Aadivik ki Sangharsh Story for Kids
Aadivik ki Saphalata Kahani: हिमालय की गोद में बसा एक छोटा सा गाँव था, जिसका नाम था “सपनों का गाँव”। यहाँ के लोग मेहनती और सच्चे दिल के थे। इसी गाँव में आद्विक नाम का एक लड़का रहता था। आद्विक के परिवार में उसकी माँ और एक छोटा भाई था। उनके पिता का स्वर्गवास तब हुआ था जब आद्विक सिर्फ दस साल का था। माँ ने खेती-बाड़ी और मेहनत मजदूरी करके किसी तरह परिवार का पालन पोषण किया।
आद्विक (Aadivik) का सपना था कि वह बड़ा होकर अपने परिवार को इस गरीबी से बाहर निकाला। वह पढ़ाई में बहुत होशियार था, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण उसे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। गांव में ना तो बिजली थी और ना ही गाँव में कोई अच्छा स्कूल था, इसलिए उसे पांच किलोमीटर दूर शहर के स्कूल जाना पड़ता था।
रोजाना पैदल चलकर स्कूल जाने के बावजूद, उसकी मेहनत में कोई कमी नहीं आई। उसमे पढ़ने की उतनी ही लगन और आत्मविश्वास था की उसे जीवन में कुछ करना है और इन परिस्थितियो से बाहर निकलना है।
आद्विक (Aadivik) की माँ उसके भविष्य के लिए बहुत चिंतित रहती थी। उन्होंने अपनी थोड़ी-बहुत जमा पूंजी से और कुछ उधार लेकर आद्विक को कॉलेज भेजने का फैसला किया। आद्विक ने भी अपनी माँ की उम्मीदों को पूरा करने के लिए दिन-रात एक कर दिया। वह दिन में कॉलेज जाता और रात में एक दुकान पर काम करता ताकि अपनी पढ़ाई का खर्च निकाल सके।
कई सालों की मेहनत के बाद आद्विक ने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। डिग्री मिलते ही उसे एक अच्छी कंपनी में नौकरी मिल गई। उसकी पहली तनख्वाह जब आई, तो वह अपनी माँ के पास लेकर गया और उनके चरणों में रख दी। उसकी माँ की आँखों में आँसू आ गए, लेकिन वह खुशी के आँसू थे। आज उसने अपनी माँ का संघर्ष से सफलता तक सफर पूरा कर दिया था।
आद्विक की मेहनत और लगन ने उसे जीवन में सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचा दिया था। उसने अपने सपनो को पूरा किया और अपनी माँ के संधर्ष को खत्म किया था। उसने अपने परिवार को एक अच्छा घर लिया और अपने भाई की पढ़ाई का भी पूरा ध्यान रखा।
आद्विक (Aadivik) के गाँव के लोग उसकी सफलता से प्रेरित होकर अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित हुए। जिस से देखते ही देखते गांव का हर बच्चा लखन और मेहनत से पढ़ने लगा। आद्विक की तरह अपने सपनो को पूरा करने के लिए मेहनत करने लगा।
आद्विक कभी भी अपने गाँव और वहाँ के लोगों को नहीं भूला। उसने गाँव में एक स्कूल और एक छोटा अस्पताल बनवाया ताकि गाँव के लोग भी अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ पा सकें।
उसने अपने गाँव के बच्चों के लिए कई स्कॉलरशिप शुरू कीं ताकि कोई भी बच्चा पैसों की कमी के कारण अपनी पढ़ाई न छोड़ दे। आद्विक के कामो की चर्चा पुरे गांव में होने लगी और सभी उस से प्रेरित होने लगे।
आद्विक (Aadivik) की यह कहानी संघर्ष और सफलता की एक मिसाल बन गई। उसने अपने कठिन परिश्रम और दृढ़ निश्चय से यह साबित कर दिया कि अगर इरादे पक्के हों और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी मुश्किल राह में बाधा नहीं बन सकती। उसकी माँ हमेशा गर्व से कहती, “मेरा बेटा आद्विक, जो संघर्ष से सफलता तक की यात्रा में कभी नहीं हारा।”
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