Importance of Diya and Diwali Story for kids
kids hindi story Diya and Diwali: हर गाँव हर शहर में दीपावली का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता था। हर साल, दीपावली से पहले सभी घरों में साफ-सफाई होती, दीवारों को रंगा जाता, और चारों तरफ रंग-बिरंगी लाइटें और सजावट होती। इस गाँव के एक छोटे से घर में एक छोटा सा दिया रखा था, जिसका नाम था “दीप”। दीप को अपने छोटे आकार और साधारण रूप के कारण हमेशा उदासी रहती थी। वह सोचता था, “मेरी क्या अहमियत है? मैं इतना छोटा हूँ, मुझे कौन देखेगा?”
त्योहार का दिन आया, और लोग अपने घरों को सजाने के लिए खूबसूरत लाइट्स और दीये लेकर आए। दीपक उदास होकर एक कोने में बैठा था। तभी घर की दादी ने दीप को उठाया और उसे आँगन के बीचो-बीच रख दिया। दीपक हैरान था, उसने पूछा, “दादी, इतने सारे खूबसूरत दीये और लाइट्स हैं, फिर मुझे यहाँ क्यों रखा?”
दादी मुस्कुराई और बोली, “बेटा, दीपावली सिर्फ रोशनी और सजावट का त्योहार नहीं है। यह अंधकार पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई की विजय और उम्मीद की रोशनी फैलाने का प्रतीक है। चाहे तुम छोटे हो या बड़े, तुम्हारी रोशनी की अहमियत सबसे ज्यादा है। तुम्हारा एक छोटा सा प्रकाश भी पूरे आँगन को रोशन कर सकता है।”
यह सुनकर दीप को एहसास हुआ कि उसका महत्व कितना बड़ा है। वह अब गर्व से जलने के लिए तैयार था। जैसे ही उसे जलाया गया, उसकी छोटी सी लौ ने पूरे आँगन में रोशनी फैला दी। सारे दीये और लाइट्स खूबसूरत तो थे, लेकिन दीप की लौ ने सबसे ज्यादा शांति और रोशनी दी।
Moral of the Story: चाहे हम कितने भी छोटे क्यों न हों, हमारी अच्छाई और मेहनत से हम भी दुनिया में रोशनी फैला सकते हैं।
Diya and Diwali Story यह कहानी बच्चों को यह सिखाती है कि हर व्यक्ति का जीवन में महत्व होता है, चाहे वह छोटा हो या बड़ा। दीपावली के दीये हमें अच्छाई और उम्मीद की राह पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
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