Vrindavan Rasamrit: Vrindavan Pyaro Vrindavan – सप्त निधि स्वरूप दर्शन
ये (Vrindavan Rasamrit) वृंदावन रसामृत सात निधियों की ये सुंदर स्तुति वृन्दावन पूज्य इंद्रश जी महाराज द्वारा रचित है। इसका नित्य गायन करने से श्री वृन्दावन धाम को पूर्ण रूप से प्रणाम हो जायेगा। इतने मात्र से वृन्दावन प्राप्त हो जायेगा। वृंदावन रसामृत के माध्यम से, भक्तों को भगवान कृष्ण के अद्वितीय स्वरूप और उनके दिव्य लीलाओं का आनंद और आदर्श का अनुभव होता है। यह पाठ उन्हें भगवान के प्रेम, लीलाओं के मधुर संदेश, और धर्मिकता के महत्वपूर्ण सिद्धांतों के प्रति जागरूक करता है।
वृंदावन के बारे में जानकारी को बढ़ावा देने के साथ-साथ, यह पाठ भक्तों को भगवान के साथ आत्मिक संबंध बनाने और उनके जीवन को भक्ति और प्रेम से भर देने का प्रेरणा देता है। (Vrindavan Rasamrit) वृंदावन रसामृत माध्यम से, भक्तों को वृंदावन के पवित्रता और भगवान के दिव्य विश्वास का महत्व समझाया जाता है, जो उन्हें उनके आध्यात्मिक यात्रा में मदद करता है।
श्यामा हृदय कमल सो प्राकट्यो।
और श्याम हृदय कू भाए ।।
वृंन्दावन प्यारो वृन्दावन, वृंन्दावन मेरो वृन्दावन …
सब सुख सागर रूप उजागर, रहे वृंन्दावन धाम।
रूप गोस्वामी प्रगट कियो जहाँ गोविंद रूप निधान ।।
वृंन्दावन प्यारो वृन्दावन, वृंन्दावन मेरो वृन्दावन …
विहरत निसदिन कुंज गलिन में, व्रज जन मन सुख धाम।
मदन मोहन को रूप निरख के, सनातन बलि बलि जाये।।
वृंन्दावन प्यारो वृन्दावन, वृंन्दावन मेरो वृन्दावन …
गोपी ग्वाल सब, हिम उर धारे, प्यारो गोपीनाथ।
मधुसुधन जिन कंठ लगायो, है रही जय जयकार।।
वृंन्दावन प्यारो वृन्दावन, वृंन्दावन मेरो वृन्दावन …
गोपाल भट्ट के ह्रदय वेदना, प्रगटयो शालिग्राम।
रूप सुधा को खान हमारो श्री राधारमण जु लाल।।
वृंन्दावन प्यारो वृन्दावन, वृंन्दावन मेरो वृन्दावन …
आतुर हैवे हरिवंश पुकारो, श्री राधा राधा नाम।
सधन कुंज यमुना तट आयो श्री राधावल्ल्भ लाल।।
वृंन्दावन प्यारो वृन्दावन, वृंन्दावन मेरो वृन्दावन…
युगल किशोर को लाड़ लड़ायो नवल कुंज हिय माही।
कुंज निकुजंकी राजधारे, व्यास युगल यश गायें।।
वृंन्दावन प्यारो वृन्दावन, वृंन्दावन मेरो वृन्दावन …
भुवन चतुदर्श की सुंदरता, निधिवन करत बिहार।
श्यामा प्यारी कुंज बिहारी, जै जय श्री हरिदास।।
वृंन्दावन प्यारो वृन्दावन, वृंन्दावन मेरो वृन्दावन …
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