Kedarnath Dham: केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के रहस्यमय चमत्कार
Kedarnath Dham ki katha: केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक पवित्र हिंदू तीर्थ स्थल है, जो भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर गढ़वाल हिमालय की पर्वतमाला में, मन्दाकिनी नदी के किनारे स्थित है और इसे लगभग 2500 वर्ष पुराना माना जाता है। पत्थरों से निर्मित इस मंदिर की अद्भुत वास्तुकला प्राचीनता और दिव्यता का बेजोड़ संगम है। इसके पीछे बर्फ से ढकी हिमालय की ऊंची चोटियां इसे और भी आकर्षक और भव्य बनाती हैं। केदारनाथ धाम छोटा चार धाम यात्रा का हिस्सा है, जिसमें यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ शामिल हैं, जो हिंदू धर्म में आस्था और भक्ति का महत्वपूर्ण केंद्र हैं।
मंदिर के आसपास का वातावरण शांत, पवित्र और अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, जो यहां आने वाले भक्तों को आत्मिक शांति और दिव्य अनुभूति प्रदान करता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां की यात्रा उनके जीवन के सारे कष्टों को हर लेती है और शिव की कृपा से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
केदारनाथ धाम, न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए जाना जाता है, बल्कि यह प्रकृति प्रेमियों के लिए भी स्वर्ग के समान है। यहाँ की यात्रा कठिनाइयों से भरी हो सकती है, लेकिन जो श्रद्धालु इस पावन धाम तक पहुँचते हैं, वे स्वयं को शिव के साक्षात दर्शन करने के सौभाग्यशाली मानते हैं।
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केदारनाथ का मंदिर के बारे में आप जानकर हैरान होंगे। केदारनाथ (Kedarnath) मंदिर जिस प्रकार के पथरो से बना है उसके बनने में ना चुना लगा, ना सीमेंट लगा, और ना ही लोहा लगा है। सबसे हैरानी की बात ये नहीं जिन पथरो का प्रयोग मंदिर बनाने में किया गया है वे पत्थर वहाँ दूर दूर तक कही नहीं है।
केदारनाथ में एक माचिस तक भी नीचे सीतापुर से जाती है और ये छोटी से माचिस भी हेलीकॉप्टर या पिठू दद्वारा जाती है। तो प्रश्न ये हुआ २५०० साल पहले तो न हेलीकॉप्टर थे और ना ही पिठू फिर इतने बड़े बड़े पत्थर वह पहुंचे कैसे?
यही विराजते है पॉँचवे ज्योर्तिलिंग केदारनाथ भगवान, ऊँचे ऊँचे हिमायल के शिखर बर्फ से ठके हुए। उन्ही शखरो के बीच बहती मंदाकनी नदी, मंदाकनी जी का जल इतना शीतल है की जल में हाथ डालो तो सुन्न हो जाये और निर्मल इतनी है की लगता है जय जल में नील घोल दिया है किसी ने बहुत तेज़ धारा से मंदाकनी बहती है। उन्हें मंदाकनी के पुलिन पर भगवान केदारनाथ विराजमान है।
Kedarnath Dham: पांडवों द्वारा केदारनाथ की खोज: नंदी के पीछे भगवान शिव की खोज
केदारनाथ बद्रीनाथ के मित्र है केदारनाथ की खोज पांडवो द्वारा की गई थी। जब सभी पांडव हरिद्वार, ऋषिकेश की यात्रा करते हुए हिमालय पहुंचे। तब उन्होंने शास्त्रों में पढ़ा था केदारघाटी में केदारनाथ है पर मिल नहीं रहे। तब पांचो पांडव भगवान शिव का स्मरण करने बैठ गए। उसी समय इन पांडवो को एक नन्दी दिखाई दिया। तब ये सोचकर की ये जरूर शंकर जी के नन्दी होने ये सब इनके पीछे भागे तब आगे आगे नन्दी भी भागे जो साक्षात भोलेनाथ थे।
और सभी पांडव तो पीछे रह गए लेकिन भीमसेन ने पीछा नहीं छोड़ा वर्तमान समय में जहा अभी केदारनाथ है वही वो नंदी रूप में पृथ्वी में प्रवेश कर गए। तभी पीछे से भगवते हुए भीमसेन आये और नंदी जो की पृथ्वी में समां रहे थे उनका पीठ जो थोड़ी से ऊपर बची थी उसी पीठ को दोनों हाथो से भीमसेन ने पकड़ लिया। भीमसेन बोले प्रभु अब नहीं जाने दूंगा वर्त्तमान में जिन केदारनाथ का दर्शन होता है ये भगवान भोलेनाथ की वही पीठ है जिसे भीमसेन ने दोनों हाथो से पकड़ा था। सभी पांडवो ने पूजा अर्चना की आज भी हम जिस केदारनाथ (Kedarnath) मंदिर दर्शन करते है।
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