अनमोल कहानियाँ हिंदी में – Read Now Top 10 Moral Short Stories in Hindi
Top 10 Moral Short Stories in Hindi: बेहतरीन नैतिक कहानियाँ हिंदी में – बच्चों के लिए खास हमारी नैतिक कहानियों के इस संग्रह में आपका स्वागत है – जो बच्चों के लिए एकदम सही है! ये कहानियाँ न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि वे उन मूल्यों को भी सिखाती हैं जो बच्चों के चरित्र और नैतिकता को आकार देती हैं।
इन कहानियों को पढ़ने का कारण:
शिक्षाप्रद और मजेदार: हर कहानी में एक मूल्यवान पाठ है, जो इन्हें सोने से पहले या कक्षा में सुनाने के लिए एकदम सही बनाता है।
संस्कृतिक संबंध: इन कहानियों से बच्चों को अपने सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने में मदद मिलती है, साथ ही उन्हें सार्वभौमिक नैतिकता भी समझ में आती है।
प्रेरणादायक पाठ: ईमानदारी, मेहनत, मित्रता और बड़ों का सम्मान जैसी महत्वपूर्ण जीवन कौशल की शिक्षा देने वाली कहानियाँ।
समझने में आसान: सरल हिंदी में लिखी गई, ये कहानियाँ बच्चों के लिए सुलभ हैं और छोटी उम्र से पढ़ने की आदत को बढ़ावा देती हैं। इन नैतिक शिक्षा कहानियों के माध्यम से बच्चे मनोरंजन के साथ-साथ महत्वपूर्ण पाठ भी सीखेंगे, जो उनके जीवन में मार्गदर्शक सिद्ध होंगे।
“Best Top 10 Moral Short Stories in Hindi for Bedtime”
1. सच्चाई की ताकत: Best Top10 Moral Short Stories in Hindi
ईमानदारी की कहानी: एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में प्रिया नाम की एक लड़की रहती थी। प्रिया बहुत ही ईमानदार और समझदार लड़की थी। गाँव में उसकी ईमानदारी और अच्छे स्वभाव के कारण सभी लोग उसे पसंद करते थे।
एक दिन प्रिया स्कूल से घर लौट रही थी, तभी उसने देखा कि सड़क के किनारे एक चमड़े का बटुआ पड़ा हुआ है। प्रिया ने बटुआ उठाया और उसे खोलकर देखा। उसमें कुछ रुपये और एक पहचान पत्र था। प्रिया समझ गई कि बटुआ किसी गाँववाले का ही होगा। उसने तुरंत निर्णय लिया कि वह इस बटुए को सही मालिक तक पहुँचाएगी।
प्रिया सीधा गाँव के मुखिया के पास पहुँची। मुखिया गाँव के सबसे सम्मानित व्यक्ति थे और किसी भी समस्या का हल निकालने में माहिर थे। प्रिया ने बटुआ मुखिया जी को देते हुए कहा, “मुखिया जी, मुझे यह बटुआ रास्ते में मिला है। इसमें पहचान पत्र भी है, शायद इससे मालिक का पता चल सके।”
मुखिया जी ने बटुआ देखा और पहचान पत्र पढ़ा। उन्होंने पहचान पत्र के आधार पर बटुए के मालिक को बुलवाया। कुछ ही देर में रामू काका, जो गाँव के एक बूढ़े व्यक्ति थे, वहाँ पहुँचे। उन्होंने बटुआ देखा और खुशी से भर गए।
रामू काका ने भावुक होकर कहा, “यह मेरा ही बटुआ है, जिसमें मेरी पेंशन के पैसे थे। मुझे लगा था कि मैं इसे कभी नहीं पा सकूँगा।” मुखिया जी ने प्रिया की ओर देखा और मुस्कुराते हुए कहा, “प्रिया, तुम्हारी ईमानदारी ने आज एक बड़ा उदाहरण पेश किया है। हम सभी को तुम पर गर्व है।”
मुखिया जी ने प्रिया को इनाम के रूप में कुछ रुपये और एक प्रमाण पत्र दिया, जिसमें लिखा था, “गाँव की सबसे ईमानदार बच्ची।”
कहानी से सीख: प्रिया की इस सच्चाई की ताकत ने न केवल उसे इनाम दिलाया, बल्कि पूरे गाँव में उसकी सराहना भी हुई। इस घटना से गाँव के सभी बच्चों ने एक अहम सीख ली: सच्चाई का फल हमेशा अच्छा होता है।
2. दोस्ती का महत्व की कहानी: Kids Stories in Hindi Perfect for Bedtime
संकट में सच्ची परख बेस्ट नैतिक कहानियाँ: रामू और श्यामू बचपन के बहुत अच्छे दोस्त थे। दोनों हमेशा एक-दूसरे के साथ खेलते, पढ़ाई करते, और अपने हर काम में एक-दूसरे की मदद करते थे। उनके बीच गहरी दोस्ती थी, जिससे पूरा गाँव उन्हें आदर्श मानता था। एक दिन, दोनों ने जंगल घूमने का फैसला किया। वे दोनों खुशी-खुशी जंगल की ओर बढ़े, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि उनकी दोस्ती की असली परख उस दिन होने वाली थी।
जैसे ही वे जंगल के बीच पहुँचे, अचानक एक शेर सामने आ गया। उसकी दहाड़ सुनकर रामू और श्यामू दोनों डर गए। श्यामू ने बिना कुछ सोचे-समझे तुरंत पास के एक ऊँचे पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचा ली। रामू, जो पेड़ पर चढ़ना नहीं जानता था, घबरा गया और सोचने लगा कि क्या करे। उसे बाबा की वह सीख याद आई: “कभी मुसीबत में हिम्मत मत हारो।”
रामू ने तुरंत जमीन पर लेटकर सांस रोक ली और ऐसा दिखावा किया जैसे वह मरा हुआ हो। शेर ने रामू को सूँघा और सोचा कि वह पहले से मरा हुआ है। शेर ने उसे छोड़ दिया और धीरे-धीरे वहाँ से चला गया। कुछ देर बाद, श्यामू पेड़ से नीचे उतरा और रामू के पास आया। उसने मुस्कुराते हुए पूछा, “रामू, मैंने देखा कि शेर तुम्हारे कान में कुछ फुसफुसा रहा था। उसने क्या कहा?”
रामू ने गंभीरता से उत्तर दिया, “शेर ने मुझे कहा कि सच्चे दोस्त कभी मुश्किल समय में साथ नहीं छोड़ते।” यह सुनकर श्यामू शर्मिंदा हो गया। उसे अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने रामू से माफी मांगी। रामू ने कहा, “कोई बात नहीं, दोस्ती का मतलब ही यही है कि हम अपनी गलतियों से सीखें।”
कहानी से सीख: सच्ची दोस्ती का महत्व संकट में ही परखा जाता है। सच्चे दोस्त वह होते हैं जो मुश्किल समय में भी साथ खड़े रहते हैं। श्यामू ने अपनी गलती से सीखा कि सच्ची दोस्ती केवल खुशियों में नहीं बल्कि कठिनाइयों में भी निभानी चाहिए।
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3. बड़ों का आदर: Top 10 Moral Short Stories in Hindi That Teach Kids Lessons
रिंकू एक छोटे से गाँव में अपने माता-पिता और दादा जी के साथ रहता था। वह बहुत चंचल और होशियार लड़का था, लेकिन एक बात जो उसे सबसे अलग बनाती थी, वह थी उसका अपने दादा जी के प्रति गहरा सम्मान। उसके दादा जी जीवन के हर क्षेत्र में अनुभवी और बुद्धिमान थे, और रिंकू को उनसे बहुत प्यार था।
एक दिन रिंकू के कुछ दोस्त उससे मिलने आए। वे सभी खेल-कूद में मशगूल रहते थे और बड़ों की बातें सुनने को समय की बर्बादी मानते थे। उन्होंने रिंकू से कहा, “तुम्हें हर समय अपने दादा जी की बात क्यों सुननी पड़ती है? चलो हमारे साथ खेलो और मस्ती करो।”
रिंकू ने शांत स्वर में जवाब दिया, “मुझे मेरे दादा जी की बातें बहुत पसंद हैं। उनके अनुभव से मुझे नई चीज़ें सीखने को मिलती हैं। मैं बड़ों का आदर करना नहीं छोड़ सकता।”
कुछ दिनों बाद, गाँव में अचानक बाढ़ आने की खबर फैल गई। पानी का स्तर तेजी से बढ़ने लगा, और लोग घबरा गए। रिंकू के दादा जी ने तुरंत गाँववालों को इकट्ठा किया और उन्हें अपने पुराने अनुभव के आधार पर ऊंचाई वाले एक सुरक्षित स्थान पर जाने की सलाह दी।
गाँव के लोग पहले दुविधा में थे, लेकिन रिंकू ने अपने दादा जी की सलाह का समर्थन किया। उसने कहा, “दादाजी की बातों पर भरोसा करो, वे कभी गलत नहीं होते।” गाँववालों ने रिंकू की बात मानी और ऊंचे स्थान पर चले गए। कुछ ही देर में पानी पूरे गाँव में भर गया, लेकिन जो लोग दादा जी की बात मानकर ऊंचाई पर चले गए थे, वे सभी सुरक्षित रहे।
इस घटना के बाद, रिंकू के दोस्तों ने भी समझ लिया कि बड़ों का आदर और उनकी बातें सुनना कितना महत्वपूर्ण होता है। रिंकू का अपने दादा जी पर विश्वास और उनका आदर पूरे गाँव की रक्षा कर गया।
कहानी से सीख: बड़ों का सम्मान हमेशा लाभकारी होता है, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।
4. लगन और मेहनत का फल: Top 10 Moral Short Stories in Hindi That Kids Will Love
मोहन नाम का एक साधारण किसान था, जो अपने खेतों में दिन-रात मेहनत करता था। सुबह की पहली किरण के साथ ही वह अपने खेतों में लग जाता और देर रात तक काम करता। उसका उद्देश्य था कि उसकी फसल इतनी अच्छी हो कि उसकी मेहनत सफल हो जाए। वहीं दूसरी ओर, उसके पड़ोसी आलसी थे और खेतों में समय देने की बजाय आराम करना पसंद करते थे। वे अक्सर मोहन का मजाक उड़ाते और कहते, “इतनी मेहनत करने से क्या मिलेगा? आराम करो, जिंदगी का मजा लो।”
मोहन उनकी बातों पर ध्यान नहीं देता था। उसे यकीन था कि मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है। उसने अपनी फसल की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी। समय पर सिंचाई, खाद देना, और फसल को कीड़ों से बचाना—मोहन ने सब काम पूरे मन से किए।
कुछ महीनों बाद, फसल तैयार होने का समय आया। खेतों का हाल देखकर लोग हैरान रह गए। मोहन के खेत लहलहा उठे थे, गेहूं की बालियां सुनहरी चमक रही थीं, मानो वे मोहन की मेहनत का गुणगान कर रही हों। दूसरी ओर, पड़ोसियों के खेत सूने पड़े थे; उनकी आलसी प्रवृत्ति ने उन्हें खाली हाथ कर दिया था।
जब पड़ोसियों ने मोहन के खेतों को देखा, तो उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। वे शर्मिंदा हुए और मोहन के पास जाकर बोले, “हमने तुम्हारा मजाक उड़ाया, लेकिन आज हमें समझ में आया कि मेहनत का फल सचमुच मीठा होता है। हम भी अब से मेहनत करेंगे।”
मोहन ने मुस्कुराते हुए कहा, “दोस्तों, मेहनत करने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। यह हमारी सबसे बड़ी पूंजी है।”
कहानी से सीख: इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि मेहनत का फल सच में मीठा होता है। जो व्यक्ति परिश्रम करता है, वही सच्ची सफलता प्राप्त करता है।
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5. लोभ का अंत: लालच बुरी बला है- Story for Kids in Hindi
राजू नाम का एक लड़का था जो गाँव में अपने माता-पिता के साथ रहता था। उसे मिठाइयाँ बेहद पसंद थीं। उसके घर के पास एक मिठाई की दुकान थी, और जब भी उसके माता-पिता उसे मिठाई लाकर देते, उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। लेकिन राजू का लोभ बढ़ता ही जा रहा था। वह सोचता, “अगर सारी मिठाइयाँ मुझे ही मिल जाएं, तो कितना मजा आएगा!”
एक दिन, राजू के माता-पिता घर पर नहीं थे और वह अकेला था। उसने मौका देखकर सारी मिठाइयाँ एक बार में खाने का निश्चय किया। वह दुकान पर गया और अपने जमा किए हुए पैसे देकर ढेर सारी मिठाइयाँ खरीद लाया। घर लौटकर उसने बिना सोचे-समझे मिठाइयाँ खाना शुरू कर दिया। पहले तो उसे बहुत अच्छा लगा, लेकिन थोड़ी देर बाद उसका पेट भारी हो गया और वह बीमार पड़ गया।
राजू की तबियत इतनी बिगड़ गई कि उसे बिस्तर पर लेटना पड़ा। जब माता-पिता लौटे तो उन्होंने देखा कि राजू परेशान और बीमार है। पूछने पर उसने सच्चाई बताई कि उसने लोभ में आकर सारी मिठाइयाँ अकेले ही खा ली थीं। उसकी माँ ने कहा, “राजू, अब समझ में आया कि लालच बुरी बला है? इससे हमेशा नुकसान ही होता है।”
उस दिन के बाद राजू ने ठान लिया कि वह कभी भी लालच नहीं करेगा। उसने समझ लिया कि जरूरत से ज्यादा कुछ भी अच्छा नहीं होता। वह अपने दोस्तों के साथ मिठाइयाँ बाँटने लगा और खुश रहता था।
कहानी से सीख: लालच बुरी बला है। आवश्यकता से अधिक चीज़ें पाने की चाहत हमेशा नुकसान पहुंचाती है।
6. मिल-जुल कर रहना: एकता की शक्ति- Kids Story in Hindi
नदी के किनारे हरे-भरे जंगल में तीन अच्छे दोस्त रहते थे – चींटी, कबूतर और मेंढक। तीनों अलग-अलग थे, लेकिन एक-दूसरे का साथ निभाते थे और मुसीबतों में एक-दूसरे की मदद करते थे। एक दिन की बात है, कबूतर ऊंचे पेड़ की शाख पर बैठा था और चींटी अपने घर के पास भोजन की तलाश में थी। मेंढक नदी के किनारे कूद-फांद कर रहा था।
तभी जंगल में एक शिकारी आया। उसके हाथ में एक जाल था, और उसकी नजर कबूतर पर पड़ गई। शिकारी ने धीरे-धीरे जाल फैलाया और कबूतर के पास पहुंच गया। कबूतर को खतरे का अंदाजा नहीं हुआ, और वह शाख पर आराम से बैठा रहा।
चींटी ने शिकारी की चालाकी देख ली और तुरंत अपने दोस्तों को आगाह करने का निश्चय किया। वह तेजी से मेंढक के पास गई और उसे सारी बात बताई। मेंढक ने चींटी की बात सुनी और कहा, “हमें कुछ करना होगा, वरना कबूतर शिकारी के जाल में फंस जाएगा।”
चींटी ने तुरंत शिकारी के पैर पर जोर से काट लिया। दर्द के मारे शिकारी चिल्ला उठा और उसके हाथ से जाल गिर गया। उसी समय, मेंढक ने जोर-जोर से आवाजें निकालनी शुरू कर दीं ताकि शिकारी का ध्यान भटक जाए। कबूतर ने यह सुनकर फुर्ती से उड़ान भरी और खतरे से बाहर निकल गया।
शिकारी हक्का-बक्का रह गया और खाली हाथ लौट गया। तीनों दोस्तों ने राहत की सांस ली और एक-दूसरे को धन्यवाद दिया।
कहानी से सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एकता में शक्ति होती है। जब हम मिल-जुल कर काम करते हैं, तो बड़ी से बड़ी मुश्किल का सामना आसानी से कर सकते हैं।
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7. मनीष की मेहनत: Moral Short Stories in Hindi for Bedtime
मनीष एक साधारण लड़का था जो पढ़ाई में कमजोर था। उसके सहपाठी हमेशा उसका मजाक उड़ाते थे और उसे नीचा दिखाते थे। उसे यह महसूस होता था कि उसकी मेहनत किसी काम की नहीं है। लेकिन मनीष ने ठान लिया कि वह अपनी मेहनत से सबको साबित करेगा कि वह भी सफल हो सकता है।
एक दिन, मनीष ने अपने माता-पिता से बात की। उन्होंने उसे प्रोत्साहित किया और कहा, “बेटा, मेहनत का फल मीठा होता है। तुम मेहनत करो, हम तुम्हारे साथ हैं।” इस बात ने मनीष को नई ऊर्जा दी। उसने निश्चय किया कि वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करेगा।
मनीष ने रोजाना कड़ी मेहनत करनी शुरू की। उसने रात-रात भर जागकर पढ़ाई की। जब भी उसे किसी विषय में कठिनाई होती, वह अपने शिक्षकों से मदद मांगता। धीरे-धीरे, उसकी मेहनत रंग लाने लगी। मनीष ने समझा कि कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है।
परीक्षा का समय आया। मनीष ने अपनी पूरी मेहनत लगाई। परीक्षा के बाद, जब परिणाम घोषित हुआ, तो मनीष ने देखा कि वह कक्षा में अव्वल आया था! सभी उसकी मेहनत और सफलता को देखकर हैरान रह गए। अब कोई भी उसका मजाक नहीं उड़ाता था। सभी उसे सराहने लगे।
कहानी से सीख: मनीष की कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिन परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता। यदि हम अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदारी और मेहनत से प्रयास करें, तो सफलता निश्चित रूप से हमारे कदम चूमेगी। मेहनत का फल मीठा होता है, और उसे पाने के लिए कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
इस प्रकार, मनीष ने साबित कर दिया कि कठिन परिश्रम से जीत हमेशा संभव है। उसकी मेहनत ने उसे न केवल पढ़ाई में बल्कि जीवन में भी सफलता दिलाई।
8. सुनहरी अंडा देने वाली बत्तख: Top 10 Moral Short Stories in Hindi – Teach Values to Kids
एक समय की बात है, एक गरीब किसान के पास एक अद्भुत बत्तख थी। यह बत्तख हर दिन एक सुनहरी अंडा देती थी। किसान हर सुबह उस अंडे को पाकर बहुत खुश होता था। धीरे-धीरे, उसने सोचा कि यदि उसे एक साथ सारे सुनहरी अंडे मिल जाएं तो उसकी जिंदगी बदल जाएगी।
किसान का लालच बढ़ने लगा। उसने सोचा, “अगर मैं इस बत्तख को मार दूं, तो मुझे सारे अंडे एक साथ मिल जाएंगे।” उस दिन, जब बत्तख ने अपना अंडा दिया, किसान ने उसे पकड़ लिया और उसे मारने का निश्चय किया।
लेकिन जब उसने बत्तख को मारा और उसका पेट खोला, तो उसे कोई अंडा नहीं मिला। उसे समझ में आया कि उसकी लालच ने उसे अंधा कर दिया था। अब न तो उसे बत्तख मिली और न ही वह सुनहरी अंडा। किसान पछताया कि क्यों उसने अपनी खुशी को खो दिया।
उसने अपनी गलती को समझा और सोचा कि अगर वह धैर्य से काम लेता, तो हर दिन उसे सुनहरी अंडा मिलता। लेकिन अब उसके पास कुछ भी नहीं था। उसकी लालच ने उसे सब कुछ छीन लिया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच का परिणाम हमेशा बुरा होता है। अगर हम संतुष्ट रहें और अपनी मेहनत पर विश्वास करें, तो जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। किसान की कहानी हमें याद दिलाती है कि कभी-कभी, छोटी-छोटी खुशियाँ ही सबसे बड़ी होती हैं। हमें अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करना चाहिए और हर छोटी खुशी का आनंद लेना चाहिए।
कहानी से सीख: इस प्रकार, सुनहरी अंडा देने वाली बत्तख की कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में संतोष और धैर्य होना कितना महत्वपूर्ण है।
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9. सही समय की पहचान- Best Kahaniyan for Kids
राम एक युवा लड़का था, जो अपने जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता था। वह अक्सर सोचता था कि क्या चीज़ उसे सबसे अधिक सफल बना सकती है। एक दिन, उसने गाँव के एक बुद्धिमान बुजुर्ग से पूछा, “जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज क्या है?”
बुजुर्ग ने मुस्कराते हुए कहा, “बेटा, जीवन में सही समय पर सही काम करना सबसे महत्वपूर्ण है। अगर तुम सही समय पर अपने कार्य नहीं करोगे, तो मेहनत करने पर भी सफलता नहीं मिलेगी।” राम ने इस बात को गहराई से समझा और इसे अपने जीवन में अपनाने का निर्णय लिया।
राम ने अपनी पढ़ाई में ध्यान केंद्रित किया और जब भी उसे कोई अवसर मिला, उसने उसे सही तरीके से पहचाना। जैसे ही उसे पता चला कि उसकी कक्षा में एक विशेष परीक्षा होने वाली है, उसने अपने अध्ययन को बढ़ा दिया। वह हर रोज़ नियमित रूप से पढ़ाई करता और अपने शिक्षकों से मदद लेता।
जब परीक्षा का समय आया, राम ने अपने ज्ञान का पूरा उपयोग किया और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किए। उसके दोस्तों ने उसे बताया कि अगर वह सही समय पर अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं देता, तो उसे सफलता नहीं मिलती।
बुजुर्ग की बात हमेशा उसके साथ थी। राम ने अपने जीवन में कई अवसरों का सही समय पर उपयोग किया, चाहे वह खेल हो, पढ़ाई हो, या जीवन के अन्य निर्णय। धीरे-धीरे वह अपने गाँव में एक सफल व्यक्ति बन गया।
कहानी से सीख: इस प्रकार, राम ने सीखा कि सही समय की पहचान ही सफलता की कुंजी है। सही समय पर सही कार्य करने से ही जीवन में उन्नति संभव है। इस अनुभव से यह भी पता चलता है कि हमें हर अवसर का सही मूल्यांकन करना चाहिए और उसे अपनी सफलता की ओर बढ़ने के लिए उपयोग करना चाहिए।
10. प्रकृति का आदर: Hindi Story for Kids
नीलू एक छोटा बच्चा था जो पेड़-पौधों की कद्र नहीं करता था। उसे लगता था कि पेड़ केवल छाया देने के लिए होते हैं और उनकी कोई खास अहमियत नहीं है। वह अक्सर दोस्तों के साथ मिलकर पेड़ों को नुकसान पहुँचाता, उनकी डालियों को तोड़ता और फूलों को बर्बाद करता था। नीलू को यह समझ नहीं था कि प्रकृति के बिना जीवन अधूरा है।
एक दिन गाँव में भयंकर सूखा पड़ गया। पानी की कमी से सभी लोग परेशान थे। खेत सूख गए, और फसलें मुरझा गईं। गाँव के लोग नष्ट होते हुए पानी के लिए इधर-उधर भागने लगे, लेकिन कहीं से भी राहत नहीं मिली। नीलू ने देखा कि उसके गाँव के लोग कितना दुखी और परेशान हैं। उसे समझ में आया कि अगर पेड़-पौधे होते, तो सूखा इतना भयानक नहीं होता।
गाँव के बड़े-बुजुर्गों ने कहा, “हमने कभी भी प्रकृति का आदर नहीं किया। हमने अपने आस-पास के पेड़-पौधों को बर्बाद किया है। अगर हम प्रकृति की रक्षा नहीं करेंगे, तो प्रकृति भी हमारी रक्षा नहीं करेगी।” नीलू ने यह सुनकर अपने व्यवहार पर पछतावा किया।
उसने निश्चय किया कि वह अब से प्रकृति का आदर करेगा। उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर गाँव में पौधारोपण शुरू किया और सभी को पेड़-पौधों की रक्षा करने के लिए प्रेरित किया। नीलू ने सीखा कि प्रकृति का आदर करना कितना महत्वपूर्ण है।
इस घटना के बाद, नीलू ने समझ लिया कि प्रकृति का आदर हमें जीवन देती है। जब हम पेड़-पौधों की देखभाल करते हैं, तो वे भी हमें जीवनदायी ऑक्सीजन और छाया प्रदान करते हैं। अब नीलू हर दिन प्रकृति की रक्षा के लिए काम करता है और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करता है।
कहानी से सीख: इस तरह, नीलू ने अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण सबक सीखा: प्रकृति का आदर करना न केवल हमारी जिम्मेदारी है, बल्कि यह हमारे जीवन के लिए आवश्यक भी है।
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