपने दोस्तों से बात की और सबने मिलकर एक योजना बनाई। उन्होंने गाँव में एक छोटा सा पुस्तकालय बनाने का निर्णय लिया ताकि सभी बच्चे पढ़-लिख सकें और अपने भविष्य को संवार सकें।
शीनु और उसके दोस्तों ने मिलकर गाँव के बड़े-बुजुर्गों से बात की और उन्हें भी इस योजना में शामिल किया। सबने मिलकर अपने-अपने स्तर पर योगदान दिया। कोई पैसे से, तो कोई श्रम से, और कोई अन्य संसाधनों से। धीरे-धीरे उनका सपना साकार होने लगा और गाँव में एक सुंदर पुस्तकालय बनकर तैयार हो गया।
पुस्तकालय के बनने से गाँव के बच्चे और बड़े सभी खुश थे। अब बच्चे वहाँ आकर पढ़ाई करते, किताबें पढ़ते और नई-नई चीज़ें सीखते। शीनु को देखकर सभी प्रेरित होते शीनु का दिल खुशी से भर जाता, क्योंकि उसने अपने पिता की बातों को सही साबित कर दिखाया था।
समय बीतता गया और शीनु ने अपनी मेहनत और लगन से गाँव में कई और सुधार किए। उसने गाँव में स्वच्छता अभियान चलाया, खेती के आधुनिक तरीकों की जानकारी दी, और महिलाओं के लिए सिलाई-कढ़ाई के प्रशिक्षण की व्यवस्था की।
शीनु का गाँव धीरे-धीरे एक आदर्श गाँव के रूप में उभरने लगा। शीनु की मेहनत और उसके पिता की सीख ने गाँव की तस्वीर बदल दी थी। लोग उसे सम्मान से देखते और उसकी प्रशंसा करते नहीं थकते।
एक दिन, गाँव में एक बड़ी सभा का आयोजन किया गया, जिसमें शीनु को सम्मानित किया गया। उसके पिता ने गर्व से कहा, “मुझे आज अपने बेटे पर बहुत गर्व है। उसने न केवल अपने लिए बल्कि पूरे गाँव के लिए सोचा और किया। यही असली दिल की अमीरी है (Dil ki Amiri)।”
शीनु ने विनम्रता से कहा, “यह सब आपके आशीर्वाद और सिखाई हुई बातों का परिणाम है, पिताजी। आपने मुझे सही राह दिखाई और आज मैं जो कुछ भी हूँ, आपकी वजह से हूँ।”
सभा में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी और शीनु की आँखों में खुशी के आँसू आ गए। उसने ठान लिया कि वह आगे भी इसी तरह काम करता रहेगा और अपने गाँव को और भी बेहतर बनाएगा।
इस प्रकार, शीनु ने अपने पिता की सीख को जीवन में उतारा और सचमुच बड़ा दिल वाला इंसान बन गया, जो असली अमीरी की मिसाल बन गया। जो सिर्फ पैसों से ही अमीर नहीं था, वह दिल की अमीरी (Dil ki Amiri) से भी भरपूर था।
और अधिक कहानियाँ यहाँ पड़े– सितारों की रोशनी, जानवरों की दुनिया
Table of Contents