श्रीदामोदराष्टकं- Sri Damodarashtakam With Hindi Lyrics
Sri Damodarashtakam Damodar Mass Special: यह प्रार्थना गीत भगवान श्रीकृष्ण की बाल्य लीलाओं का मधुर वर्णन करता है, जिसमें उन्होंने अपनी माता यशोदा से बचने का प्रयास किया जब उन्होंने मक्खन चोरी करने पर उन्हें दंडित करने की ठानी। श्रीकृष्ण अपनी बाल्यावस्था में वृंदावन की गोपियों और महिलाओं से मक्खन चुराने के लिए प्रसिद्ध थे। एक दिन माता यशोदा ने उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया और उनकी कमर पर रस्सी बांधकर उन्हें ओखली से बाँध दिया। इस लीला के कारण भगवान को “दामोदर” कहा जाता है।
Sri Damodarashtakam-दामोदरअष्टकम
नमामीश्वरं सच्चिदानंदरूपं, लसत्कुण्डलं गोकुले भ्राजमानं
यशोदाभियोलूखलाद्धावमानं, परामृष्टमत्यं ततो द्रुत्य गोप्या ॥ १॥
रुदन्तं मुहुर्नेत्रयुग्मं मृजन्तम्क, राम्भोज-युग्मेन सातङ्क-नेत्रम्
मुहुः श्वास-कम्प-त्रिरेखाङ्क-कण्ठ, स्थित-ग्रैवं दामोदरं भक्ति-बद्धम् ॥ २॥
इतीदृक् स्वलीलाभिरानंद कुण्डे, स्व-घोषं निमज्जन्तम् आख्यापयन्तम्
तदीयेशितज्ञेषु भक्तिर्जितत्वम, पुनः प्रेमतस्तं शतावृत्ति वन्दे ॥ ३॥
वरं देव! मोक्षं न मोक्षावधिं वा, न चान्यं वृणेऽहं वरेशादपीह
इदं ते वपुर्नाथ गोपाल बालं, सदा मे मनस्याविरास्तां किमन्यैः ॥ ४॥
इदं ते मुखाम्भोजम् अत्यन्त-नीलैः, वृतं कुन्तलैः स्निग्ध-रक्तैश्च गोप्या
मुहुश्चुम्बितं बिम्बरक्ताधरं मे, मनस्याविरास्तामलं लक्षलाभैः ॥ ५॥
नमो देव दामोदरानन्त विष्णो, प्रभो दुःख-जालाब्धि-मग्नम्
कृपा-दृष्टि-वृष्ट्याति-दीनं बतानु, गृहाणेष मामज्ञमेध्यक्षिदृश्यः ॥ ६॥
कुबेरात्मजौ बद्ध-मूर्त्यैव यद्वत्त्व, या मोचितौ भक्ति-भाजौ कृतौ च
तथा प्रेम-भक्तिं स्वकां मे प्रयच्छ, न मोक्षे ग्रहो मेऽस्ति दामोदरेह ॥ ७॥
नमस्तेऽस्तु दाम्ने स्फुरद्-दीप्ति-धाम्ने, त्वदीयोदरायाथ विश्वस्य धाम्ने
नमो राधिकायै त्वदीय-प्रियायै, नमोऽनन्त-लीलाय देवाय तुभ्यम् ॥ ८॥
श्री दामोदराष्टकं भगवान श्रीकृष्ण की लीला का अद्भुत स्तोत्र है, जो कार्तिक मास में विशेष रूप से पाठ किया जाता है। यह स्तुति भगवान दामोदर की बाल लीलाओं का वर्णन करती है, जिसमें माता यशोदा द्वारा भगवान को उखल से बांधने की कथा समाहित है। कार्तिक मास में इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को विशेष प्रसन्नता की प्राप्ति होती है और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। कार्तिक मास में इसका प्रतिदिन पाठ करने से व्यक्ति को अपार पुण्य मिलता है, पापों का नाश होता है, और भगवान श्रीकृष्ण की असीम कृपा प्राप्त होती है।
यह स्तोत्र न केवल भक्तों के हृदय को शुद्ध करता है, बल्कि श्रीकृष्ण के प्रति अटूट प्रेम और भक्ति का मार्ग भी प्रशस्त करता है। श्री दामोदराष्टकं (Sri Damodarastakam) का नियमित पाठ भक्तों को आध्यात्मिक ऊंचाइयों तक पहुंचाने में सहायक होता है और जीवन में शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का साधन माना जाता है।
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