सिमरन का सपना काश मैं भी चिड़िया होती
Story for kids in hindi: सिमरन एक छोटी और प्यारी लड़की थी, जो बहुत सपने देखा करती थी। उसका सबसे बड़ा सपना था, आसमान में चिड़िया की तरह उड़ना। वह रोज़ सुबह अपने घर के आँगन में बैठकर उड़ती हुई चिड़ियों को निहारती और सोचती, “काश मैं भी चिड़िया होती, जो दूर आसमान में बिना किसी रोक-टोक के उड़ पाती।”
सिमरन का दिन का ज़्यादातर समय चिड़ियों को देखते हुए बीतता। उसे चिड़ियों की आज़ादी बहुत पसंद थी। वे आसमान में मस्त होकर उड़ती थीं, पेड़ों पर बैठतीं, और बिना किसी चिंता के हर जगह घूमती रहतीं। सिमरन जब भी उन्हें देखती, उसका मन करता कि वह भी उनके साथ उड़ सके। एक दिन उसने अपनी माँ से कहा, “माँ, क्या मैं कभी चिड़िया की तरह उड़ सकती हूँ?”
माँ ने हंसते हुए कहा, “सपनों में तो तुम कहीं भी उड़ सकती हो, लेकिन असल ज़िन्दगी में तुम्हें अपने पंखों से नहीं, बल्कि अपनी मेहनत और सोच से उड़ना होगा।”
सिमरन इस बात को समझ नहीं पाई। उसे चिड़ियों की तरह खुले आसमान में उड़ने की ख्वाहिश थी, लेकिन माँ की बात उसे सोचने पर मजबूर कर गई। वह जानना चाहती थी कि माँ ने यह क्यों कहा।
उस रात सिमरन अपने बिस्तर पर लेटी थी और खिड़की के बाहर चाँद और तारों को देख रही थी। उसके मन में फिर वही ख्याल आया, “काश मैं चिड़िया होती।” धीरे-धीरे उसकी आँख लग गई और उसने एक अनोखा सपना देखा।
सपने में, सिमरन एक सुंदर चिड़िया बन गई थी। उसके पंख सुनहरे थे और उसकी चोंच चमकदार। वह हवा में उड़ रही थी, बादलों के बीच खेल रही थी। उसने धरती को ऊपर से देखा—हरा-भरा जंगल, सुंदर नदियाँ और ऊँचे पहाड़। हर जगह बस आज़ादी ही आज़ादी थी। वह कभी इस पेड़ से उस पेड़ पर जाती, तो कभी ऊँचे पहाड़ों को पार करती।
सिमरन ने सपने में महसूस किया कि चिड़िया बनने का मतलब सिर्फ़ उड़ना नहीं है, बल्कि यह भी है कि आप हर जगह जा सकते हैं, बिना किसी बंधन के। वह हवा में मस्ती करते हुए गाना गाने लगी। “मैं आज़ाद हूँ, मैं उड़ रही हूँ!” उसका दिल खुशी से भर गया।
सिमरन की असली उड़ान
सुबह जब सिमरन की आँख खुली, तो वह बहुत खुश थी। उसने अपनी माँ को अपने सपने के बारे में बताया। माँ ने उसकी बात ध्यान से सुनी और मुस्कुराते हुए कहा, “सपने देखना बहुत अच्छी बात है, सिमरन। लेकिन याद रखो, असली उड़ान तब होती है जब तुम अपनी मेहनत से जीवन में आगे बढ़ो। जैसे चिड़िया अपने पंखों से उड़ती है, वैसे ही तुम भी अपने सपनों को पूरा कर सकती हो।”
सिमरन को माँ की बात समझ में आ गई। वह अब जान गई थी कि चिड़िया बनकर उड़ना असली आज़ादी नहीं है। असली आज़ादी तब मिलती है जब हम अपनी मेहनत और लगन से अपने सपनों को पूरा करते हैं।
उस दिन के बाद सिमरन ने ठान लिया कि वह अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत करेगी। उसने पढ़ाई में मन लगाना शुरू किया और अपने हर काम को ईमानदारी से करने लगी। अब वह चिड़िया बनने का सपना नहीं देखती थी, बल्कि वह अपनी मेहनत और काबिलियत से “उड़ान” भरने का सपना देखती थी।
सिमरन की कहानी हमें यह सिखाती है कि असली उड़ान चिड़िया की तरह पंखों से नहीं, बल्कि मेहनत और संकल्प से होती है। “काश मैं भी चिड़िया होती” सिर्फ़ एक ख्याल था, लेकिन सच्ची आज़ादी हमें तब मिलती है जब हम अपने सपनों को मेहनत और लगन से पूरा करते हैं।
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