मन में गंदे विचार आते हैं: आपके मन में अच्छे या बुरे विचार आ रहे है तो ये 10 बातें प्रधान है
मन में गंदे विचार आते हैं तो ये 10 से भाव बनते है और 10 से भाव बिगड़ते है। अन्न, जल, परिवार, अड़ोस पड़ोस, दृश्य, साहित्य, आलोचना, कार्य और उपासना यदि ये भगवतिक हुए तो आपके अंदर भगवत भाव बढ़ेगा। और यदि ये रजोगुणी तमोगुणी हुए तो आपके अंदर आसुरी भाव बढ़ेगा। इन 10 से सावधानी पूर्वक व्यहवार होना चाहिए। सत्संग का सेवन और रजोगुण तमोगुण का त्याग तो आप दुःसंग से बच जायँगे।
पहला स्थान: आप कहा बैठे है, किस जगह कहा खड़े है आपको स्थान देखकर ही बर्ताव में उतरना है। जैसे शराब की जगह है तो तमोगुण बढ़ने लगेगा। आसुरी प्रवत्ति बढ़ने लगेगी। जिस स्थान पर खड़े होने से, देखने से हमारी वृति बिगड़े रही हो उस स्थान का जल्द से जल्द त्याग कर देना चाहिए वहाँ से हट जाना चाहिए। उस व्यक्ति का घर जिसके पास जाने से वासनाएं बढ़ रही है। उस स्थान में जहा दृश्य देखने से हमारे मन में मन में गंदे विचार आते हैं।
पहला है स्थान जैसे सत्संग यमुना जी का एकांत पवन तट, किसी लता के नीचे, किसी संत भगवान के सनिध्य में हमारा यह स्थान भजन वृति बढ़ाएगा।
दूसरा अन्न: बहुत बड़ा प्रभाव अन्न का होता है। अधर्म के द्वारा कमाया हुआ अन्न तो बुद्धि अधर्म में ही लगेगी। यदि भोजन पकाते समय आप विकारात्मक चिंतन कर रहे है तो कोई भी उस अन्न को खाये उसके अंदर विकार जागृत हो जायेगा। यदि अन्न थोड़ा भी हमारे अंदर दूषित चला गया तो जब कभी ऐसी विकार की भावना हो तो खोजिये अपने कोई दृश्य देखा है, अपने किसी से ऐसी बात की है, अपने कोई ऐसा संकल्प बनाया अगर नहीं तो भोजन दोष आ गया है।
उपवास कर दो जब तक वो वृति नष्ट न हो कुछ मत पाना। जल से काम चलाना एक दिन, एक पहर अपने आप शांत हो जायेगा। अगर बहुत विकलता हो रही है तो नामसंकीर्तन शुरू कर दो बिलकुल शांति मिल जायेगी।
तीसरा जल: जल का बहुत बड़ा योग है साधना में, आज लोग थैलियों का जल पिटे है बिना ये जाने की वह जल कैसा है। इस लिए जल लेते समय में साधक को सावधानी रखनी चाहिए।
चौथा समुदाय: आपका पर्रिकर जहा आप रह रहे हो, वो कैसा है रजोगुणी है, तमोगुणी है या त्रिगुणातित भगवतिक है। उसका प्रभाव पड़ेगा।
पांचवा आस पड़ोस: आपके आस पास वाले रहने आस पड़ोस जैसा है वैसा प्रभाव पड़ेगा आप पर, अगर पड़ोस निंदनीय है तो बंधन से युक्त होना पड़ेगा। जैसे लंका के पड़ोस में होने के करना अगाध महिमा वाले समुन्द्र को बांध दिया गया, रधुनाथ जी ने पल बांधा। आस पड़ोस का बहुत प्रभाव पड़ता है।
छठा दृश्य: इस पर बहुत सावधानी की जरूरत है। मोबाईल में गंदे दृश्य से बचो। बच्चों, जवानों, बूढ़ो सबकी सबकी वृति जो माया आकर्षित करती है। जो दृश्य हम देखने के लिए उल्लसित है वो सब मोबाइल में है। ये गुण-दोषमय संसार है अगर आप गुण ग्रहण करना चाहते हो तो गुण अगर दोष ग्रहण करना चाहते हो तो दोष। अगर ग़लत दृश्य देखा तो बावरे बन जाओगे और अगर अच्छा दृश्य देखा तो भगवान के मार्ग के पथिक बन जाओगे।
सातवां साहित्य: वैसी ही मनोवृतियां फ़िसलने वाली है। ऐसा कोई साहित्य ना पढ़े ना सुने जिससे हमारे मन में गंदे विचार आते हैं।
आठवां आलोचन: ऐसी कोई आलोचन न करें यदि हम अच्छी चर्चा करते है तो अच्छे भाव आते है। और अगर गन्दी चर्चा हो तो हमारा ह्रदय विकारयुक्त हो जायेगा।
नौवा कार्य: आप जो कार्य करते है उसका प्रभाव आपके मन के ऊपर पड़ता है।
दसवां उपासना: आप उपासना भोगो की करते है या योग की करते है।
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