रात्रि में सोते समय श्रीकृष्ण भजन का चमत्कारी प्रभाव- by Premanand ji Maharaj
रात में सोते समय उपासक को बहुत सावधान हो जाना चाहिए । सोने का एक नियमित समय होना ही चाहिए की इतने बजे हमें बिस्तर में लेट जाना है इस निरंतर भागवत स्मरण करना है इस बीच जब भी आँख लग जाए तो ठीक वरना निरंतर भगवताकारवृत्ति। भजन में मन लगाओं सो जाओगे।
इन्हें नींद ना आती हो उनके लिए सही दवा है आप नींद का चिंतन ना करके प्रभु का चिंतन करें। फिर देख लेना आप कब सो गए पता ही नहीं चलेगा । ओर अगर जो सोभाग्य से नींद ना आई तो नींद में जो इंद्रियो को पुष्टता यमिलती है । वो होता है संसार का विस्मरण जैसे नींद में ख़ास बात क्या होती है कि संसार का चिंतन छूट जाता है।
जिस से ऊर्जा शक्ति प्राप्त होती है । ओर इसी तथा अगर आप चार पाँच घंटे प्रभु के चिंतन में रहे। तो संसार का चिंतन छूट आनंद सिधुं का चिंतन हुआ जब उठोगे तब भागवत चिंतन की वैसी वृति रहेगी ओर कुछ दिन बाद स्वाभाविक हो जाएगी ।
ऐसे ही नींद भी आपकी भजन हो जायेंगी, समाधि हो जायेंगी। यदि आप सोते समय प्रभु का चिंतन करेंगे। यदि इस जन्म में परम लाभ लेना चाहते हो तो इस श्लोक को अपना जीवन बनाओ कृष्ण व्रता- हमारे जीवन का एक ही व्रत है की हम अपने प्रीतम का भजन भी छोड़ेंगे अखंड भजन हमें अपने प्रभु को भूलना नहीं है । भजन में मन नहीं लग रहा पद गा रहे है । नाम कीर्तन का रहे है हमें अपने प्रभु से जुड़े रहना है।
कृष्ण व्रता कृष्ण मनु स्मरण- हमारा निरंतर स्मरण चले बस ये प्रयास रखना है। ओर उतना ही विश्राम करिये जितना आवश्यक हो व्यर्थ में करवटें मत बदलिये ये उपासक का स्वरूप नहीं होता रोगी है तो बात अलग है । नहीं तो ऐसी दिनचर्या नहीं होनी चाहिए अभी आधा घंटा तो है फिर कम्बल ओड लिया । नींद आए बस आए उचित समय पर उठ जाए । ये नियम लीजिए सोते समय आप सब जगह से मन हटकर।
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विशेष ध्यान दें की रात्रि के समय कोई चिंतन न बन पावे। मोबाईल हो उसका विशेष एक उसका समय रखो रात्रि के समय मोबाईल का प्रयोग मत कीजिये। फिर सुबह उठाते ही पहले अपने अर्ध्यदेव का स्मरण फिर बाकि की दिनचर्या। आपका का एकांत पवित्र होना चाहिए। क्युकि एकांत में मन अधकचरे साधकों पर अपना शासन कर उनको भ्र्ष्ट करने की पूरी ताक़त लगाता है। आप मन को सहयोग मत कीजिये मन को डराइए ऐसे कोई आचरण मत कीजिये।
सुबह उठाते समय आप ये नित्य अभ्यास कीजिये सबसे पहले चेतना आने पर गुरुदेव भगवान को प्रणाम करें। हमारा जीवन उनसे ही उनके अराध्यदेव में लगेगा अभी तो हमें देखना की गुरुदेव के आराध्यदेव वही देंगे हमें प्रिया प्रीतम तब हमारे मन में अपनापन होगा। गुरुदेव की कृपा की कृपा के बिना आराध्यदेव रीझने वाले नहीं है।
वही कृष्ण स्वरुप हो जाता है जो दुःखो से भयभीत होकर, नरक से बचने के लिए, संसार रूपी समुन्द्र से बचने के लिए, भयंकर ज्वाला के विकारों से बचने के लिए जिनका आश्रय ले लेता है। तो सब बच जाता है ऐसे श्री कृष्ण को मैं नमस्कर करता हूँ।
संसार की राह में चलते हुए भी कभी आपको दुःख नहीं भोगना पड़ेगा यदि आप हरि हरि ऐसा उच्चारण करोगे। संसाररूपी रोग से छुटकारा दिलाने के लिए महा औषधि के तुल्य है ये हरि नाम समस्त दुःख शोको से उद्धार करने के लिए एक हरि नाम है।
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