🌍 पृथ्वी की पुकार बच्चों के लिए कहानी
प्यारे बच्चों! ये कहानी है एक जादुई डायरी पृथ्वी की पुकार की, जो किसी आम डायरी जैसी नहीं थी। उसका नाम था “धरती की डायरी।”
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🧒🏻 कहानी की शुरुआत: पवन, एक होशियार और जिज्ञासु बच्चा था। उसे किताबें पढ़ना और नई चीज़ें सीखना बहुत पसंद था। एक दिन जब वह अपनी नानी के पुराने अलमारी की सफाई कर रहा था, तो उसे एक पुरानी हरे रंग की डायरी मिली। डायरी पर लिखा था – “पृथ्वी की पुकार”।
जैसे ही पवन ने उस डायरी को खोला, एक हल्की रोशनी निकली और उसमें से एक मीठी आवाज़ आई – “नमस्ते पवन, मैं धरती हूं… क्या तुम मेरी बातें सुनोगे?”
📖 डायरी के पन्नों की बातें:
पहला पन्ना खुला – उसमें चित्र था एक घने जंगल का जो अब बंजर ज़मीन बन गया था। धरती ने कहा,
“कभी यहाँ हजारों पेड़ थे, पक्षियों की चहचहाहट थी… लेकिन इंसानों ने बिना सोचे-समझे सब काट डाला। अब यहां केवल धूल और गर्मी है।” पियूष चौंक गया।
दूसरा पन्ना – दिखाया गया एक नदी जो पहले साफ़ और सुंदर थी, अब प्लास्टिक और गंदगी से भरी थी।
“बच्चों, यह नदी कभी जीवन देती थी, अब इंसानों की लापरवाही से खुद मर रही है,” डायरी बोली।
तीसरा पन्ना – आसमान में धुआं, कारों का शोर और मास्क पहनते लोग।
“अगर हम अब भी नहीं सुधरे, तो हवा भी सांस लेने लायक नहीं रहेगी।”
💡 समाधान भी थे: पवन ने पूछा, “मैं तो बच्चा हूँ, मैं क्या कर सकता हूँ?”
डायरी मुस्कराई और चौथा पन्ना खुला – “बहुत कुछ कर सकते हो!”
- पेड़ लगाओ।
- प्लास्टिक का कम उपयोग करो।
- साइकिल चलाओ, गाड़ी नहीं।
- बिजली और पानी बर्बाद मत करो।
हर समाधान के साथ, डायरी में रंग भरने लगे। पेड़ हरे हो गए, नदी नीली, और आसमान साफ़।
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🎉 पवन का अभियान: अगले दिन से पवन ने स्कूल में “ग्रीन क्लब” शुरू किया। दोस्तों के साथ मिलकर पेड़ लगाए, सफाई अभियान चलाया और हर हफ्ते “पर्यावरण दिवस” मनाया। धीरे-धीरे, स्कूल के बच्चे जागरूक हुए और उनके माता-पिता भी शामिल होने लगे। डायरी हर रात खुलती और कहती, “शाबाश पवन! अब मैं फिर से मुस्कुरा रही हूं।”
📘 सीख (Moral of the Story): बच्चे भी धरती माँ की रक्षा कर सकते हैं। छोटी-छोटी आदतें मिलकर बड़ा बदलाव लाती हैं।
❓FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q. बच्चों को पर्यावरण की शिक्षा क्यों ज़रूरी है?
A. ताकि वे छोटी उम्र से ही पेड़ों, जल और वायु की अहमियत समझें और जिम्मेदारी से व्यवहार करें।
Q. क्या इस तरह की कहानियाँ असर डालती हैं?
A. हां! कहानियाँ बच्चों में भावनात्मक जुड़ाव और जागरूकता बढ़ाने का सबसे असरदार तरीका होती हैं।
Q. पेरेंट्स क्या कर सकते हैं?
A. बच्चों के साथ मिलकर पर्यावरणीय गतिविधियों में हिस्सा लें जैसे पौधारोपण, रिसायक्लिंग, इत्यादि।