Bhakt Namavali lyrics in hindi
यदि कोई लाख लाख बार हरि हरि उच्चारण करें। उन भगवान हरि के लाख नाम का उच्चारण उनके किसी एक भक्त के नाम उच्चारण के फल के बराबर है। भगवान को लाख बार पुकारने पर जो परम सुख परम फल प्राप्त होता है प्रभु के दास को एक बार पुकारने से वह प्राप्त हो जाता है। जो भक्तिनामावली का गायन करेगा उसे प्रियालाल की सेवा का सुख प्राप्त हो जायेगा। जो भक्तिनामावली (Bhakt Namavali) का गायन करेगा उसे राधाचरणार्विंद में आपार प्रीति हो जाएगी। जो भक्तिनामावली का गायन करेगा उसे महापुरुषो के दर्शन प्राप्त होंगे।
कितना भी अपराधी हो यदि रोज़ भक्तिनामावली का गायन करेगा तो उसके भी सारे अपराध हरि क्षमा कर के अपनी भक्ति प्रदान करेंगे। भक्तो का नाम लेने से उनके भजन का छठा हिस्सा हमें प्राप्त होता है जिससे हमें पर भगवान की कृपा प्राप्त होती है। भक्त नामावली का नित्य श्रवण, पाठ से सारे अमंगल नष्ट हो जाते है
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श्री भक्त नामावली – Bhakt Namavali
हमसौं इन साधुन सौं पंगति ।
जिनको नाम लेत दुख छूटत, सुख लूटत तिन संगति ॥
मुख्य महन्त काम रति गणपति, अज महेस नारायण ।
सुर नर असुर मुनी पक्षी पशु, जे हरि भक्ति परायण ॥1॥
वाल्मीकि नारद अगस्त्य शुक, व्यास सूत कुल हीना ।
शबरी स्वपच वशिष्ठ विदुर, विदुरानी प्रेम प्रवीना ॥2॥
गोपी गोप द्रौपदी कुन्ती, आदि पाण्डवा ऊधौ ।
विष्णु स्वामि निम्बारक माधो, रामानुज मग सूधौ ॥3 ॥
लालाचारज धनुर्दास, कूरेश भाव रस भीजे ।
ज्ञानदेव गुरु शिष्य त्रिलोचन, पटतर को कहि दीजे ॥4॥
पद्मावती चरण कौ चारण, कवि जयदेव जसीली ।
चिन्तामणि चिद्रूप लखायो, विल्वमंगलहिं रसीली ॥5॥
केशवभट्ट श्रीभट्ट नारायण, भट्ट गदाधर भट्टा ।
विट्ठलनाथ वल्लभाचारज, व्रज के गूजर – जट्टा ॥6॥
नित्यानन्द अद्वैत महाप्रभु, शची सुवन चैतन्या ।
भट्ट गोपाल रघुनाथ जीव अरु, मधु गुसांईं धन्या ॥7॥
रूप सनातन भजि वृन्दावन, तजि दारा सुत सम्पति ।
व्यासदास हरिवंश गुसांई, दिन दुलराई दम्पति ॥8॥
श्रीस्वामी हरिदास हमारे, विपुल बिहारिनि दासी ।
नागरि नवल माधुरी बल्लभ, नित्य विहार उपासी ॥9॥
तानसेन अकबर करमैती, मीरा करमा बाई ।
रत्नावती मीर माधौ, रसखान रीति रस गाई ॥10॥
अग्रदास नाभादि सखी ये, सबै राम सीता की ।
सूर मदनमोहन नरसी अलि, तस्कर नवनीता की ॥11॥
माधौदास गुसांईं तुलसी, कृष्णदास परमानन्द ।
विष्णुपुरी श्रीधर मधुसूदन, पीपा गुरु रामानन्द ।।12।।
अलि भगवान मुरारि रसिक, श्यामानन्द रंका वंका ।
रामदास चीधर निष्किञ्चन, सम्हन भक्त निसंका ॥13॥
लाखा अंगद भक्त महाजन, गोविन्द नन्द प्रबोधा ।
दास मुरारि प्रेमनिधि विट्ठल, दास मथुरिया योधा ॥14॥
लालमती सीता प्रभुता, झाली गोपाली बाई ।
सुत विष दियौ पूजि सिलपिल्ले, भक्ति रसीली पाई ॥15॥
पृथ्वीराज खेमाल चतुर्भुज, राम रसिक रस रासा ।
आशकरण मधुकर जयमल नृप, हरिदास जन दासा ॥16॥
सेना धना कबीरा नामा, कूबा सदन कसाई |
बारमुखी रैदास सभा में, सही न श्याम हँसाई ॥17॥
चित्रकेतु प्रह्लाद विभीषण, बलि गृह बाजै बावन ।
जामवन्त हनुमन्त गीध गुह, किये राम जे पावन ॥18॥
प्रीति प्रतीति प्रसाद साधु सौं, इन्हें इष्ट गुरु जानों ।
तजि ऐश्वर्य मरजाद वेद की, इनके हाथ बिकानों ॥19॥
भूत भविष्य लोक चौदह में, भये होयँ हरि प्यारे ।
तिन तिन सौं व्यवहार हमारी, अभिमानिन ते न्यारे ॥20॥
‘भगवतरसिक’ रसिक परिकर करि, सादर भोजन पावै ।
ऊँचो कुल आचार अनादर, देखि ध्यान नहिं आवै ॥21॥
भक्तन की नामावली जो कहिये चित लाये। ताकि भक्ति बढ़े घनी अरु हरि हुये सहाये। जो भक्तो की नामावली का गान करेगा। उसकी भक्ति प्रतिदिन बढ़ती चली जाएगी और भगवान निरंतर उसकी सहयता करेंगे। ये भक्तनामावली (Bhakt Namavali) का प्रकट फल है। जो भक्तिनामावली प्रतिदिन पाठ करेगा उस श्री वृन्दावन का वास प्राप्त हो जायेगाऔर आचार्य उसे बहुत प्यार करेंगे। भगवान के भजन करने वालो का जो भजन करता है त्रिभुवन में जितने भी अशुभ विनायक है, आशूरी सिद्धियां है उनकी समर्थ नहीं है की भक्तिनामावली (Bhakt Namavali) करने वाले को कोई भी कष्ट पहुंचा सकें। कलयुग भी भक्तनामली पठन, स्रवण करने वाले पर कोई असर नहीं डाल सकती।
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