5 Best मजेदार कहानियाँ (Funny Stories for Kids in Hindi)
“छोटे बच्चों की मजेदार कहानियां: बच्चों के लिए 5 मजेदार हिंदी कहानियां जो हँसी और सीख से भरपूर हैं। इन Funny Kids Stories in Hindi को पढ़कर बच्चे मनोरंजन के साथ नैतिक मूल्य भी सीखेंगे। पढ़ें Best Hindi Stories for Kids और Short Moral Stories for Kids in Hindi।”
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शरारती बंदर और चतुर कछुआ- बच्चों के लिए हिंदी में मजेदार कहानियां
एक घना हरा-भरा जंगल था, जहाँ एक “शरारती बंदर” और एक “चतुर कछुआ” रहते थे। बंदर दिनभर पेड़ों पर उछलता-कूदता और जंगल के जानवरों को परेशान करता रहता। कभी किसी की टोपी चुरा लेता, तो कभी किसी के फल। कछुआ शांत स्वभाव का था और हमेशा समझदारी से काम लेता।
एक दिन बंदर को नदी किनारे ढेर सारे मीठे आम दिखे। लेकिन समस्या थी। आम का पेड़ नदी के दूसरी ओर था और बंदर को तैरना नहीं आता था। उसने कछुए से मदद मांगी, “मुझे उस पार छोड़ दो, मैं आम लाकर तुम्हें भी दूँगा।”
कछुआ समझ गया कि बंदर चालाकी कर रहा है और शायद लौटने के बाद उसे भूल जाएगा। लेकिन उसने एक तरकीब सोची। उसने कहा, “ठीक है, मेरी पीठ पर बैठ जाओ।”
जैसे ही वे नदी के बीच पहुँचे, कछुआ धीरे-धीरे डूबने लगा। बंदर घबराकर बोला, “अरे! क्या कर रहे हो?”
कछुआ मुस्कुराया और बोला, “तुम अक्सर दूसरों को धोखा देते हो, अब मैं तुम्हें सबक सिखाऊँगा।”
बंदर डर गया और बोला, “मुझे बचा लो, मैं कभी किसी को परेशान नहीं करूँगा।”
कछुए को दया आ गई। उसने बंदर को किनारे पर छोड़ा और कहा, “होशियारी से जीना सीखो, चालाकी से नहीं।”
उस दिन के बाद, बंदर ने अपनी शरारतें छोड़ दीं और दोनों अच्छे दोस्त बन गए।
हँसाने वाला खरगोश और आलसी भालू- बच्चों की कहानी हंसाने वाली
एक घने जंगल में एक नटखट खरगोश और एक आलसी भालू रहते थे। खरगोश हमेशा मस्ती करता और अपनी मज़ेदार हरकतों से सभी को हँसाता, जबकि भालू को सिर्फ़ सोना और खाना पसंद था। वह इतना आलसी था कि चलते-चलते भी कहीं पेड़ के नीचे लेट जाता और खर्राटे मारने लगता।
एक दिन खरगोश ने सोचा, “क्यों न भालू को उसकी आलसी आदतों से बाहर निकाला जाए?” उसने एक तरकीब सोची। वह एक रस्सी लेकर भालू के पास गया और बोला, “भालू भैया! मैंने एक गुप्त खज़ाने का पता लगाया है, लेकिन उसे पाने के लिए तेज़ दौड़कर वहाँ पहुँचना होगा।”
भालू आलसी तो था, लेकिन खज़ाने की बात सुनकर उसकी आँखें चमक उठीं। “खज़ाना? अच्छा! लेकिन दौड़ तो तुम मुझसे तेज़ भागते हो, मैं कैसे पहुँचूँगा?” भालू ने जम्हाई लेते हुए कहा।
खरगोश मुस्कुराया, “कोई बात नहीं, मैं तुम्हारी मदद करूँगा। बस तुम मेरे पीछे भागो और रास्ते में मत रुको।”
जैसे ही दौड़ शुरू हुई, खरगोश आगे-आगे उछलने लगा और भालू पीछे-पीछे भागने की कोशिश करने लगा। थोड़ी दूर भागते ही भालू थक गया और वहीं ज़मीन पर गिरकर सो गया। खरगोश ने हँसते हुए उसकी पूँछ में घंटी बाँध दी। जब भालू खर्राटे मारने लगा, तो घंटी बजने लगी और उसकी नींद टूट गई।
भालू चौंककर उठा और खरगोश को घूरने लगा। “अरे! यह क्या कर दिया?”
खरगोश हँसते हुए बोला, “अब जब भी तुम सोओगे, घंटी बजेगी और तुम्हारी नींद टूट जाएगी। अब तो आलस छोड़ दो, भालू भैया!”
भालू को समझ आ गया कि उसकी आलसी आदतों की वजह से वह कई मज़ेदार चीज़ें खो रहा है। उसने खरगोश से दोस्ती निभाने और आलस्य छोड़ने का वादा किया। फिर क्या था! दोनों दोस्त दिनभर मस्ती करते, खेलते और पूरे जंगल में हँसी फैलाते।
सीख: आलस्य छोड़कर हमेशा एक्टिव रहना चाहिए, नहीं तो जीवन के मज़ेदार पल छूट सकते हैं!
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बकरी और जादुई पेड़- हिंदी में छोटे बच्चों के लिए मजेदार कहानियां
एक घने जंगल में एक चंचल बकरी रहती थी। वह हर दिन हरी-हरी घास चबाती और इधर-उधर कूदती-फांदती रहती। एक दिन, घूमते-घूमते वह एक अजीब-सा पेड़ के पास पहुँची। उस पेड़ की टहनियाँ चमक रही थीं, और उसके पत्ते हल्की-हल्की सरसराहट कर रहे थे, जैसे कोई फुसफुसा रहा हो।
बकरी ने पेड़ के पास जाकर कहा, “अरे, तुम इतने अजीब क्यों दिखते हो?”
अचानक पेड़ बोल उठा, “क्योंकि मैं जादुई पेड़ हूँ! मैं जो भी बोलता हूँ, उसे सुनकर लोग अपनी हंसी रोक नहीं पाते।”
बकरी को पहले तो यकीन नहीं हुआ, लेकिन तभी पेड़ ने एक मज़ेदार चुटकुला सुनाया – “एक बार एक बकरी ने सेल्फी ली और फोटो देखकर बोली – ‘अरे! यह तो बिल्कुल मेरी जैसी दिखती है!’”
बकरी हँसते-हँसते लोटपोट हो गई। उसकी हँसी इतनी जोरदार थी कि जंगल के बाकी जानवर भी इकट्ठा हो गए।
गिलहरी ने पूछा, “क्या हुआ? तुम इतनी जोर से क्यों हँस रही हो?”
बकरी ने हँसी रोकते हुए कहा, “इस पेड़ के पास आओ, यह तुमको भी हँसाकर लोटपोट कर देगा!”
जैसे ही गिलहरी पास आई, पेड़ ने दूसरा चुटकुला सुना दिया –
“अगर खरगोश तेज़ दौड़ सकता है और कछुआ धीरे-धीरे चलता है, तो क्या तुमने कभी सोचा है कि गिलहरी क्यों उछल-कूद करती रहती है?”
गिलहरी पहले सोचने लगी, फिर जैसे ही पेड़ ने जवाब दिया – “क्योंकि उसे खुद भी नहीं पता!” सब जानवर हँस-हँसकर गिर पड़े।
धीरे-धीरे यह खबर पूरे जंगल में फैल गई कि वहाँ एक “हँसाने वाला जादुई पेड़” है। अब हर दिन जानवर वहाँ आकर हँसी-ठिठोली करते।
बकरी बहुत खुश थी कि उसे ऐसा पेड़ मिला, जो हर किसी के चेहरे पर मुस्कान ला सकता था। और तब से वह और उसके जंगल के दोस्त हर दिन हँसते-खेलते, खुशी-खुशी रहने लगे! 😊🌳🐐
सीख: हँसी सबसे बड़ी दवा है, और खुश रहना ही जीवन की सबसे बड़ी जादूगरी है!
मक्कार लोमड़ी और चालाक तोता- बच्चों की प्यारी मजेदार कहानियां
एक जंगल में एक चालाक तोता रहता था। वह बहुत बुद्धिमान था और हर परिस्थिति में समझदारी से काम लेता था। उसी जंगल में एक मक्कार लोमड़ी भी रहती थी, जो दूसरों को बेवकूफ बनाकर अपना काम निकालने में माहिर थी। वह हमेशा आसान तरीके से भोजन पाने के बारे में सोचती रहती थी।
एक दिन लोमड़ी ने पेड़ पर बैठे तोते को देखा और सोचने लगी, “अगर मैं इसे बेवकूफ बना सकूं, तो आसानी से इसका शिकार कर सकती हूँ!” उसने चालाकी से कहा, “प्यारे तोते! तुम कितने सुंदर और समझदार लगते हो। तुम्हारी आवाज़ तो बहुत ही मधुर है। क्या तुम मेरे लिए एक गाना गा सकते हो?”
चालाक तोता समझ गया कि लोमड़ी की नीयत ठीक नहीं है। वह मुस्कुराया और बोला, “अरे लोमड़ी बहन, तुम्हारी बातों से मैं बहुत खुश हुआ! लेकिन अगर मैं गाना गाने लगूं, तो मेरी आँखें बंद हो जाएँगी, और मैं अपनी मीठी धुन में खो जाऊँगा। तब अगर कोई मुझ पर हमला कर दे, तो मैं अपनी रक्षा कैसे करूंगा?”
लोमड़ी बोली, “अरे, तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं? मैं तुम्हारी रखवाली करूंगी, बस तुम अपनी मधुर आवाज़ से जंगल को मंत्रमुग्ध कर दो!”
तोते ने हँसते हुए कहा, “अच्छा तो ऐसा करते हैं, पहले तुम अपनी आँखें बंद करो और सुनो, ताकि मेरी आवाज़ तुम्हें और भी अच्छी लगे!”
लोमड़ी ने सोचा कि इससे वह तोते को गाते ही पकड़ सकेगी, इसलिए उसने आँखें बंद कर लीं। मौका देखकर तोता झट से उड़ गया और दूसरी डाल पर जाकर बोला, “मक्कार लोमड़ी! तुम्हारी चालाकी मुझ पर नहीं चलेगी। बेवकूफ बनाने की कोशिश में तुम खुद बेवकूफ बन गई!”
लोमड़ी गुस्से में बड़बड़ाती रह गई और चालाक तोता हँसता हुआ उड़ गया।
सीख: बुद्धिमानी से काम लेने वाला कभी भी मक्कार लोगों के जाल में नहीं फँसता।
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जादुई हंस और हँसी का राज़- 5 मिनट की मजेदार कहानियां बच्चों के लिए
एक समय की बात है, एक सुंदर झील के किनारे एक जादुई हंस रहता था। उसकी खासियत थी कि जहाँ भी जाता, वहाँ लोग हँसी से लोटपोट हो जाते। उसकी मधुर मुस्कान और मज़ेदार हरकतों से उदास चेहरे भी खिल उठते। बच्चे, बूढ़े, जानवर सभी उससे मिलकर खुश हो जाते थे।
एक दिन, वह हंस एक उदास गाँव में पहुँचा। गाँव के लोग हमेशा ग़मगीन रहते, किसी को हँसते हुए कभी नहीं देखा गया था। हंस ने सोचा, “यही तो मेरा काम है! मैं सबको हँसाऊँगा!” उसने तरह-तरह की अजीबोगरीब हरकतें कीं, पंख फैलाए, मज़ेदार आवाज़ें निकालीं, लेकिन किसी के चेहरे पर मुस्कान तक नहीं आई।
वह बहुत दुखी हुआ। “क्या मेरी हँसी की ताकत खत्म हो गई?” उसने खुद से सवाल किया। धीरे-धीरे, उसका मन उदास रहने लगा, और फिर एक दिन उसकी अपनी हँसी भी ग़ायब हो गई !
हंस ने हार नहीं मानी। उसने गाँव के बुजुर्ग से पूछा, “आप लोग इतने उदास क्यों रहते हैं?” बुजुर्ग ने बताया कि गाँव में हँसी को “सिर्फ बेकार लोग हँसते हैं” यह मानकर सभी ने हँसना छोड़ दिया था।
हंस सुझा। उसने गाँव में एक बच्चों का मेला लगवाया और वहाँ खुद एक अजीब सी टोपी पहनकर नाचने लगा। बच्चे पहले चुप रहे, लेकिन फिर एक बच्चा ज़ोर से हँस पड़ा। धीरे-धीरे, सब बच्चे हँसने लगे, और फिर बड़े भी। देखते ही देखते पूरा गाँव हँसी से गूंज उठा!
हंस भी अपनी पुरानी हँसी वापस पा चुका था। उसने सीखा कि “हँसी कभी खोती नहीं, उसे बस फिर से महसूस करना पड़ता है!”
उस दिन से गाँव में हमेशा हँसी की गूँज रहती, और हंस ने अपने जादू से सबके दिलों को हमेशा के लिए ख़ुश कर दिया!