Kash Mere Bhi Papa Hote hindi story for kids
(Kash mere bhi papa hote) काश मेरे भी पापा होते यह कहानी एक छोटे से बच्चे दीपू की है, जिसने कभी अपने पापा को नहीं देखा। दीपू का जीवन संघर्षों से भरा हुआ है, लेकिन उसकी आशाएं और सपने उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि भले ही जीवन में कठिनाइयाँ हों, हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए।
दीपू के बचपन का संघर्ष
दीपू एक छोटे से गाँव में अपनी माँ के साथ रहता था। उसके पिता का देहांत तब हो गया था जब वह सिर्फ एक साल का था। दीपू की माँ ने ही उसे पाला और बढ़ाया। माँ ने मेहनत-मजदूरी कर के दीपू की पढ़ाई का खर्चा उठाया। दीपू अक्सर अपने दोस्तों को उनके पापा के साथ खेलते और मस्ती करते देखता और सोचता, “काश मेरे भी पापा होते।”
माँ की ममता
दीपू की माँ बहुत ही मजबूत और साहसी महिला थी। उसने कभी दीपू को अपने पापा की कमी महसूस नहीं होने दी। लेकिन दीपू के मन में एक सवाल हमेशा रहता था कि उसके पापा कैसे दिखते होंगे, और वे होते तो उसका जीवन कैसा होता। दीपू ने अपनी माँ से कई बार पूछा, लेकिन माँ हमेशा उसे टाल देती थी।
स्कूल का जीवन
दीपू अपने स्कूल में बहुत होशियार था। उसके शिक्षक भी उसकी मेहनत और लगन से प्रभावित थे। लेकिन स्कूल में पेरेंट्स-टीचर मीटिंग के दौरान जब उसके दोस्तों के पापा आते, तब दीपू का मन उदास हो जाता। उसे लगता कि अगर उसके पापा होते तो वे भी उसके अच्छे प्रदर्शन पर गर्व करते।
एक दिन की घटना
एक दिन स्कूल में वार्षिक उत्सव का आयोजन हुआ। सभी बच्चों के माता-पिता को आमंत्रित किया गया था। दीपू की माँ भी आई, लेकिन दीपू का मन उदास था। उसने अपनी माँ से कहा, “माँ, काश मेरे भी पापा होते (Kash mere bhi papa hote) और वे भी आज यहां आते।” माँ ने दीपू को गले लगा लिया और कहा, “बेटा, तुम्हारे पापा हमेशा तुम्हारे साथ हैं, तुम्हारे दिल में। वे तुम्हारी हर खुशी और हर गम में तुम्हारे साथ हैं।”
सपनों की उड़ान
दीपू ने माँ की बात को दिल से लगा लिया और यह सोचकर कि उसके पापा उसकी हर सफलता पर गर्व कर रहे हैं, वह और भी मेहनत करने लगा। उसकी मेहनत और लगन का फल मिला और वह अपने गाँव का पहला बच्चा बना जिसने शहर के सबसे बड़े स्कूल में प्रवेश लिया।
कहानी से सीख
(Kash mere bhi papa hote) दीपू की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न हों, हमें अपनी उम्मीदों को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। दीपू ने अपनी माँ के प्यार और अपनी मेहनत से अपने सपनों को पूरा किया।
Read More:- चॉकलेट का पहाड़, राधिका का प्रकृति प्रेम कहानी, सावन की बरसात, चिड़िया की कहानी
Table of Contents